
RBI MPC: सस्ते कर्ज की सौगात, आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट कटौती करने का किया एलान
आरबीआई ने मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के फैसलों करते हुए रेपो रेट में एक चौथाई फीसदी रेपो रेट में कटौती करने का फैसला किया है. रेपो रेट को 5.50 फीसदी से घटाकर 5.25 फीसदी करने का फैसला किया है.
आरबीआई ने मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के फैसलों करते हुए रेपो रेट में एक चौथाई फीसदी रेपो रेट में कटौती करने का फैसला किया है. रेपो रेट को 5.50 फीसदी से घटाकर 5.25 फीसदी करने का फैसला किया है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने ये एलान किया है.
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भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की तीन दिवसीय बैठक 3 दिसंबर को शुरू हुई थी. आज बैठक के आखिरी दिन था. बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करते हुए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने एलान किया है कि आरबीआई की एमपीसी ने सर्वसम्मति से ये रेपो रेट में एक चौथाई फीसदी घटाने का फैसला किया है और रेपो रेट को 5.50 फीसदी से घटाकर 5.25 फीसदी करने का फैसला किया गया है. अप्रैल 2025 के बाद ये पहला मौका है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती करने का फैसला किया है. आरबीआई के इस फैसले के बाद होमलोन से लेकर कार लोन, एजुकेशन लोन और कॉरपोरेट जगत के लिए बैंकों से कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा. साल 2025 में 3 चरणों मेंरेपो रेट में 1.25 फीसदी की कटौती की जा चुकी है. आरबीआई ने खुदरा महंगाई दर में तेज गिरावट और स्थिर मैक्रोइकॉनॉमिक माहौल के बीच आर्थिक वृद्धि को सहारा देने के लिए यह कदम उठाया है.
आरबीआई गवर्नर ने कहा ग्लोबल इकोनॉमी उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रही है. अमेरिका में सरकारी शटडाउन खत्म होने और व्यापार समझौतों में प्रगति से थोड़ी राहत मिली है, जिससे अनिश्चितता घटी है. कई बड़े देशों में महंगाई लक्ष्य से ऊपर है सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ने से डॉलर मजबूत हुआ है, जबकि शेयर बाज़ार में उतार-चढ़ाव जारी है.
संजय मल्होत्रा ने अपने स्टेटमेंट में कहा, भारत में 2025-26 की दूसरी तिमाही में GDP की वृद्धि 8.2% रही, जो छह तिमाहियों में सबसे ज्यादा है. यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि घरेलू मांग मजबूत रही है. GVA में भी 8.1% की वृद्धि हुई, जिसमें उद्योग और सेवाओं का बड़ा योगदान है. इस साल की पहली छमाही में टैक्स सुधार, कच्चे तेल की कम कीमतें, सरकार का पूंजीगत खर्च और कम महंगाई ने अर्थव्यवस्था को सहारा दिया है. उन्होंने कहा, हाल के आंकड़े बताते हैं कि तीसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधि ठीक है, हालांकि कुछ संकेतों में थोड़ी कमजोरी दिख रही है. GST सुधार और त्योहारों के खर्च से मांग बढ़ी है. ग्रामीण मांग मजबूत है और शहरी मांग धीरे-धीरे सुधार रही है. निवेश भी अच्छा है, खासकर निजी निवेश. अक्टूबर में मर्केंडाइज निर्यात कम हुआ है क्योंकि वैश्विक मांग कमजोर थी. कृषि क्षेत्र को अच्छी खरीफ़ फसल और बेहतर रबी बुवाई का लाभ मिल रहा है. उद्योग और सेवाओं में भी सुधार जारी है.
आरबीआई ने 2025-26 में GDP वृद्धि 7.3% रहने का अनुमान जताया है. अक्टूबर 2025 में CPI महंगाई अब तक के सबसे कम स्तर पर आ गई है. खाद्य कीमतों में गिरावट इसकी मुख्य वजह रही है. कोर महंगाई (खाद्य और ईंधन छोड़कर) भी काफी नियंत्रित रही. सोने को छोड़कर कोर महंगाई 2.6% तक गिर गई. आरबीआई गवर्नर ने कहा, अच्छी फसल, बेहतर बुवाई, पर्याप्त पानी और नरम वैश्विक कीमतों की वजह से महंगाई और कम रह सकती है. ऐसे में 2025-26 में CPI महंगाई 2% रहने का अनुमान है.
उद्योगजगत ने किया रेपो रेट में कटौती का स्वागत
RBI की मौद्रिक नीति के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए फिक्की के अध्यक्ष अनंत गोयनका ने कहा, “फिक्की RBI द्वारा रेपो दर 0.25% घटाने का स्वागत करता है. इससे बैंकों से मिलने वाला कर्ज बढ़ेगा, उद्योग और आम लोगों के लिए लोन सस्ता होगा, और आर्थिक विकास की रफ्तार और मजबूत होगी.” उन्होंने कहा, “RBI ने इस साल GDP वृद्धि का अनुमान 6.8% से बढ़ाकर 7.3% कर दिया है. साथ ही महंगाई भी कम और स्थिर रहने की उम्मीद है. यह दिखाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है और हाल में किए गए सुधार जैसे GST में सुधार अच्छे परिणाम दे रहे हैं. आज घोषित अतिरिक्त उपाय, जैसे फॉरेक्स स्वैप सुविधा, बाज़ार में भरोसा बढ़ाएंगे और निवेश को सहारा देंगे.”

