ये 7 रिंग रोड प्रोजेक्ट, जो 2029 तक सफर के समय को कर देंगे कम
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ये 7 रिंग रोड प्रोजेक्ट, जो 2029 तक सफर के समय को कर देंगे कम

हाईवे और एक्सप्रेस-वे के जरिए हम दिनों का सफर घंटों में पूरा कर लेते हैं. इससे समय के साथ फ्यूल में खर्च होने वाले पैसों की भी बचत होती है.


Mumbai infrastructure: किसी भी देश के विकास के पीछे उसकी कनेक्टिविटी होती है. यानी कि एक शहर या राज्य का दूसरे शहर या राज्य से जोड़ने के लिए सड़क, वायु मार्ग और रेल मार्ग का होना. हालांकि, भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से हर जगह रेल मार्ग और एयरपोर्ट नहीं बनाए जा सकते हैं. इसलिए सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता सड़क होती है. वैसे भी आजकल हाईवे और एक्सप्रेस-वे के जरिए हम दिनों का सफर घंटों में पूरा कर लेते हैं. इससे समय की बचत होने के साथ ही फ्यूल में खर्च होने वाले पैसों की भी बचत होती है. मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है. ऐसे में जरूरी है कि वहां तक का सफर सुगम और आसान हो. ऐसे में सरकार कनेक्टिविटी के लिए कई प्रोजेक्ट पर काम कर रही है.

मुंबई का बुनियादी ढांचा बदलाव की राह पर है. क्योंकि आने वाले पांच सालों में पूरे शहर को नया रूप देने के लिए कई रोड प्रोजेक्ट शुरू होने वाले हैं. मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) ने एक मास्टरप्लान तैयार किया है, जो मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) में फैले सड़कों, पुलों, सुरंगों और फ्लाईओवरों के विशाल नेटवर्क के माध्यम से शहर की कनेक्टिविटी को नया रूप देगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर में वडोदरा के पास गुजरात की सीमा से लेकर दक्षिण में अलीबाग तक फैली इस व्यापक परियोजना का उद्देश्य 2029 तक शहर में जाम की समस्या को कम करना है. रिंग रोड योजना के तहत लगभग 90.18 किलोमीटर अतिरिक्त सड़कें बनाई जानी हैं. इनको 58,517 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से तैयार किया जाएगा. इनको मौजूदा सड़कों और आने वाले मेट्रो सिस्टम, पुलों और फ्लाईओवरों से जोड़े जाने की योजना है. इसके तैयार हो जाने के बाद मुंबई में यात्रा तेज और सुगम हो जाएगी. नई सड़कें, झुग्गी पुनर्विकास और सार्वजनिक परिवहन सुधार सहित इस परियोजना पर लगभग 3 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.

इन योजनाओं के पूरा होने के बाद शहर की जीडीपी साल 2030 तक 140 बिलियन डॉलर से दोगुना होकर 300 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है.

प्रमुख रिंग रोड योजनाएं

पहला रिंग रोड

यह रिंग रोड मुंबई कोस्टल रोड के साथ नरीमन पॉइंट से शुरू होकर बांद्रा-वर्ली सी लिंक की ओर जाएगा, जो सेवरी-वर्ली कनेक्टर से जुड़ती है और ईस्टर्न फ़्रीवे और आगामी ऑरेंज गेट टनल से गुज़रती है.

दूसरा रिंग रोड

यह भी नरीमन पॉइंट से शुरू होकर बांद्रा-वर्ली सी लिंक और वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे से होकर गुजरता है. सांताक्रूज़, चेंबूर और ईस्टर्न फ़्रीवे जैसे प्रमुख जंक्शनों को जोड़ता है और फिर कोस्टल रोड के माध्यम से नरीमन पॉइंट पर लूप बंद कर देता है.

तीसरा रिंग रोड

यह भी इसी तरह के मार्ग का है, जो नरीमन पॉइंट को बांद्रा-वर्ली सी लिंक और जोगेश्वरी-विक्रोली लिंक रोड (JVLR) से जोड़ता है, जो पवई-कांजुरमार्ग जंक्शन तक फैला हुआ है. फिर यह ईस्टर्न फ़्रीवे से जुड़ जाता है और ऑरेंज गेट टनल से वापस चला जाता है.

चौथा रिंग रोड

यह नरीमन पॉइंट को बांद्रा-वर्ली सी लिंक से जोड़ता है और आगे उत्तर में वर्सोवा-बांद्रा सी लिंक और गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड (जीएमएलआर) तक फैला हुआ है, जो ठाणे से होते हुए दक्षिण मुंबई तक एक लूप बनाता है.

पांचवां रिंग रोड

यह मार्ग व्यापक यात्रा के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो नरीमन पॉइंट को वर्सोवा-दहिसर लिंक रोड से जोड़ता है, फिर घोड़बंदर सुरंग और फाउंटेन होटल कनेक्टर के माध्यम से ठाणे और भायंदर तक आगे बढ़ता है. यह मुंबई और उसके उत्तरी उपनगरों के बीच संपर्क में सुधार करेगा.

छठी आउटर रिंग रोड

यह सड़क मुंबई को मल्टी-मॉडल अलीबाग-विरार कॉरिडोर से जोड़ती है, जो अलीबाग, ठाणे और विरार के बीच सुगम पहुंच प्रदान करती है. ठाणे से होकर तटीय सड़क को शामिल करने से यह संपर्क और बेहतर होगा.

सातवीं आउटर रिंग रोड

शायद सबसे व्यापक, यह रिंग रोड नरीमन पॉइंट से शुरू होती है. वर्सोवा-भायंदर लिंक रोड के साथ यात्रा करती है और वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे से जुड़ती है. अंततः जेएनपीटी पोर्ट रोड के माध्यम से अटल सेतु से जुड़ती है. यह ऑरेंज गेट सुरंग के माध्यम से वापस लूप करती है, जिससे एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक माल ढुलाई मार्ग बनता है.

इन योजनाओं का लक्ष्य शहर में यात्रा के समय को एक घंटे से कम करना है. ये नई सड़कें, टनल और हाईवे न केवल भीड़भाड़ को कम करेंगे, बल्कि आर्थिक विकास के लिए भी काम करेंगे.

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