शेयर बाजार में फिर कोहराम, निवेशकों को सात लाख करोड़ का नुकसान, क्या है वजह
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शेयर बाजार में फिर कोहराम, निवेशकों को सात लाख करोड़ का नुकसान, क्या है वजह

शेयर बाजार आखिर निवेशकों को खुश होने का मौका क्यों नहीं दे रहा है। सोमवार को बाजार खुलते ही गिर गया और उसका असर ये हुआ कि निवेशकों को लाखों करोड़ का नुकसान हो गया।


Share Market News: शेयर बाजार इस समय निवेशकों को धोखा दे रहा है। सोमवार को निवेशकों(Share Market Investos)को उम्मीद थी कि बाजार रौनक के साथ खुलेगा। लेकिन निराशा ही हाथ लगी। बैंकिंग, फाइनेंसियल और आईटी स्टॉक्स नीचे खुले। बीएसई सेंसेक्स में 860 अंकों की गिरावट के साथ 78 864.57 पर खुला जबकि निफ्टी 50 में भी 273 अंक की गिरावट देखी गई। इस तरह से निवेशकों को पांच लाख करोड़ का नुकसान हो गया। इस गिरावट के पीछे(Share Market Dip Reason) की मूल वजह को समझने की कोशिश करेंगे। लेकिन बाजार के जानकार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और फेड रिजर्व में और कटौती की उम्मीद जता रहे हैं। लेकिन ताजा जानकारी के मुताबिक सेंसेक्स में एक हजार अंकों की गिरावट हुई है और निवेशकों को दो लाख करोड़ का और नुकसान हुआ है।

बीएसई की तस्वीर

इस बीच, बीएसई(Bombay Stock Exchange) पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 6.8 लाख करोड़ रुपये घटकर 441.3 लाख करोड़ रुपये रह गया। रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंफोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और सन फार्मा सेंसेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। एलएंडटी, एक्सिस बैंक, टीसीएस और टाटा मोटर्स ने भी सूचकांक को नीचे गिराया। क्षेत्रीय मोर्चे पर, निफ्टी बैंक, ऑटो, वित्तीय सेवा, आईटी, फार्मा, मेटल, रियल्टी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑयल एंड गैस के सूचकांक 0.5% से 1.7% तक गिरे। इन आंकड़ों से साफ है कि निवेशकों को खुश होने की वजह क्यों नहीं है। अब हम उन कुछ कारणों को समझने की कोशिश करेंगे जो इस तरह से नुकसान की वजह बन रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव

5 नवंबर को अमेरिकी में राष्ट्रपति चुनाव (US Presidential Election 2024) हैं और उसकी वजह से भारतीय बाजार कुछ अधिक ही सतर्क हो गया है। डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर के कारण निवेशक संभावित आर्थिक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं। विश्लेषकों का मानना है कि नतीजों के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले अलग-अलग नीतिगत दृष्टिकोण सामने आ सकते हैं। हैरिस की जीत से अमेरिकी फेडरल रिजर्व(US Federal Reserve) का रुख और अधिक उदार हो सकता है जिससे संभवतः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) घरेलू दरों में कमी ला सकता है, जिससे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को लाभ होगा।

इसके विपरीत, ट्रंप की जीत से अमेरिकी ब्याज दरें ऊंची बनी रह सकती हैं, जिससे RBI को उच्च दरें बनाए रखने और किसी भी दर में कटौती को टालने के लिए प्रेरित किया जा सकता है, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) को लाभ होगा। इस अनिश्चितता के कारण निवेशक प्रतीक्षा और देखो की नीति अपना रहे हैं, जिससे बाजार का प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है। अगले कुछ दिनों में वैश्विक स्तर पर बाजारों का ध्यान अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों पर रहेगा और चुनाव परिणामों के कारण निकट अवधि में अस्थिरता रह सकती है।

फेड रिजर्व की होने वाली है बैठक
7 नवंबर को होने वाली अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति बैठक भी भारतीय बाजार में आशंकाओं को बढ़ा रही है। विश्लेषकों का अनुमान है कि संभावित तिमाही-प्रतिशत-बिंदु दर में कमी की जा सकती है, जिससे भारत में विदेशी निवेश प्रवाह बढ़ सकता है। हालांकि, जब तक फेड के रुख पर स्पष्टता नहीं आ जाती, तब तक निवेशकों के सतर्क रहने की संभावना है, जो आज बाजार में गिरावट का कारण बन सकता है।

क्वॉर्टर दो में कम कमाई

क्वार्टर दो के नतीजों से निवेश की भावना में कमी आई है जिसने इक्विटी बाजार में गिरावट में योगदान दिया है और एफआईआई को भारतीय शेयरों को बेचने के लिए प्रेरित किया है। भारतीय बाजार में आय में शानदार तरीके से इजाफा नहीं हो रहा है। क्वार्टर-2 परिणामों के अनुसार निफ्टी ईपीएस वृद्धि वित्त वर्ष 25 में 10% से नीचे आ सकती है, जो अनुमानित वित्त वर्ष 25 की आय के लगभग 24 गुना के वर्तमान मूल्यांकन को बनाए रखना मुश्किल बना देगी। एफआईआई इस कठिन आय वृद्धि के माहौल में बेचना जारी रख सकते हैं जिससे बाजार में उछाल में बाधा आ सकती ह।

तेल की कीमतों में इजाफा

ओपेक प्लस ने द्वारा रविवार को घोषणा करने के बाद सोमवार को शुरुआती कारोबार में तेल की कीमतों में 1 डॉलर से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। यू.एस. वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड की कीमत 1.20 डॉलर प्रति बैरल या 1.73% बढ़कर 70.69 डॉलर हो गई। इस संगठन में रूस और अन्य सहयोगियों के साथ पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन शामिल है, दिसंबर से 180,000 बैरल प्रति दिन (BPD) उत्पादन बढ़ाने के लिए तैयार था।

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