क्रूड ऑयल के घटते दाम से कंपनियां मालामाल, ग्राहक निराश, क्या है गणित?
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अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में कमी आई है। निजी कंपनियां कुछ राहत दे रही हैं। लेकिन सरकार कंपनियां ग्राहकों को राहत नहीं दे रहीं।

क्रूड ऑयल के घटते दाम से कंपनियां मालामाल, ग्राहक निराश, क्या है गणित?

अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत निचले स्तर पर है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती की उम्मीद रहती है। लेकिन ग्राहकों को फायदा नहीं मिल रहा।


Petrol Diesel Price: दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमतें लगातार गिर रही हैं और अब यह चार साल के सबसे निचले स्तर 65.41 डॉलर प्रति बैरल तक आ चुकी हैं। इससे पहले अप्रैल 2021 में यह कीमत 63.40 डॉलर प्रति बैरल थी। इसके बावजूद भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें एक साल से जमी हुई हैं।

कंपनियों को मिल रहा जबरदस्त मुनाफा

रेटिंग एजेंसियों की मानें तो वर्तमान में तेल कंपनियों को पेट्रोल पर प्रति लीटर ₹12-15 और डीजल पर ₹6.12 का शुद्ध मुनाफा हो रहा है। यानी कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के चलते रिफाइनिंग मार्जिन इतिहास के उच्चतम स्तर पर है। इसके बावजूद आम उपभोक्ता को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

कंपनियों ने राहत देने से किनारा किया

बीते कुछ समय में यह संभावना जताई जा रही थी कि तेल कंपनियां कीमतों में कटौती करेंगी, लेकिन केंद्र सरकार ने अचानक से पेट्रोल और डीजल पर ₹2 प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी। इसके चलते कंपनियों को कीमत घटाने का बहाना मिल गया और उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिल पाई।

तेल कंपनियों के घाटे का दावा भी अधूरा सच

तेल कंपनियां घाटे का हवाला देकर कीमतों में कटौती से बच रही हैं, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं। पिछले पांच वर्षों में केवल एक बार इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) को वर्ष 2019-20 में ₹934 करोड़ का घाटा हुआ, जबकि अन्य सभी सालों में सभी बड़ी कंपनियों ने भारी मुनाफा कमाया।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में सात बड़ी तेल कंपनियों ने कुल ₹2.29 लाख करोड़ का मुनाफा कमाया। पिछले 5 वर्षों में इन कंपनियों का कुल लाभ ₹7 लाख करोड़ से अधिक रहा है। अकेले रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ₹2.86 लाख करोड़ कमाए हैं।

सरकारों की कमाई का बड़ा जरिया

पेट्रोल-डीजल सरकार के लिए एक बड़ा राजस्व स्रोत हैं। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के मुताबिक, पिछले 5 वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर ₹35 लाख करोड़ की कमाई की है।

केंद्र सरकार को एक्साइज ड्यूटी, डिविडेंड और टैक्स से ₹21.4 लाख करोड़ मिले। राज्य सरकारों को VAT और अन्य रूपों में ₹13.6 लाख करोड़ की प्राप्ति हुई है।

सब्सिडी का बोझ भी पेट्रोल-डीजल से वसूला

2024-25 में केंद्र और राज्य सरकारों का कुल सब्सिडी खर्च ₹8.51 लाख करोड़ रहा। इसके एवज में दोनों को मिलाकर पेट्रोल-डीजल से ₹7.2 लाख करोड़ की कमाई हुई, यानी 85% सब्सिडी की भरपाई इसी टैक्स से हुई।

पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कितना?

पेट्रोल पर केंद्र सरकार ₹21.90 और दिल्ली सरकार ₹15.39 यानी कुल ₹37.30 प्रति लीटर टैक्स वसूलती है।डीजल पर केंद्र सरकार ₹17.80 और दिल्ली सरकार ₹12.83 यानी कुल ₹30.63 प्रति लीटर टैक्स लगता है।एक व्यक्ति की औसत मासिक खपत के अनुसार वह हर महीने करीब ₹298 का टैक्स सिर्फ ईंधन पर देता है।

सालाना खपत और उसकी दर

भारत में पेट्रोल की सालाना खपत 4,750 करोड़ लीटर, और डीजल की खपत 10,700 करोड़ लीटर है। प्रति व्यक्ति वार्षिक खपत करीब 109.6 लीटर है, जो हर साल 10.6% की दर से बढ़ रही है।

तेल कंपनियां कीमत घटाने की स्थिति में

तेल एवं गैस विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा के अनुसार, बीते तीन महीनों से कच्चा तेल 65-75 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहा है। इस आधार पर तेल कंपनियां पेट्रोल पर ₹4 और डीजल पर ₹3.5 प्रति लीटर तक दाम कम कर सकती हैं।लेकिन ऐसा नहीं हो रहा, क्योंकि सरकार ने पेट्रोल-डीजल को 'पॉलिटिकल कमोडिटी' बना दिया है। कहने को तो यह बाजार आधारित वस्तुएं हैं, पर एक-डेढ़ साल से सरकार ही कीमतों को नियंत्रित कर रही है।

निजी कंपनियों से मिल रही है सस्ती दरें

देश में रिलायंस और नायरा जैसी निजी कंपनियों के पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम हैं। अगर सरकारी कंपनियों ने कीमतें नहीं घटाईं, तो उनका बाजार शेयर तेजी से घट सकता है।देश में कच्चे तेल की गिरती कीमतों और तेल कंपनियों के बढ़ते मुनाफे के बावजूद उपभोक्ताओं को कोई राहत नहीं मिल रही। केंद्र और राज्य सरकारें टैक्स के रूप में भारी कमाई कर रही हैं और सब्सिडी के बोझ की भरपाई भी पेट्रोल-डीजल से ही हो रही है। यह स्पष्ट है कि जब तक सरकारें और कंपनियां पारदर्शी और जिम्मेदार रुख नहीं अपनातीं, तब तक उपभोक्ताओं को राहत मिलना मुश्किल है।

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