Gold Loan
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गोल्ड-सिल्वर लोन पर आरबीआई ने जारी किया दिशानिर्देश

RBI ने गोल्ड-सिल्वर लोन को लेकर जारी किए दिशानर्देश, जानें अब गिरवी रखे ज्वेलरी पर कितना मिलेगा कर्ज

आरबीआई का मकसद है कि लोन पारदर्शी तरीके से मिले, गिरवी रखी संपत्ति की सुरक्षा हो. छोटे कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ज़्यादा भरोसा और सुरक्षा मिलेगी, साथ ही धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगेगी.


RBI On Gold Loan: गोल्ड और सिल्वर लोन को लेकर बैंकिंग सेक्टर के रेगुलेटर भारतीय रिजर्व बैंक ने नया दिशानिर्देश जारी कर दिया है. नए गाइडलाइंस के तहत 2.5 लाख रुपये तक के गोल्ड लोन लेने के लिए गिरवी के तौर पर रखे जाने वाले सोने के आंके गए वैल्यू का 85 फीसदी तक लोन मिल सकेगा. जबकि 5 लाख रुपये से ज्यादा के गोल्ड लोन लेने पर कुल वैल्यू का 75 फीसदी ही लोन दिया जाएगा.

गोल्ड-सिल्वर लोन पर जारी हुआ दिशानिर्देश

आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के ऐलान के बाद हुए प्रेस कॉंफ्रेंस में गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अगले कुछ दिनों में इस गाइडलाइंस के जारी करने के संकेत दिए थे. शुक्रवार 6 जून को आरबीआई ने सोने और चांदी पर लोन देने को लेकर अपना दिशानिर्देश जारी कर दिए. सोने या चांदी के गहने गिरवी रखकर लोन लेने वालों को अब कुछ नए नियमों का पालन करना होगा. रिजर्व बैंक के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, अब बैंकों और अन्य कर्जदाताओं को लोन देने से पहले कई अहम बातों का ध्यान रखना होगा. ये नियम लोन पारदर्शिता बढ़ाने और गलत तरीकों से लिए जा रहे कर्ज को रोकने के लिए बनाए गए हैं.

आरबीआई ने गोल्ड-सिल्वर लोन के लिए नए सिरे से लोन टू वैल्यू (LTV) रेशियो फिक्स कर दिया है जिसे बैंकों और एनबीएफसी कंपनियों को पालन करना होगा. इस नए गाइडलाइंस के तहत अगर लोन अमाउंट 2.50 लाख रुपये तक है तो गिरवी के तौर पर रखे गए वैल्यू का 85 फीसदी तक लोन मिलेगा. 2.5 से 5 लाख रुपये तक के लोन पर 80 फीसदी लोन मिलेगा और 5 लाख रुपये से ज्यादा के लोन पर 75 फीसदी LTV फिक्स किया गया है. आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के ऐलान के बाद हुए प्रेस कॉंफ्रेंस में गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अगले कुछ दिनों में इस गाइडलाइंस के जारी करने के संकेत दिए थे.

आरबीआई के निर्देश के मुताबिक किसी भी कर्जदाता को सोना या चांदी के बदले बने वित्तीय उत्पादों जैसे गोल्ड ETF या म्यूचुअल फंड यूनिट्स के खिलाफ लोन देने की अनुमति नहीं होगी. इसके अलावा, अगर गिरवी रखे गए सोने चांदी का मालिकाना हक स्पष्ट नहीं है, तो लोन नहीं दिया जा सकेगा. ऐसे हर मामले में लोन लेने वालों को ये शपथ पत्र देकर बताना होगा कि वही उसका असली मालिक है.

दूसरी बार गिरवी रखने की मनाही

आरबीआई ने साफ कर दिया है कि नए नियमों के तहत कर्जदाता अब उस सोने या चांदी को दोबारा गिरवी रखकर कोई और लोन नहीं ले सकते, जिसे किसी ग्राहक ने उन्हें गिरवी रखा हो. साथ ही, कोई भी संस्था अब किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा पहले से गिरवी रखे गए सोने के बदले लोन नहीं दे सकेगी.

12 महीने से ज़्यादा नहीं चलेगा बुलेट लोन

वो लोन जिनका पूरा भुगतान एकमुश्त किया जाता है इसे बुलेट लोन कहते हैं. आरबीआई ने ऐसे लोन की अधिकतम अवधि अब 12 महीने कर दिया है. इसके बाद नया लोन लेना हो तो उसे नियमानुसार रिन्यू करना होगा. आरबीआई ने गहनों और सिक्कों पर लोन की सीमा भी तय कर दी है. ज्यादा से ज्यादा 1 किलोग्राम के बदले में गोल्ड लोन देने की इजाजत होगी. 50 ग्राम तक के सोने के सिक्के पर गोल्ड लोन लिया जा सकेगा. सिल्वर लोन के मामले में ज्यादा से ज्यादा 10 किलो तक के चांदी के गहने पर लोन मिलेगा. 500 ग्राम के चांदी के सिक्कों को बदले में सिल्वर लोन दिया जा सकेगा.

गिरवी की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी तय

अगर लोन की अवधि के दौरान गिरवी रखी गई संपत्ति को नुकसान होता है, तो उसकी मरम्मत या हानि की भरपाई कर्जदाता करेगा. अगर गिरवी रखी गई चीज खो जाती है या उसकी गुणवत्ता में फर्क आता है, तो कर्जदाता को उधारकर्ता या उसके कानूनी वारिस को उचित मुआवज़ा देना होगा. लोन पूरा चुकाने के बाद कर्जदाता को गिरवी की गई चीजें 7 दिनों के भीतर वापस करनी होगी. अगर देरी होती है और वजह कर्जदाता की है, तो उन्हें हर दिन 5,000 रुपये का मुआवज़ा देना होगा.

2 साल से पड़े सोने-चांदी को माना जाएगा ‘अनक्लेम्ड’

अगर कोई ग्राहक लोन चुकाने के 2 साल बाद भी अपना सोना या चांदी नहीं लेता, तो उसे ‘अनक्लेम्ड गिरवी’ माना जाएगा. ऐसे मामलों में कर्जदाता को खास अभियान चलाकर उधारकर्ता या उसके परिवार से संपर्क करना होगा. हर छह महीने पर इस तरह की अनक्लेम्ड संपत्ति की रिपोर्ट बोर्ड या कस्टमर सर्विस कमेटी को दी जाएगी.

भ्रामक विज्ञापन पर भी लगाम

अब कर्जदाता को ऐसे विज्ञापन नहीं देंगे जिनमें सोने या चांदी पर लोन लेने के अवास्तविक वादे या भ्रामक बातें हों. आरबीआई के इन सख्त नियमों का मकसद है कि लोन पारदर्शी तरीके से मिले, गिरवी रखी संपत्ति की पूरी सुरक्षा हो और कोई भी ग्राहक गुमराह ना हो. इन नियमों से छोटे कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ज़्यादा भरोसा और सुरक्षा मिलेगी, साथ ही धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगेगी.

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