राजनितिक प्राथमिकताओं पर केन्द्रित सामान्य आदमी के लिए मोदी 3.0 का बजट
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राजनितिक प्राथमिकताओं पर केन्द्रित सामान्य आदमी के लिए मोदी 3.0 का बजट

मोदी 3.0 सरकार ने अपने पहले बजट को कुछ इस तरह से तैयार किया है, जो सिर्फ बजट नहीं बल्कि राजनितिक प्राथमिकताओं को भी दर्शा रहा है. इस बजट में मोदी सरकार ने उन कारणों पर काम किया है, जो लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए बहुमत के आंकड़े से दूर रहने का कारण बने


Budget 2024 : मोदी 3.0 सरकार ने अपने पहले बजट को कुछ इस तरह से तैयार किया है, जो सिर्फ बजट नहीं बल्कि राजनितिक प्राथमिकताओं को भी दर्शा रहा है. इस बजट में मोदी सरकार ने उन कारणों पर काम किया है, जो लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए बहुमत के आंकड़े से दूर रहने का कारण बने. इस बजट में मोदी सरकार ने अपने प्राथमिक मतदाता यानी युवा मतदाता पर तो फोकस किया ही है, उसके साथ ही महिलाओं, किसानों, ग्रामीण और शहरी गरीबों का भी ख्याल रखा गया है.

ये बजट कुछ अहम सन्देश भी देता है. सबसे पहला ये कि नए भारत की बात करने वाली मोदी सरकार ने युवा मतदाताओं की नाराज़गी को दूर करने का प्रयास किया है. जिस तरह से लोकसभा चुनाव में बेरोज़गारी का मुद्दा गर्म रहा और युवाओं के गुस्से ने सरकार को हिला कर रख दिया. उसे देखते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने इस विषय पर पुरजोर मेहनत करते हुए इस बजट की शुरुआत रोज़गार पर नए उपायों से की. जैसे पहली बार नौकरी पाने वाले युवा को एक महीने के वेतन का 15,000 रुपये तक का प्रत्यक्ष-लाभ हस्तांतरण करना.
- कॉर्पोरेट सोशल जिम्मेदारी ( CSR ) निधि द्वारा एक करोड़ से ज्यादा युवाओं को इंटर्नशिप का प्रावधान, जिन्हें बड़ी कंपनियों द्वारा 5 हजार रूपये महीने तक दिया जायेगा. इसके साथ ही 1 करोड़ युवाओं के लिए कौशल योजनाएँ शामिल हैं की गयी हैं.
- इसके अलावा सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया है कि अगले सात सालों में गैर कृषि क्षेत्र में लगभग 8 करोड़ ( 7 करोड़ 80 लाख ) नौकरियों की आवश्यकता है और ये बजट एक प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया प्रतीत होता है.
- इस बजट में नए आयकर स्लैब में बदलाव के साथ युवा टैक्स पेयर्स के हाथों में अधिक पैसा डालने का भी प्रयास किया है. नयी टैक्स प्रणाली के तहत प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 17,500 रुपये अधिक की बचत की संभावना है.
दूसरा, सरकार ने किसानों और ग्रामीण भारत के बीच समर्थन में कमी को देखते हुए इस बजट की राशी को सही जगह लगाया है. इस वर्ष के बजट में कृषि व्यय 11 हजार 318 करोड़ से बढ़कर अब 1.52 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. ग्रामीण खर्च का भी बजट में ध्यान रखा गया है, जिसमें 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि करके 2.66 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है.
तीसरा, बजट में जिस तरह से आंध्र प्रदेश और बिहार को महत्व दिया गया है, वो नई राजनीतिक वास्तविकताओं को रेखांकित करता है. जो मोदी सरकार के गठबंधन की सरकार को रेखांकित करती हैं. जबकि केंद्र सरकार ने बजट से पहले बिहार और आंध्र के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे की मांग को खारिज कर दिया था.
- आंध्र के लिए : इस बजट में आंध्र की नई राजधानी के लिए 15,000 करोड़ रुपये तक के बहुपक्षीय वित्तपोषण के लिए समर्थन के साथ-साथ पोलावरम सिंचाई परियोजना को वित्तपोषित करने और पूरा करने के लिए समर्थन शामिल है, जिसे आंध्र प्रदेश और उसके किसानों के लिए जीवन रेखा माना जाता है.
- बिहार के लिए : बिहार जहां अगले साल एक महत्वपूर्ण राज्य चुनाव होने वाला है, वित्त मंत्री ने वादा किया है कि बहुपक्षीय विकास बैंकों से बाहरी सहायता के लिए बिहार सरकार के अनुरोधों में तेजी लाई जाएगी. इसके अलावा सड़क परियोजनाओं के लिए 26,000 करोड़ रुपये और बिजली परियोजनाओं के लिए 21,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे.
- टूरिज्म के लिहाज से भी बिहार के लिए मंदिर अर्थव्यवस्था के विचार पर भी जोर दिया गया. गया के विष्णुपद मंदिर और बौध गया के महाबोधि मंदिर के आसपास कॉरिडोर के विकास के लिए समर्थन का प्रस्ताव रखा गया है, जैसे कशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का मॉडल है.
- नालंदा को पर्यटन केंद्र के रूप में मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है. बता दें नालंदा को मुख्यमंत्री नितीश कुमार का गढ़ माना जाता है.
चौथा, मोदी सरकार ने पिछले कुछ वर्षों से बजट का एक स्पष्ट उद्देश्य, राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करते हुए विकास को बढ़ावा देने के लिए पूंजीगत व्यय में वृद्धि करना रहा है. इस बार भी सरकार ने हमेशा की तरह काम करने का संकेत दिया है. वित्त मंत्री के अनुसार बुनियादी ढांचे पर खर्च पहले की तरह ही 11.11 लाख करोड़ रुपये पर जारी रहेगा जबकि राजकोषीय घाटा 4.9% (अंतरिम बजट में अनुमानित 5.1% की तुलना में) तक कम होने की उम्मीद है.
पांचवा और आखिरी, स्टार्ट एप को गति देने का प्रयास किया गया है. इसके लिए सरकार ने सभी श्रेणियों के लिए एंजेल टैक्स को समाप्त करने की बात कही है. उद्देश्य यही है कि स्टार्ट अप के जरिये बेरोज़गारी दूर की जा सके, कुछ लोग अपना व्यवसाय खड़ा करें तो कुछ और लोगों को रोज़गार का अवसर भी दें.


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