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पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

जल्द हो सकता है भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौता, अमेरिकी वाणिज्य सचिव ने दिए संकेत

लटनिक ने कहा कि भारत द्वारा रूस से सैन्य उपकरण खरीदने जैसे कुछ कार्य अमेरिका को अच्छे नहीं लगे", लेकिन भारत अब उन मामलों को "विशेष रूप से" संबोधित कर रहा है।


भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही व्यापार समझौता होने की उम्मीद है। अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने इस बात के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने एक ऐसा रास्ता ढूंढ लिया है जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद है।

भारत और अमेरिका करीब आ रहे हैं

लटनिक ने बताया कि दोनों देश बहुत मेहनत कर रहे हैं ताकि एक अच्छा और टिकाऊ व्यापार समझौता हो सके। उन्होंने यह बात अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी सम्मेलन (USISPF) में कही है।

लटनिक को है समझौते की उम्मीद

लटनिक ने कहा कि जब सही लोग बातचीत की मेज पर आते हैं, तो अच्छे फैसले होते हैं। इसलिए उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही व्यापार समझौता हो जाएगा। लटनिक ने कहा कि भारत बहुत सारे विदेशी सामान पर 100% तक का टैक्स लगाता है, जो अमेरिका को ठीक नहीं लगता। अमेरिका चाहता है कि भारत ये टैक्स थोड़ा कम करे ताकि दोनों देशों का व्यापार आसानी से हो सके।

व्यापार में “लेन-देन” की बात

अमेरिका चाहता है कि उसकी कंपनियों को भारत के बाजार में आने की छूट मिले। बदले में भारत भी चाहता है कि अमेरिका अपने बाजार में भारतीय सामान को जगह दे। इसी लेन-देन को लेकर बातचीत हो रही है।

भारत ने रूस से हथियार खरीदने के फैसले से अमेरिका खुश नहीं

लटनिक ने कहा कि भारत जब रूस से हथियार खरीदता है, तो अमेरिका को बुरा लगता है, लेकिन अब भारत इस पर ध्यान दे रहा है और अमेरिका से भी सैन्य सामान खरीदने की कोशिश कर रहा है। लटनिक ने BRICS समूह की चर्चा करते हुए कहा कि अगर BRICS देश डॉलर की जगह नई करेंसी लाने की बात करते हैं, तो यह अमेरिका को पसंद नहीं आता। लेकिन भारत ने साफ किया है कि वह ऐसा कोई कदम अमेरिका के खिलाफ नहीं उठा रहा।

भारत और अमेरिका की दोस्ती

लटनिक ने कहा कि ट्रंप और मोदी दोनों ही अपने देश की जनता द्वारा सीधे चुने गए नेता हैं, इसलिए उनके बीच रिश्ता मजबूत है और यही व्यापार समझौते में मदद कर रहा है। भारत और अमेरिका ने मिलकर “मिशन 500” की योजना बनाई है, जिसमें 2030 तक दोनों देशों का व्यापार 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। अगर यह समझौता हो जाता है, तो इससे तकनीक, दवा, रक्षा और डिजिटल व्यापार जैसे क्षेत्रों में काफी फायदा होगा। दोनों देश चाहते हैं कि यह समझौता 2025 के अंत तक पूरा हो जाए।

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