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शेयर बाजार में क्यों आ गई निचले लेवल से सेंसेक्स-निफ्टी में 1800 और 550 अंकों की तेजी

सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने दिन की शुरुआत गिरावट के साथ की, जिसका कारण वैश्विक बाजारों से मिले कमजोर संकेत रहे. लेकिन बाद में तेज खरीदारी के चलते बाजार में शानदार तेजी लौट आई.


Indian Stock Market: भारतीय शेयर बाजार के निवेशकों के लिए इस हफ्ते का आखिरी कारोबारी सत्र बेहद शानदार रहा है. सुबह ग्लोबल संकेतों के चलते आईटी शेयरों में आई गिरावट के कारण साथ खुला. बीएसई सेंसेक्स में 76 अँकों की गिरावट के साथ 76868 पर कारोबार की शुरुआत हुई और बाजार फिसलकर 76666 के लेवल पर आ गया. लेकिन दिन बढ़ने के साथ ही बाजार में खरीदारी लौटी और देखते ही देखते सेंसेक्स में निचले लेवल से 1800 अंकों की तेजी आ गई और बीएसई सेंसेक्स 78435 अंकों के लेवल पर जा पहुंचा.

एनएसई निफ्टी में भी यही हुआ. निफ्टी में निचले लेवल से 523 अंकों का उछाल रहा है. फिलहाल सेंसेक्स 1400 अंकों की तेजी के साथ 78444 और निफ्टी 385 अंकों के उछाल के साथ 78815 अंकों पर ट्रेड कर रहा है. बीएसई पर लिस्टेड स्टॉक्स के मार्केट वैल्यू में 4.50 लाख करोड़ रुपये का उछाल आया है.

पर सवाल उठता है कि गुरुवार 17 अप्रैल 2025 के सत्र में ऐसा क्या हुआ जो बाजार लाल निशान से हरे निशान में कारोबार करने लगा. सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने दिन की शुरुआत गिरावट के साथ की, जिसका कारण वैश्विक बाजारों से मिले कमजोर संकेत रहे. इसका मुख्य कारण अमेरिका और चीन के बीच जारी टैरिफ विवाद और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल द्वारा टैरिफ के संभावित आर्थिक प्रभावों की चेतावनी थी. लेकिन दिन बढ़ने के साथ ही जोरदार तेजी लौटी. जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कहा, भारत का हालिया प्रदर्शन बेहद प्रभावशाली रहा है. हम एकमात्र बड़ा बाज़ार हैं जिसने 2 अप्रैल 2025 के बाद हुए सभी नुकसान की भरपाई कर ली है. विजयकुमार का मानना है कि भारत ने बेहतर प्रदर्शन इसलिए किया क्योंकि यह एक घरेलू उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था है, जो टैरिफ संकट से सबसे कम प्रभावित होगी.

इसके अलावा विश्लेषक यह भी कहते हैं कि बाज़ार में इस बात की उम्मीद है कि आने वाले कुछ महीनों में अमेरिका और भारत के बीच एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता हो सकता है। अमेरिका भारत को उन चार सहयोगी देशों (यूके, जापान, दक्षिण कोरिया और भारत) में से एक मानता है, जिनके साथ वह सबसे पहले व्यापार समझौते करेगा।।

बाजार के जानकारों का मानना है कि हाल के महीनों में लगातार गिरावट के कारण स्टॉक मार्केट ओवरसोल्ड हो गया था. हालांकि, वैश्विक व्यापार युद्ध में संभावित नरमी की खबरों ने कुछ शॉर्ट-कवरेज को प्रेरित किया है. अक्टूबर 2024 में शुरू हुई गिरावट के बाद अब कुछ क्षेत्रों में बेहतर रिस्क-रिवॉर्ड अनुपात दिख रहा है. हाल के सत्रों में विदेशी संस्थागत निवेशकों की खरीदारी और इंडेक्स फ्यूचर्स में शॉर्ट कवरेज ने इस बढ़त को और तेज किया है.

विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पिछले दो कारोबारी सत्रों में नकद बाजार में नेट खरीदार बन गए हैं. एफआईआई ने बीते दो दिनों में कुल ₹10,000 करोड़ के शेयर खरीदे हैं, जिसमें मंगलवार को वर्ष की तीसरी सबसे बड़ी खरीद भी शामिल है.

अमेरिका-चीन व्यापार तनाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयात पर 245 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाने की धमकी दी है. यह कदम चीन द्वारा अमेरिकी सामानों पर 84 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद आया है. दोनों देश व्यापार के मोर्चे पर टिट-फॉर-टैट की नीति अपना रहे हैं. जानकारों का मानना है कि अमेरिका-चीन के बीच जारी यह टैरिफ युद्ध भारतीय कंपनियों के पक्ष में जा सकता है.

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