
जेफरीज, जो कभी अडानी के अभियान का था अहम हिस्सा अब आपसी संबंधों की कर रहा समीक्षा
अमेरिकी निवेश बैंक, जिसने 2023 हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी समूह को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उसके साथ भविष्य के व्यापार का “मामला दर मामला” आकलन करेगा
Jefferies Bank And Adani : अमेरिकी निवेश बैंक जेफरीज़ भारतीय अरबपति गौतम अडानी के कारोबारी साम्राज्य के साथ अपने संबंधों को लेकर विवादों के केंद्र में आ गया है। एक समय अपने रणनीतिक लाभ के लिए जाना जाने वाला यह बैंक, अब अमेरिका के धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के आरोपों के बाद गंभीर जांच का सामना कर रहा है।
अडानी समूह पर लगे गंभीर आरोप
जनवरी 2023 में, अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप लगाए थे, जिससे समूह को निवेशकों का विश्वास खोने का संकट सामना करना पड़ा। इन आरोपों के बावजूद, जेफरीज़ ने अडानी समूह के साथ अपने संबंधों को बनाए रखते हुए, समूह के लिए $1.9 बिलियन की पूंजी जुटाने में मदद की।
भारत में जेफरीज़ का विस्तार
फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, जेफरीज़ ने भारत में अपनी स्थिति को मजबूत किया है। बैंक ने केवल कुछ वर्षों में भारत में निवेश की फीस के आधार पर आईसीआईसीआई बैंक के बाद दूसरा स्थान प्राप्त किया है। भारतीय बाजार पर बैंक का ध्यान गहरा होता जा रहा है, और इसके परिणामस्वरूप, जेफरीज़ ने पिछले तीन वर्षों में 50 से अधिक लेन-देन किए हैं, जिनमें से कई अडानी समूह और GQG पार्टनर्स से जुड़े हुए थे।
अमेरिकी अभियोग और जेफरीज़ का दांव
अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं, खासतौर पर अडानी ग्रीन एनर्जी से जुड़े एक मामले में। इसके बावजूद, जेफरीज़ ने अडानी के समर्थन में कदम उठाए। हालांकि, इन घटनाओं के बाद, बैंक अब अधिक सतर्कता बरतने की कोशिश कर रहा है।
एक नाजुक संतुलन
अडानी के साथ जेफरीज़ का रिश्ता अब एक नाजुक मोड़ पर आ खड़ा हुआ है। बैंक ने पहले अडानी समूह के साथ अपने रिश्तों को "सफल" बताया था, लेकिन अब वह भविष्य में ऐसे लेन-देन पर विचार करेगा, जो “मामला दर मामला” के आधार पर होंगे। इस बदलाव का संकेत है कि जेफरीज़ अब अडानी समूह के साथ अपनी साझेदारी को लेकर अधिक सतर्क हो गया है। जेफरीज़ का अडानी समूह के साथ संबंध और इसका भविष्य भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय निवेश जगत में महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां एक ओर यह बैंक अपने जोखिम लेने की प्रवृत्ति को प्रदर्शित करता है, वहीं दूसरी ओर यह अपनी साख और नैतिकता की परीक्षा में भी खड़ा है।
Next Story