इंफोसिस पर 32,000 करोड़ रुपये की जीएसटी डिमांड के मामले में ढील के आसार नहीं
इंफोसिस ने जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) के साथ बैठक के बाद पूर्व कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए 10 दिन का समय मांगा था.
Infosys GST Issue: सरकार इनफ़ोसिस लिमिटेड को कोई भी रियायत देने के विचार में नहीं दिख रही है. ऐसा दावा रॉयटर्स ने मंगलवार (6 अगस्त) को एक सरकारी सूत्र के हवाले से किया है. रायटर्स के मुताबिक सूत्रों ने जानकारी दी है कि सरकार इंफोसिस लिमिटेड को भेजी गई 32,000 करोड़ रुपये की कर मांग में किसी भी तरह की ढील देने पर विचार नहीं कर रही है. इस पूरे प्रकरण के बीच कंपनी के शेयर पर भी विपरित प्रभाव पड़ा है.
इंफोसिस पर टैक्स की मांग जीएसटी नियमों के अनुसार है. सीएनबीसी-टीवी18 की रिपोर्ट के अनुसार, 5 अगस्त को जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) बेंगलुरु के साथ बैठक के बाद इंफोसिस ने प्री-शो कॉज नोटिस का जवाब देने के लिए 10 दिन का समय मांगा था.
इन्फोसिस के शेयर, जो 6 अगस्त को रिपोर्ट से पहले 1.6% ऊपर थे, व्यापक बाजार में उछाल के बीच, रिपोर्ट के बाद लगभग 0.3% तक कम हो गए. CNBC-TV18 ने सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि DGGI ने कहा कि उचित मूल्यांकन और उचित परिश्रम के बाद प्री-शो कॉज नोटिस भेजा गया था.
इससे पहले, जीएसटी अधिकारियों ने पिछले सप्ताह इंफोसिस को 2017 से पांच साल के लिए अपनी विदेशी शाखाओं से कंपनी द्वारा ली गई सेवाओं के लिए 32,403 करोड़ रुपये का नोटिस दिया था. ये 30 जून को समाप्त तिमाही के लिए उसके राजस्व का 85% है.
कंपनी ने नोटिस को 'प्री-शो कॉज नोटिस ' नोटिस बताया था और स्पष्ट रूप से कहा था कि उसका मानना है कि उल्लिखित व्यय पर जीएसटी लागू नहीं है.
इंफोसिस ने दृढ़ता से तर्क दिया था कि आईटी सेवाओं के निर्यात के खिलाफ जीएसटी भुगतान क्रेडिट या रिफंड के लिए पात्र हैं. कंपनी ने तर्क दिया था, "इंफोसिस ने अपने सभी जीएसटी बकाए का भुगतान कर दिया है और इस मामले में केंद्र और राज्य के नियमों का पूरी तरह से पालन कर रही है."
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