
‘पैक्स सिलिका’ से भारत बाहर, अमेरिकी दबाव और तकनीकी-सप्लाई चेन की चुनौती
इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि भारत को अपने व्यापार और तकनीकी हितों की रक्षा के लिए कूटनीतिक प्रयासों को और तेज करना होगा।
पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे संकेत मिले हैं जो बताते हैं कि अमेरिका भारत पर अपने कृषि उत्पादों सहित बाज़ार तक पहुंच बढ़ाने के लिए दबाव बना सकता है। ऐसे में नये संकेत हैं अमेरिका द्वारा भारत को अपनी वैश्विक 'पैक्स सिलिका इनिशिएटिव' से बाहर रखना। यह रणनीतिक पहल सिलिकॉन सप्लाई चेन को सुरक्षित, समृद्ध और इनोवेशन प्रधान बनाने के लिए की गई है, जिसमें क्रिटिकल माइनरल्स, ऊर्जा, एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग, सेमीकंडक्टर्स, AI इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स शामिल हैं।
नौ देशों की पहल में भारत नहीं
11 दिसंबर को अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा घोषित इस पहल में जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, नीदरलैंड, यूके, इजराइल, UAE और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। बयान में कहा गया कि यह दूसरों को अलग करने के लिए नहीं, बल्कि ऐसे साझेदारों के साथ समन्वय करने के लिए है जो प्रतिस्पर्धी और समृद्ध रहना चाहते हैं। इसके बावजूद अमेरिका और यूरोप ने चीन द्वारा दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की सप्लाई में बाधा डालने के बाद वैकल्पिक वैश्विक सप्लाई चेन बनाने की कोशिश की है।
रणनीतिक तकनीक में भारत को बाहर
अमेरिकी ट्रेज़री सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने अक्टूबर 2025 में कहा था कि अमेरिका चीन के दुर्लभ पृथ्वी मैग्नेट्स पर एक्सपोर्ट कंट्रोल के जवाब में भारत और अन्य एशियाई लोकतांत्रिक देशों के साथ सहयोग करेगा। हालांकि, पैक्स सिलिका पहल में भारत को शामिल नहीं किया गया। इस पहल के उद्देश्य AI सप्लाई चेन और क्रिटिकल सेक्टर्स (खनिज, सेमीकंडक्टर, लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा) में सहयोग, संयुक्त उद्यम और रणनीतिक निवेश, संवेदनशील तकनीकों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और भरोसेमंद तकनीकी इकोसिस्टम बनाना है।
मेक्सिको ने लगाया भारी शुल्क
10 दिसंबर को मेक्सिको ने भारत, चीन और अन्य देशों के वस्त्र, जूते, उपकरण, कार और ऑटो पार्ट्स पर 50% तक शुल्क लगाने की घोषणा की। हालांकि, भारत के लिए मेक्सिको शीर्ष 20 निर्यात या आयात गंतव्यों में शामिल नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम अमेरिका के दबाव में लिया गया हो सकता है, ताकि USMCA व्यापार समझौते में अमेरिका को राहत मिल सके। इसी बीच 8 दिसंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के बासमती चावल पर नया शुल्क लगाने की धमकी दी थी। अमेरिकी कृषि प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीयर ने 9 दिसंबर को कहा कि भारत चीन का वैकल्पिक बाजार हो सकता है, लेकिन इसमें आसानी नहीं है। अमेरिका भारतीय मक्का और सोयाबीन पर भी दबाव डाल रहा है।
भारतीय उद्योग को फिलहाल कोई चिंता नहीं
इलेक्ट्रॉनिक और सॉफ़्टवेयर एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ESEPC) के चेयरमैन वीर सागर के अनुसार, अमेरिकी कंपनियां अभी भी भारत में निवेश कर रही हैं। माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न और गूगल जैसे टेक्नोलॉजी दिग्गज AI और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश कर रहे हैं। ESEPC के अतिरिक्त कार्यकारी निदेशक विकास गुप्ता मानते हैं कि पैक्स सिलिका केवल एक भू-राजनीतिक कदम है और यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारत में व्यवसाय को रोक नहीं पाएगा। टेक विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी राठ कहते हैं कि पश्चिमी देशों के लिए भारत के तकनीकी और आर्थिक महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत को इस तरह की पहलों में शामिल किया जाना चाहिए। हालांकि, एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि भारत के पास फिलहाल योगदान देने के लिए खाली बातें ही हैं।

