
ईरान-इजरायल युद्ध के चलते Strait Of Hormuz हुआ बंद, तो देश में LPG की किल्लत संभव
ईरान के संसद ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज बंद करने की धमकी दी है. इसी रास्ते 20 फीसदी क्रूड ऑयल सप्लाई की जाती है. कतर, यूएई और सऊदी अरब से एलपीजी भारत इसी रास्ते इंपोर्ट करता है. भले ही भारत क्रूड ऑयल दूसरे रूट से इंपोर्ट कर ले लेकिन गैस के सप्लाई बाधित होने से रसोई गैस का संकट खड़ा हो सकता है.
ईरान और इजरायल के बीच युद्ध शुरू हुए 11 दिन बीत चुके हैं. अमेरिका ने भी युद्ध में इजरायल का साथ देते हुए 22 जून के तड़के ईरान के 3 परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स के जरिए बंकर बस्टर बम गिरा दिए. अमेरिका के इस कदम के बाद मिडिल ईस्ट और वेस्ट एशिया में भारी तनाव देखा जा रहा है. अमेरिका के हमले के बाद ईरान भड़का हुआ है. ईरान के संसद ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने की सिफारिश कर दी है. हालांकि इसपर आखिरी फैसला ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामनेई लेंगे.
स्ट्रेट ऑफ़ Hormuz बंद होने पर मचेगा हाहाकार
अगर ईरान ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने का फैसला लिया तो इससे दुनियाभर में क्रूड ऑयल की सप्लाई बाधित होगी और कीमतों में जोरदार उछाल आ सकती है. स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से हर दिन 20 बिलियन बैरल प्रति दिन कच्चे तेल की सप्लाई होती है. इस क्षेत्र में दुनिया का 40 फीसदी कच्चे तेल का भंडार मौजूद है.
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के रास्ते भारत आता है क्रूड ऑयल - गैस
मौजूदा समय में भारत भले ही ईरान के क्रूड ऑयल इंपोर्ट नहीं करता हो. लेकिन इराक, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से जरूर कच्चा तेल आयात करता है जो स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के रास्ते ही भारत इंपोर्ट होकर आता है. भारत रोजाना को 5.5 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल रोजाना जो खपत करता है उसमें 1.5 से 2 मिलियन बैरल कच्चा तेल स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के रास्ते भारत आता है. जबकि 4 मिलियन बैरल कच्चा तेल दूसरे रूट्स के जरिए भारत में दाखिल होता है. भारत कतर, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कुवैत और ओमान से जो गैस इंपोर्ट करता है वो भी स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के रास्ते ही आयात होकर आता है. ऐसे में स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को ईरान ने बंद किया तो भारत की मुश्किलें बढ़ सकती है. खासतौर से देश में रसोई गैस की किल्लत हो सकती है.
भारत अलग-अलग रास्तों से करता है इंपोर्ट
हालांकि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने इजरायल और ईरान के बीत बढ़ते तनाव के बीच अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "मिडिल ईस्ट में पिछले दो हफ्तों से जो भू-राजनीतिक हालात बने हुए हैं उसपर बेहद नजदीकी नजर बनाए हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने पिछले कुछ वर्षों में सप्लाई को डायवर्सिफाई किया है और बड़ी मात्रा में हमारे देश में आने वाला सप्लाई स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के रास्ते नहीं आता है. उन्होंने लिखा, हमारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के पास अगले कई हफ्तों के लिए सप्लाई मौजूद है और दूसरे रूट्स के जरिए एनर्जी सप्लाई हमतक पहुंचती रहेगी. उन्होंने आश्वसान दिया कि नागरिकों को तेल की निर्बाध सप्लाई की स्थिरता बनाये रखने के लिए हम सभी जरूरी कदम उठायेंगे.
खाड़ी के देशों पर घट गई निर्भरता
केंद्र सरकार भरोसा दे रही है कि एनर्जी सप्लाई दूसरे रूट्स के जरिए आती रहेगी. स्ट्रेट ऑफ होर्मुज अगर बंद भी हो गया तो भारत पर इसका सीमित असर पड़ेगा. क्योंकि भारत ईरान से कच्चा नहीं खरीदता है. साथ ही पहले जहां भारत कच्चे तेल के लिए खाड़ी के देशों पर निर्भर था. लेकिन अब भारत अपने कुल इंपोर्ट का 35 फीसदी रूस से आयात करता है. रूस यूक्रेन युद्ध के बाद से ही भारत ने रूस से कच्चे तेल के आयात को बढ़ा दिया था. स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से सप्लाई बाधित होने पर भारत रूस से आयात को और बढ़ा सकता है.
रूस से भारत करता है 35 फीसदी क्रूड ऑयल इंपोर्ट
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के बैंकिंग एंड इकोनॉमिक रिसर्च ने जो डेटा तैयार किया है उसके मुताबिक 2024-25 में भारत रूस से 35 फीसदी, इराक से 19 फीसदी, सऊदी अरब से 14 फीसदी, यूएई से 10 फीसदी और अमेरिका से 5 फीसदी कच्चा तेल आयात किया था. ईरान से कोई इंपोर्ट नहीं किया गया था.
लेकिन गैस की सप्लाई पर जरूर इसका असर पड़ेगा. क्योंकि कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से भारत अपने कुल खपत का 95 फीसदी एलपीजी इन तीन देशों से ही आयात करता है. कतर से भारत ने साल 2023 में 9.71 बिलियन डॉलर, यूएई से 5.74 बिलियन डॉलर और सऊदी अरब से 2.29 बिसियन डॉलर और कुवैत से 2.05 बिलियन डॉलर का गैस इंपोर्ट किया था. ऐसे में इजरायल ईरान युद्ध के चलते स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से सप्लाई बाधित होने पर भारत में रसोई गैस का संकट खड़ा हो सकता है.
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के बंद होने से बढ़ेगी महंगाई, घटेगा जीडीपी
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के बंद होने पर क्या पड़ेगा भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर? इस पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने अपने रिसर्च रिपोर्ट में बताया कि 70 डॉलर प्रति बैरल कच्चे तेल के दामों को बेस प्राइस माना जाए तो इससे 10 फीसदी दामों में उछाल आने पर जीडीपी पर 15 बेसिस प्वाइंट, महंगाई दर पर 30 बेसिस प्वाइंट, चालू खाते के घाटे पर 16 बिलियन डॉलर और प्रतिशत में 0.4 फीसदी का इसर पड़ेगा. अगर कत्चे तेल की कीमत 95 डॉलर प्रति बैरल को गया तो जीडीपी पर 45 बेसिस प्वाइंट महंगाई दर पर 90 बेसिस प्वाइंट, और चालू खाते के घाटे पर 1.1 फीसदी का असर पड़ेगा. और अगर कीमतें 115 डॉलर प्रति बैरल दाम होने पर जीडीपी पर 75 बेसिस प्वाइंट, महंगाई दर में 1.15 फीसदी, और चालू खाते के घटा में 80 बिलियन डॉलर या 1.8 फीसदी का असर पड़ेगा.
पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाने का दबाव
क्रूड ऑयल के दामों में तेज इजाफा होने पर सरकारी तेल कंपनियों के लिए लागत बढ़ जाएगी. ऐसे में पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाने का दबाव बढ़ सकता है. ऐसे हुआ तो महंगाई के बढ़ने का खतरा है. जाहिर है इजरायल ईरान के बीच युद्ध लंबा खींचा तो भारत की मुश्किलें बढ़ सकती है.