RBI MPC Meeting: महंगी EMI से अभी नहीं राहत, 11वीं बार भी नहीं घटा रेपो रेट
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने बहुमत से लगातार 11वीं बैठक में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं लाने का फैसला किया है.
RBI Monetary Policy Committee: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट (Repo Rate) को लेकर इस बार भी कोई बदलाव नहीं किया है. यानी कि रेपो रेट अभी भी 6.50 फीसदी पर बरकरार है. इसको लेकर आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में शुक्रवार को बहुमत से फैसला लिया गया. बता दें कि यह 11वीं बार है, जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेटो रेट में बदलाव किया था.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने शुक्रवार को 4:2 के बहुमत से लगातार 11वीं बैठक में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं लाने का फैसला किया है. बैठक में महंगाई और आगामी अनिश्चित डेवलपमेंट चिंताओं का हवाला दिया गया है.
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि मुद्रास्फीति पर RBI का आक्रामक दृष्टिकोण लगातार उच्च खाद्य महंगाई कारण था, जो अभी तक स्थिर नहीं हुआ है. इसके बावजूद केंद्रीय बैंक भारत के विकास परिदृश्य के बारे में आशावादी बना हुआ है, जिसे अच्छे मानसून और पूंजीगत व्यय के प्रत्याशित पुनरुद्धार का समर्थन प्राप्त है. दास ने कहा कि MPC ने विकास की गति में प्रतिशत की मंदी पर ध्यान दिया, जो चालू वर्ष के लिए विकास पूर्वानुमान में कमी का संकेत देता है. दर को बनाए रखने का निर्णय सरकार और अर्थशास्त्रियों दोनों द्वारा उधार लागत को कम करने के दबाव के बीच आया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने रेपो रेट के बारे में चिंता व्यक्त की है, जबकि कुछ अर्थशास्त्री RBI से उधार को प्रोत्साहित करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए और अधिक कार्रवाई करने का आह्वान कर रहे हैं. हालांकि, गवर्नर दास ने तत्काल दरों में कटौती से इनकार किया. क्योंकि मुद्रास्फीति अभी भी RBI के 4% के लक्ष्य से ऊपर है. बता दें कि यह मीटिंग गवर्नर दास के कार्यकाल की अंतिम समीक्षा बैठक है. उनका कार्यकाल 10 दिसंबर, 2024 को समाप्त हो रहा है. वहीं, अभी इस पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है कि उन्हें सेवा विस्तार दिया जाएगा या नहीं.
RBI के विकास के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण के बावजूद हाल के आंकड़ों ने चिंताएं बढ़ा दी हैं. दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि 5.4% तक गिर गई, जो उम्मीद से कहीं अधिक तेज गिरावट है. इससे यह आशंका पैदा हुई है कि RBI की प्रतिबंधात्मक नीतियों से आर्थिक गतिविधि प्रभावित हो सकती है. इसको देखते हुए विश्लेषकों को उम्मीद है कि RBI वर्ष के लिए अपने जीडीपी पूर्वानुमान को मौजूदा 7.2% से घटाकर संशोधित करेगा. वहीं, महंगाई अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है. अक्टूबर में हेडलाइन मुद्रास्फीति बढ़कर 6.2% हो गई, जो कि मुख्य रूप से अस्थिर खाद्य कीमतों के कारण थी.
वहीं, आरबीआई के दर-निर्धारण पैनल ने भारत के वित्त वर्ष 25 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का अनुमान 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है. गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को घोषणा की. Q3FY25 जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7.4% से घटाकर 6.8% कर दिया गया. Q4 विकास लक्ष्य को 7.4% से घटाकर 7.2% कर दिया गया और Q1FY26 को भी 7.3% से संशोधित कर 6.9% कर दिया गया. गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि घरेलू गतिविधि में मंदी का दौर समाप्त हो गया है और तब से त्योहारी मांग और ग्रामीण गतिविधि के माध्यम से इसमें सुधार हुआ है.
बता दें कि एमपीसी ने अपनी अक्टूबर 2024 की बैठक के दौरान वित्त मंत्रालय के आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमानित 6.5-7 प्रतिशत से अधिक, वित्त वर्ष 25 में भारत की जीडीपी 7.2 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया था. इसके अलावा, वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के लिए अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7%, तीसरी तिमाही के लिए 7.4%, चौथी तिमाही के लिए 7.4% और वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के लिए 7.3% अनुमानित की गई थी.