
ट्रंप का टैरिफ झटका: भारतीय शेयर बाजार में हड़कंप, निर्यातक चिंतित
हालांकि, मौजूदा परिस्थितियों ने बाजार में हलचल मचा दी है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि अगर भारत और अमेरिका के बीच बातचीत फिर से शुरू होती है या टैरिफ में नरमी आती है तो बाजार में जल्द सुधार आ सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सभी भारतीय निर्यातों पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की घोषणा से शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई। यह निर्णय आज, 1 अगस्त से प्रभावी हुआ है, जिससे बाजार और निर्यातक समुदाय में गहरी चिंता फैल गई है। बीएसई सेंसेक्स दोपहर 12:15 बजे तक 291.38 अंक या 0.36% गिरकर 80,894.20 पर पहुंच गया, जबकि एनएसई निफ्टी 109.8 अंक या 0.44% की गिरावट के साथ 24,658.55 पर बंद हुआ। ट्रंप की घोषणा से एक दिन पहले बुधवार को सेंसेक्स 81,481.86 और निफ्टी 24,855 पर बंद हुआ था।
निर्यात सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित
टेक्सटाइल कंपनियों पर इसका सबसे गहरा असर पड़ा है। गोकालदास एक्सपोर्ट्स के शेयर 6.49% तक गिरे, वेलस्पन लिविंग में 5% से अधिक की गिरावट आई, जबकि वर्धमान टेक्सटाइल्स, अरविंद लिमिटेड, केपीआर मिल्स, पर्ल ग्लोबल, इंडो काउंट और किटेक्स गारमेंट्स में 3-8% तक की गिरावट देखी गई।
हीरा और सीफूड सेक्टर में भी गिरावट
डायमंड, जेम्स-ज्वैलरी, इंजीनियरिंग गुड्स और सीफूड एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों जैसे अवंती फीड्स, एपेक्स फ्रोजन फूड्स और ट्राइडेंट के शेयरों में भी बड़ी गिरावट आई।
फार्मा सेक्टर को भी झटका
अमेरिका द्वारा लगाई गई नई टैरिफ की वजह से भारत के जेनेरिक दवा निर्यातकों को झटका लगा है। जुबिलेंट फार्मोवा, आईपीका लैब्स और लुपिन के शेयर 2.5-3.3% तक गिरे, जबकि डॉ. रेड्डी, सिप्ला और सन फार्मा में 1-1.5% की गिरावट देखी गई।
ऑटो और आईटी कंपनियों पर असर
भारत फोर्ज और सोना बीएलडब्ल्यू जैसे ऑटो पार्ट निर्माताओं के शेयरों में 2-3% की गिरावट दर्ज की गई। आईटी सेक्टर की कंपनियां जैसे विप्रो, इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और हेक्सावेअर के शेयरों में 1-2% की गिरावट हुई।
विश्लेषकों की राय
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च प्रमुख देवर्ष वकील ने कहा कि बाजार 15% टैरिफ की उम्मीद कर रहा था, लेकिन 25% की घोषणा ने निवेशकों को चौंका दिया। उन्होंने बताया कि भारतीय निर्यातकों के लिए सौदेबाजी की ताकत पर खतरा मंडरा रहा है। एक्सिस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश पलविया ने कहा कि भले ही अल्पकाल में यह कदम झटका दे, लेकिन भारत की दीर्घकालिक आर्थिक नींव मजबूत बनी हुई है। हमारे पास मजबूत घरेलू मांग, इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाएं हैं जो इस बाहरी झटके को कुछ हद तक सहने की ताकत देती हैं।
अनिश्चितता
अमेरिका द्वारा रूस के साथ व्यापार पर अस्पष्ट चेतावनी ने चिंता को और बढ़ा दिया है। इससे भारतीय कंपनियों के लिए व्यापार वित्त और वैश्विक सौदों में जोखिम बढ़ सकता है। ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए के अनुसार, यह घटनाक्रम उभरते बाजारों में जोखिम मूल्य निर्धारण का रीसेट है। उन्होंने आगाह किया कि जब तक भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में स्पष्टता नहीं आती, अस्थिरता बनी रहेगी।
रुपये और चालू खाता घाटे पर दबाव
जेएम फाइनेंशियल की रिपोर्ट में पहले ही चेतावनी दी गई थी कि टैरिफ के चलते भारत का चालू खाता घाटा बढ़ सकता है और रुपये पर दबाव बन सकता है, खासकर अगर अमेरिका रूस-भारत व्यापार पर सख्ती करता है।
आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अब यूरोप, यूके और ASEAN देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए। पलविया ने कहा कि भारतीय कंपनियों की अनुकूलन क्षमता ही उनकी ताकत है और वे नए बाजारों की ओर रुख करेंगी।