अनंत सफर पर उद्योगपति रतन टाटा, पीछे छोड़ गए अनमोल यादें
उद्योग जगत के दिग्गज चेहरे रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं हैं। 86 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली।
Ratan Tata Death News: भारत के सबसे चहेते और दुनिया के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया है। रतन टाटा ने 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में सांस ली है। रतन टाटा आजादी के बाद के उन उद्योगपतियों में से एक थे, जिन्होंने न केवल अपने हम उम्र और आज 40-50 साल के उम्र में जी रहे लोगों को प्रेरणा दी है। बल्कि मिलेनियर भी उनके बड़े फॉलोअर्स रहे थे। उनकी लोकप्रियता का आलम यह है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर उनके 10 मिलियन फॉलोअर्स हैं। जबकि X पर 12.6 मिलियन फॉलोअर्स है। भारत में रतन टाटा एक ऐसा नाम रहा है जिसने आम आदमी को कार मालिक बनने का सपना दिखाया, यही नहीं उन्होंने ग्लोबल लेवल पर भारतीय कंपनियां अंग्रेजों का गुरूर तोड़ सकती है, इसका अहसास भी कराया।
कैसे जी सकते हैं सिंपल लाइफ
इसके साथ ही एक उद्योगपति कैसे बेहद सिंपल लाइफ जी सकता है, इसका भी उन्होंने उदाहरण पेश किया। यही नहीं उन्होंने टाटा ग्रुप को ग्लोबल बनाया, जो कभी एक देसी ग्रुप के रूप में ही अपनी पहचान रखता था। इसके साथ ही रिटायरमेंट के बाद दानवीरता की भी ऐसी मिसाल पेश की है, जो देश के धनाढ्य लोगों को राह दिखाती है। साथ ही उनका पशु प्रेम भी जगजाहिर रहा है। जिसके लिए वह भी कुछ करने के लिए तैयार रहते थे। यही नहीं न जानें कितने युवाओं के स्टार्टअप में निवेश कर उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।
पद्म सम्मान से नवाजे गए
28 दिसंबर 1937 को जन्मे रतन टाटा को को भारत सरकार ने पद्म विभूषण और पद्म भूषण से भी नवाजा है। उन्होंने टाटा ग्रुप में अपना कैरियर साल 1961 में 24 साल की उम्र में शुरू किया था। उनका पहला काम टाटा स्टील में शॉप फ्लोर का ऑपरेशन मैनेज करना था। वहां से बिजनेस के गुर सीखते हुए रतन टाटा 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने थे। जिस समय रतन टाटा ने ग्रुप की कमान संभाली थी, उसका ज्यादा बिजनेस भारत में था। और उसकी कमाई करीब 5.7 अरब डॉलर थी। उस समय उन्होंने जेआरडी टाटा से ग्रुप की कमान मिली थी। और जब उन्होंने 2012 में करीब 21 साल के कार्यकाल के बाद ग्रुप की कमान छोड़ी थी, तो ग्रुप का रेवेन्यू 12 गुना बढ़ चुका था। और करीब 83 अरब डॉलर का ग्रुप बन चुका था। इसी तरह 2016 में साइरस मिस्त्री को कमान सौंपते वक्त, रतन टाटा की अगुआई में ग्रुप का रेवेन्यू 20 गुना बढ़ चुका था। टाटा ग्रुप के चेयरमैनशिप से वह 75 साल की उम्र में रिटायर हुए।
टाटा ग्रुप जब ग्लोबल बना
रतन टाटा का टाटा ग्रुप के लिए सबसे अहम योगदान यह रहा कि उन्होंने ग्रुप को ग्लोबल बना दिया। उन्होंने अपने दौर में बड़ी ग्लोबल डील की थी। इसमें टाटा ने Tetley को साल 2000 में कोरस स्टील को 2007 में और जगुआर लैंडरोवर को साल 2008 में खरीदा था। यही नहीं उन्हीं के दौर में टीसीएस (TCS)दुनिया में छाई और आज वह भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी बन गई है। इसके अलावा रतन टाटा देश के उन चुनिंदा उद्योगपतियों में से एक थे, जिन्होंने 80 और 90 के दशक में उदारीकण का पुरजोर समर्थन किया। उनकी रिस्क लेने की क्षमता का ही असर था, कि टाटा ग्रुप दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में पहुंच गया। यही नहीं उनका एक ऐसा सपना जो उनके चेयरमैन रहते पूरा नहीं हो पाया लेकिन उनके जीवन काल में पूरा हुआ। वह था एयर इंडिया की टाटा ग्रुप में वापसी। जो कभी टाटा ग्रुप की हुआ करती थी, लेकिन बाद में उसे सरकार ने खरीद लिया था।
लखटकिया कार का सपना हुआ साकार
रतन टाटा ने भारत के आम आदमी को एक लाख में कार खरीदने का सपना भी दिखाया। और इसे पूरा करने के लिए उन्होंने बाजार में 2008 में टाटा नैनो उतारी। हालांकि यह कार उनकी उम्मीदों के अनुसार बाजार में धमाल नहीं दिखा पाई। जिसका उन्हें अफसोस भी रहा। लेकिन उनके दौर में ही टाटा ने पैसेंजर कार सेगमेंट में नैनो, इंडिका और इंडिगो को उतारकर टाटा की एक नए बाजार में एंट्री कराई। और उसी शुरूआत का नतीजा है कि आज टाटा मोटर्स नेक्सॉन, टिआगो, टिगोर, हैरिअर जैसी न्यू एज कारों के जरिए तेजी से पैसेंजर कार बाजार में पकड़ बना रही है।
दान देने में भी पीछे नहीं
रतन टाटा ने दानवीरता के क्षेत्र में टाटा ग्रुप की लीगेसी को बरकरार रखा। और टाटा संस के जरिए अपनी बड़ी कमाई दान की। उन्होंने टाटा टाटा ग्रुप के अपने कुल शेयर का 65 फीसदी हिस्सा टाटा संस में दान कर दिया। जो एजुकेशन, हेल्थकेयर, सोशल डेवलपमेंट प्रोजेक्टस में काम करता है। इसके अलावा कोरोना के दौर में उन्होंने करीब 500 करोड़ दान किए थे। इसी तरह मुंबई में तात होटल पर हुए हमले के बाद उन्होंने ताज पब्लिक सर्विस वेलफेयर ट्रस्ट बनाया। जो 26 नवंबर के हमले के पीड़ितों और उनके परिवारों की मदद करता है।
रतन टाटा ने रिटायरमेंट के बाद करीब स्टार्टअप में निवेश किया। इसमें UPSTOX, लेंसकार्ट, डॉगस्पॉट, क्योरफिट, पेटीएम, स्नैपडील, नेस्ट अवे सहित दर्जनों स्टार्टअप में निवेश किया। एक इंटरव्यू में उन्होंने खुद को एक्सीडेंटल स्टार्टअप निवेशक बताया था। इतना कुछ होने के बावजूद रतन टाटा बेहद सिंपल जीवन जीते थे। और एक सिंपल से घर में रहते थे। अविवाहित रतन टाटा ने अपने 86 साल के जीवन में टाटा ग्रुप से लेकर देश, समाज को बहुद कुछ दिया है और उनकी विदाई उनकी इन्हीं खूबियों की सुंदर यादों के साथ हुई है।