
इंडिगो का दबदबा: मार्केट पर एकाधिकार, कंट्रोल से बाहर
इंडिगो संकट केवल एयरलाइन की विफलता नहीं है। यह भारतीय विमानन प्रणाली, नियामक संस्थाओं और प्रतिस्पर्धा नीतियों में गहरी खामियों का आईना है।
अमेरिका और यूरोप में टॉप एयरलाइनों की बाजार हिस्सेदारी भारत की तुलना में काफी कम है। अमेरिका में 2024 में टॉप तीन एयरलाइनों डेल्टा, यूनाइटेड और अमेरिकन की कुल घरेलू बाजार हिस्सेदारी 62% थी। वहीं, यूरोप में 2024 में शीर्ष छह एयरलाइनों की कुल बाजार हिस्सेदारी सिर्फ 28.4% थी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह चेतावनी पहले ही दी जानी चाहिए थी, जब 2014 में इंडिगो का बाजार हिस्सा 32% तक पहुंचा।
DGCA की चेतावनियों को नजरअंदाज
अगस्त 2025 में संसद की स्थायी समिति ने विशेष रूप से DGCA को निर्देश दिया था कि वह FDTL (Flight Duty Time Limitation) नियमों के पालन की सख्ती से निगरानी करे। ये नियम पायलटों को अधिक आराम (36 से 48 घंटे) और कम रात में लैंडिंग (अधिकतम 2) सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए थे। हालांकि, इंडिगो ने लगभग दो साल तक DGCA के आदेशों का पालन नहीं किया। इसके बाद भी DGCA ने नियमों को ढीला किया। परिणामस्वरूप, दिसंबर 2025 में उड़ानें रद्द होना शुरू हो गईं।
बाजार का बड़ा खिलाड़ी
इंडिगो अब इतनी बड़ी हो चुकी है कि उसे कंट्रोल करना मुश्किल है। दिसंबर 2-3 से उड़ानों का ग्राउंडिंग शुरू हुआ, जबकि DGCA ने जनवरी 2024 में FDTL नियमों को संशोधित किया था और अंतिम लागू करने की समयसीमा 1 नवंबर 2025 थी। इसके बावजूद इंडिगो ने बड़े पैमाने पर उड़ान रद्दीकरण किया। पिछले सोमवार (8 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार किया और कहा कि केंद्र ने उचित कदम उठाए हैं।
प्रतिस्पर्धा आयोग और अन्य नियामक विफल
DGCA और सिविल एविएशन मंत्रालय के अलावा प्रतिस्पर्धा आयोग ऑफ इंडिया (CCI) भी इस संकट में विफल रहा। CCI का गठन 2003 में किया गया था, ताकि निजी मोनोपोली और हावी कंपनियों को कंट्रोल किया जा सके। लेकिन पिछले दशक में यह मौन दर्शक बनकर रह गया। जबकि एयरपोर्ट, पोर्ट, थर्मल पावर, रिन्यूएबल एनर्जी, सिमेंट, टेलिकॉम, टायर और खनन जैसे क्षेत्रों में निजी मोनोपोली तेजी से बढ़ती रही।
विशेषज्ञ और विपक्षी चेतावनियां
साल 2024 में राहुल गांधी ने निजी मोनोपोली के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ चेतावनी दी थी। मार्च 2023 में पूर्व RBI उप-गवर्नर वायरल आचार्य ने भारत में बड़े कॉंग्लोमेरेट्स के विघटन की आवश्यकता बताई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि इंडिगो की स्थिति न केवल नियामक विफलता का प्रतीक है, बल्कि भारतीय विमानन में संरचनात्मक कमजोरी को भी उजागर करती है।

