
मेड इन इंडिया इंजन का सपना जल्द हो सकता है पूरा, वार्ता जल्द होगी पूरी
भारत को जल्द मिल सकता है अपना लड़ाकू जेट इंजन. HAL-GE सौदे पर तीन महीने में व्यावसायिक बातचीत पूरी होगी.
Made In India Engine : भारत के स्वदेशी लड़ाकू जेट कार्यक्रम को गति देने वाली दो अहम पहलें अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच गई हैं। सरकारी स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) एयरोस्पेस जल्द ही लड़ाकू जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन को लेकर व्यावसायिक बातचीत शुरू करने वाले हैं। इसके साथ ही, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने भारत में उन्नत जेट इंजन निर्माण के लिए फ्रांसीसी कंपनी सैफरान को साझेदार के रूप में अंतिम रूप दे दिया है।
HAL-GE सौदा: F414 इंजन का सह-उत्पादन
अधिकारियों ने बताया कि लक्ष्य है कि अगले तीन महीनों में व्यावसायिक बातचीत पूरी कर ली जाए और सौदे को अंतिम रूप दिया जाए। इस समझौते के तहत GE के F414 इंजन भारत में HAL के साथ सह-उत्पादित किए जाएंगे, जो भारतीय वायुसेना के एलसीए Mk2 (LCA Mk2) लड़ाकू विमान को शक्ति देंगे।
यह समझौता जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान घोषित हुआ था। अमेरिकी कांग्रेस ने अगस्त 2023 में इसे मंजूरी भी दे दी थी, लेकिन वाणिज्यिक बातचीत अब तक अटकी रही। अब अधिकारियों का मानना है कि साल के अंत तक इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
तकनीकी हस्तांतरण: 80% पर सहमति
GE एयरोस्पेस ने भारत को 80% इंजन तकनीक हस्तांतरित करने पर सहमति दी है। इसमें 12 अहम तकनीकें शामिल हैं, जैसे –
टर्बाइन ब्लेड के लिए सिंगल क्रिस्टल मशीनिंग और कोटिंग
जंग, क्षरण और हॉट एंड पार्ट्स के लिए विशेष कोटिंग
ब्लिस्क मशीनिंग और नोजल गाइड वेन का कोटिंग
हालाँकि, कंप्रेसर, दहन कक्ष और टरबाइन जैसे कुछ जटिल घटकों का हस्तांतरण अब भी रोका गया है।
DRDO-सैफरान साझेदारी: AMCA के लिए इंजन
इसके समानांतर, DRDO ने बेंगलुरु स्थित गैस टर्बाइन अनुसंधान प्रतिष्ठान (GTRE) के साथ मिलकर सैफरान को उन्नत जेट इंजन के लिए साझेदार चुना है। यह इंजन भारत के स्वदेशी पाँचवीं पीढ़ी के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) को शक्ति देगा। DRDO जल्द ही इस प्रस्ताव को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) के पास ले जाएगा।
रणनीतिक महत्व और प्रधानमंत्री का आह्वान
विशेषज्ञों के अनुसार, यह सौदा ऐतिहासिक है क्योंकि अब तक भारत स्वदेशी रूप से जेट इंजन बनाने में सफल नहीं रहा है। पूरी दुनिया में केवल गिने-चुने देशों के पास ही यह अत्याधुनिक तकनीक है।
15 अगस्त के अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आह्वान किया था:
“जैसे हमने कोविड-19 के दौरान टीका बनाया और डिजिटल पेमेंट के लिए यूपीआई का निर्माण किया, वैसे ही अब हमें अपने लड़ाकू विमानों के लिए स्वदेशी जेट इंजन बनाने होंगे।”
आगे की राह
अधिकारियों का कहना है कि HAL-GE समझौते पर हस्ताक्षर के तीन साल के भीतर जेट इंजन का उत्पादन शुरू हो जाना चाहिए। यह प्रक्रिया एलसीए Mk2 विमान के प्रोटोटाइप परीक्षण और उत्पादन शेड्यूल के साथ मेल खाएगी।
भारत के लिए यह साझेदारियाँ केवल रक्षा क्षमता बढ़ाने का नहीं, बल्कि एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक कदम हैं।
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