मंगलवार को पेश होने वाले बजट से कितना मंगल,  आप क्या उम्मीद कर सकते हैं ?
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मंगलवार को पेश होने वाले बजट से कितना मंगल, आप क्या उम्मीद कर सकते हैं ?

नरेंद्र मोदी सरकार मंगलवार को बजट पेश करने जा रही है. समाज के हर तबके की उम्मीद टिकी है क्या कुछ तोहफा मिल सकता है


Budget 2024-25: नरेंद्र मोदी 3.O का पहला बजट मंगलवार 23 जुलाई को पेश किया जाएगा. यह बजट पहले से थोड़ा सा अलग इसलिए है कि सरकार सहयोगी दलों के समर्थन पर निर्भर है. यानी कि एक तरफ बजट में राजकोषी घाटे को नियंत्रित करना है तो दूसरी तरफ लोकलुभान घोषणाओं के जरिए सहयोगी दलों को खुश भी रखना है.इस तरह की उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार अपने घाटे को जीडीपी का 5.1 कर सकती है. इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों में रोजगार पर और ध्यान दिया जा सकता है.

सरकार के पास है स्कोप
आर्थिक मामलों के जानकार कहते हैं कि इस वित्तीय वर्ष में केंद्रीय बैंकों से मिलने वाला डिविडेंट और टैक्स रेवेन्यू में इजाफे से मोदी सरकार बिना किसी घाटे के विकास की रफ्तार को और गति दे सकती है..यहां पर हम बताएंगे कि वित्त मंत्री के भाषण में आप किस चीज की उम्मीद कर सकते हैं.कोविड काल के बाद भारत की जीडीपी में 9.2 फीसद का उछाल आया और उसका फायदा यह हुआ कि सरकार फिस्कल डेफिसिट को कम करने में कामयाब रही है. देश की क्रेडिट रेटिंग में भी सुधार हुआ है. इस वर्ष फरवरी के महीने में सीतारमण में मार्च 2025 तक फिस्कल डेफिसिट को 5.1 फीसद पर रहने की उम्मीज जताई थी और यह भी कहा कि मार्च 2026 तक 4.5 फीसद पर रहेगी.

मालामाल है सरकारी खजाना
जानकारों का कहना है कि केंद्रीय बैंकों से 25 बिलियन डॉलर के डिविडेंड की वजह से फिस्कल डेफिसिट को 5 फीसद के करीब लाने में मदद मिलेगी. इस वित्त वर्ष में नेट डॉयरेक्ट टैक्स कलेक्शन में भी 20 फीसद की बढ़ोतरी हुई है.इस तरह से 16.7 बिलियन डॉलर भारतीय अर्थव्यवस्था में जुड़ा है. ब्लूमबर्ग सर्वे के मुताबिक, संभावित रूप से कम घाटा सरकार को इस वित्त वर्ष में अपनी उधारी जरूरतों को 14.1 ट्रिलियन रुपये पर अपरिवर्तित रखने की अनुमति देगा। यह भारत के बॉन्ड बाजार को अतिरिक्त बढ़ावा दे सकता है, जहां बेंचमार्क पैदावार दो साल के निचले स्तर की ओर बढ़ रही है.

पिछले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत बढ़ी, लेकिन निजी खपत में वृद्धि, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का आधे से अधिक हिस्सा बनाती है,जो 4 प्रतिशत थी। उपभोक्ताओं को बढ़ावा देने के लिए, सरकार सबसे अधिक खर्च करने की प्रवृत्ति रखने वालों के लिए व्यक्तिगत आयकर को कम करने पर विचार कर सकती है, ब्लूमबर्ग के मुताबिक 5,00,000 रुपये से 15,00,000 रुपये की वार्षिक आय वाले व्यक्ति - जिन पर वर्तमान में 5 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक कर लगाया जाता है. इस कदम से लाभ हो सकता है.

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