शेयर मार्केट के लिए ब्लैक मंडे, FPI की तेज बिकवाली से औंधे मुंह गिरा बाजार
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शेयर मार्केट के लिए 'ब्लैक मंडे', FPI की तेज बिकवाली से औंधे मुंह गिरा बाजार

सोमवार को शुरुआती कारोबार में बढ़त हासिल करने के बावजूद बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी गिरावट के साथ बंद हुए.


Indian stock market: घरेलू शेयर बाजार में गिरावट का दौर लगातार छठे दिन भी जारी रहा. सोमवार को शुरुआती कारोबार में बढ़त हासिल करने के बावजूद बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी गिरावट के साथ बंद हुए. सेंसेक्स 638.45 अंकों की गिरावट के साथ 81,050.00 के स्तर पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी 218.85 अंक गिरकर 24,795.75 पर पहुंच गया. ऐसे में हफ्ते का पहला कारोबारी सत्र भारतीय शेयर बाजार के लिए ब्लैक मंडे साबित हुआ. इसकी सबसे बड़ी वजह विदेशी निवशकों की तेज बिकवाली रही. बैंकिंग, एनर्जी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स स्टॉक्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ा.

इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष तेज होने, कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल और चीनी शेयर बाजारों के बेहतर प्रदर्शन के कारण महीने के पहले तीन दिनों में ही 27,142 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए. सितंबर में एफपीआई निवेश नौ महीने के उच्च स्तर 57,724 करोड़ रुपये पर पहुंचने के बाद यह बिकवाली हुई. अप्रैल-मई में 34,252 करोड़ रुपये निकालने के बाद जून से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने लगातार इक्विटी खरीदी है.

डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि कुल मिलाकर जनवरी, अप्रैल और मई को छोड़कर साल 2024 में एफपीआई शुद्ध खरीदार रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भू-राजनीतिक घटनाक्रम और ब्याज दरों की भविष्य की दिशा जैसे वैश्विक कारक भारतीय इक्विटी बाजारों में विदेशी निवेश के प्रवाह को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. आंकड़ों के अनुसार 1 से 4 अक्टूबर के बीच एफपीआई ने इक्विटी से 27,142 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की, जिसमें 2 अक्टूबर को ट्रेडिंग अवकाश था.

रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्य रूप से चीनी शेयरों के बेहतर प्रदर्शन के कारण बिक्री हुई है. पिछले महीने हांगकांग के हैंग सेंग इंडेक्स में 26% की तेजी आई और यह तेजी जारी रहने की उम्मीद है. क्योंकि चीनी शेयरों का मूल्यांकन बहुत कम है और चीनी अधिकारियों द्वारा लागू किए जा रहे मौद्रिक और राजकोषीय प्रोत्साहन के जवाब में अर्थव्यवस्था के अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है. इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष, कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल और चीनी बाजारों के बेहतर प्रदर्शन से प्रेरित भू-राजनीतिक तनाव, जो वर्तमान में मूल्यांकन के मामले में अधिक आकर्षक प्रतीत होते हैं, भारतीय इक्विटी से विदेशी निवेश के हालिया पलायन के पीछे प्राथमिक कारण थे. इसने भारतीय इक्विटी बाजारों में हाल ही में तेज सुधार में योगदान दिया है.

सेक्टर के लिहाज से वित्तीय क्षेत्र, खासकर फ्रंटलाइन बैंकिंग शेयरों में एफपीआई की बिकवाली ने उनके मूल्यांकन को आकर्षक बना दिया है. लंबी अवधि के घरेलू निवेशक इस अवसर का उपयोग उच्च गुणवत्ता वाले बैंकिंग शेयरों को खरीदने के लिए कर सकते हैं. इस साल अब तक एफपीआई ने इक्विटी में 73,468 करोड़ रुपये और डेट मार्केट में 1.1 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है.

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