इंडिगो पर मंडराता संकट, प्रतिस्पर्धा आयोग की चुप्पी क्यों घातक?
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इंडिगो पर मंडराता संकट, प्रतिस्पर्धा आयोग की चुप्पी क्यों घातक?

CCI को 2002 के प्रतियोगिता अधिनियम के तहत पर्याप्त अधिकार प्राप्त हैं, जिनमें निजी एकाधिकार और अत्यधिक बाज़ार केंद्रीकरण रोकने की स्वतः संज्ञान शक्तियां भी शामिल हैं।


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इंडिगो संकट के बाद यह तर्क दिया जा सकता है कि किसी भी एयरलाइन को बाज़ार में प्रवेश करने से रोका नहीं गया, जैसा कि 2022 में शुरू हुई आकासा एयर का उदाहरण बताता है। लेकिन यह तर्क इस तथ्य को नहीं बदलता कि 2025 में इंडिगो और एयर इंडिया समूह की घरेलू बाज़ार हिस्सेदारी बढ़कर 91.2% हो गई और इसके बावजूद प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने चुप्पी साधे रखी।

इंडिगो की बाजार पकड़

प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को 2002 के प्रतियोगिता अधिनियम के तहत पर्याप्त अधिकार प्राप्त हैं, जिनमें निजी एकाधिकार और अत्यधिक बाज़ार केंद्रीकरण रोकने की स्वतः संज्ञान (suo motu) शक्तियां भी शामिल हैं। प्रतियोगिता अधिनियम, 2002 की प्रस्तावना कहती है कि CCI का उद्देश्य है कि प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करने वाली प्रथाओं को समाप्त करना, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और बनाए रखना, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की 2019 की समीक्षा भी कहती है कि CCI को देश में प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं को रोकने और नियंत्रित करने वाला बाजार नियामक होना चाहिए।

विदेशी दिग्गजों पर सख्त, घरेलू पर नरम

CCI विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर सख्त रुख अपनाता रहा है:-

उदाहरण

(a) नवंबर 2024: META पर WhatsApp की प्राइवेसी नीति मामले में ₹213 करोड़ का जुर्माना

(b) अक्टूबर 2022: Google पर Android बाज़ार में प्रभुत्व के दुरुपयोग के लिए ₹1,337 करोड़ का जुर्माना

(c) Amazon पर 2021 में ₹202 करोड़ का दंड

लेकिन घरेलू बड़े कॉर्पोरेट समूहों पर CCI की सख्ती अक्सर गायब दिखाई देती है।

घरेलू क्षेत्र में बढ़ता एकाधिकार

पिछले एक दशक में CCI ने कई प्रमुख घरेलू EPC, ऊर्जा, रियल एस्टेट, बंदरगाह, खनन आदि क्षेत्रों में बड़े कॉर्पोरेट समूहों को आसानी से मर्जर और अधिग्रहण की मंजूरी दी, जिससे बाज़ार में भारी केंद्रीकरण बढ़ा। 2017 में एयरटेल ने जियो की “शोषणकारी मूल्य निर्धारण” (predatory pricing) के खिलाफ शिकायत की—जिसमें जियो ने 200 दिन तक डेटा और कॉल मुफ्त दिए। CCI ने इसे खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि जियो “2016 में लॉन्च के समय प्रभुत्व वाली कंपनी नहीं थी। अब वही बाज़ार जियो और एयरटेल के दोाधिकार (duopoly) में बदल चुका है।

जियो—41.2% उपभोक्ता

एयरटेल—33.5% उपभोक्ता

(ट्राई डेटा—दिसंबर 2025)

कुछ मामलों में सख्ती

2011: DLF पर ₹630 करोड़ का जुर्माना

2021: दोबारा दोषी, लेकिन पुराना जुर्माना पर्याप्त मानकर नई सज़ा नहीं

2013: कोल इंडिया पर ₹1,773 करोड़ का दंड

लेकिन पूर्व RBI गवर्नर विरल आचार्य द्वारा 2023 में बताए गए “राष्ट्रीय चैंपियंस” पर CCI ने कोई कार्रवाई नहीं की। अगर किसी टेलीकॉम, ऊर्जा, बंदरगाह या हवाईअड्डा संचालक ने किसी भी कारण से एक सप्ताह का आंशिक या पूर्ण बंद कर दिया तो उसका असर इंडिगो संकट से कई गुना ज्यादा विनाशकारी होगा। 2019 की प्रतियोगिता कानून समीक्षा रिपोर्ट ने कहा कि CCI आज भी विवाद समाधान करने वाली संस्था की तरह काम करता है, जबकि उसे एक सक्रिय बाज़ार नियामक होना चाहिए।

मुख्य सिफारिशें

* CCI की जवाबदेही बढ़ाने के लिए गवर्निंग बॉडी

* स्वतः निगरानी प्रणाली (proactive surveillance)

* प्रत्येक शिकायत का स्वतंत्र मूल्यांकन—सूचना देने वाले की आवश्यकता नहीं

* “ग्रीन चैनल”—तेज़ मंज़ूरी के लिए

* क्षेत्रीय नियामकों (जैसे TRAI, DGCA आदि) के साथ अधिक समन्वय

2023 के संशोधन कानून में कुछ प्रावधान शामिल कर लिए गए—जैसे ₹2,000 करोड़ तक के M&A को ग्रीन चैनल। लेकिन वास्तविकता में CCI आज भी वह भूमिका नहीं निभा रहा, जिसके लिए उसे बनाया गया था यानी एक सक्रिय बाज़ार नियामक, जो प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं को रोक सके।

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