50 लाख से अधिक कीमत वाला घर होगा महंगा, लगेगा एक फीसद टीडीएस
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50 लाख से अधिक कीमत वाला घर होगा महंगा, लगेगा एक फीसद टीडीएस

अगर आप 50 लाख से अधिक कीमत वाले घर को बेचते या खरीदते हैं उस केस में एक फीसद टीडीएस देना होगा. यह व्यवस्था 1 अक्टूबर से लागू होने जा रही है.


TDS on Property: हर शख्स का सपना होता है कि उसका अपना कम से कम एक घर हो.शहरी इलाकों में अपार्टमेंट कल्चर का क्रेज भी बढ़ चला है. मिडिल क्लास घर खरीदते समय अपने बजट का भी ध्यान रखता है. इन सबके बीच बजट 2024 से जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक 50 लाख से अधिक कीमत वाले घर की खरीद पर एक फीसद टीडीएस कटेगा। अगर आपकी घर की खरीद में एक से अधिक लोग है तो भी टीडीएस कटेगा. इसी तरह से जो मकान बेचेगा उस शख्स पर भी यह सिद्धांत अमल में रहेगा.

एक फीसद टीडीएस की गणित
इसे आप सरल शब्दों में ऐसे समझिए। मान लीजिए दो लोग मिलकर घर खरीदते हैं जिसकी कीमत 55 लाख रुपए है. घर की खरीद में एक शख्स 35 लाख और दूसरा 20 लाख देता है तो भले ही यह राशि अलग अलग 50 लाख से कम है. बावजूद एक फीसद टीडीएस लगेगा। इसी तरह अगर दो लोगों ने किसी घर को बेचा और रकम 51 लाख मिली. इसमें दोनों का शेयर भले ही कुछ भी हो 1 फीसद टीडीएस देना होगा। एक फीसद टीडीएस, खरीद मूल्य या स्टैंप ड्यूटी जो अधिक है उस पर लगेगा। बता दें कि एक अक्तूबर से इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा।

कुछ टैक्सपेयर्स कर रहे गलत व्याख्या

कुछ करदाता यह व्याख्या कर रहे हैं कि भुगतान या जमा किया जा रहा विचार अचल संपत्ति के लिए भुगतान किए गए कुल विचार के बजाय प्रत्येक व्यक्तिगत खरीदार के भुगतान को संदर्भित में है। है। ज्ञापन के मुताबिक इस व्याख्या के आधार पर, यदि खरीदार प्रत्येक 50 लाख रुपये से कम का भुगतान कर रहे हैं, तो कोई कर नहीं काटा जा रहा है, भले ही अचल संपत्ति का खरीद मूल्य या स्टांप शुल्क मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक हो। यह नियम के खिलाफ है। इस लिए यह स्पष्ट करने के लिए अधिनियम की धारा 194-आईए की उप-धारा (2) में संशोधन करने का प्रस्ताव है कि जहां एक अचल संपत्ति के संबंध में एक से अधिक विक्रेता या खरीदार हैं, तो सभी को चाहे विक्रेता(एक या एक से अधिक) या खरीदार (एक या एक एक से अधिक) ऐसी अचल संपत्ति के हस्तांतरण के लिए भुगतान की गई या देय राशि का कुल योग होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि खरीदारों को इस बदलाव के बारे में पता होना चाहिए क्योंकि स्रोत पर कर न काटने और जमा न करने पर जुर्माना काफी अधिक है। टीडीएस काटने और जमा करने के अलावा खरीदारों को आयकर विभाग के ई-पोर्टल (ट्रेसेज) पर टीडीएस प्रमाणपत्र बनाने के बाद उसे जारी भी करना होगा। इस संशोधन से खरीदारों पर अनुपालन का बोझ बढ़ जाएगा।

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