
Sensex-Nifty को रास नहीं आ रहा यह महीना, क्या गंभीर नुकसान की तरफ इशारा?
सेंसेक्स- निफ्टी शेयर बाजार की हर हलचल को बताता है। गिरावट के मद्देनजर अक्टूबर सबसे खराब महीनाहै, खास बात यह कि कोविड के समय इस तरह का ट्रेंड दिखाई दिया था।
Sensex Nifty News: हर एक निवेशक का सपना होता है उसके निवेश पर ना सिर्फ रिटर्न बेहतर मिले। बल्कि निवेश सुरक्षित भी हो। सेंसेक्स और निफ्टी में उतार-चढ़ाव का दौरा लगा रहता है। लेकिन अक्टूबर के महीने में जो ट्रेंड बना हुआ है वो गंभीर खतरे की तरफ इशारा कर रहा है। मसलन पिछले कुछ दिनों से एक अजीब सा ट्रेंड नजर आ रहा है। मसलन मार्केट खुलते ही पहले सेंसेक्स और निफ्टी में उछाल दर्ज की जाती है और बाद में गिरावट। अगर मौजूदा कारोबारी हफ्ते के चौथे दिन को देखें तो तस्नीर पहले तीन दिन की तरह रही। बीएसई में 30 शेयरों वाला सेंसेक्स पहले 135 अंक उछला लेकिन कुछ देर बाद ही 227 अंक फिसल भी गया। शुरुआत में सेंसेक्स 80215 के स्तर पर कारोबार का रहा था लेकिन बाद में 79 854 के स्तर पर आ गया। निफ्टी में भी 90 अंक की गिरावट दर्ज की गई और यह 24341.20 के स्तर पर आ गया।
भारत के बाजार से निकासी
विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा इस महीने भारत से लगभग 82,000 करोड़ रुपये निकालने, आईपीओ और क्यूआईपी की बाढ़ से तरलता खत्म होने और कमजोर आय सीजन से कोई समर्थन नहीं मिलने के कारण अक्टूबर का त्योहारी महीना दलाल स्ट्रीट के लिए 2020 में कोविड के कारण बाजार में आई गिरावट के बाद सबसे खराब साबित हो रहा है। इस महीने यानी २३ अक्टूबर में करीब 5% की गिरावट आई है, जो जून 2022 की 4.58% की रिकॉर्ड गिरावट को पीछे छोड़ चुकी है। हाल के वर्षों में बाजार में सबसे खराब गिरावट कोविड के दौरान वर्ष 2020 के फरवरी और मार्च महीनों में देखी गई थी जब सेंसेक्स में क्रमशः 6% और 23% की गिरावट आई थी।
सेंसेक्स और निफ्टी में आए इस ट्रेंड पर द फेडरल देश ने अश्विनी कुमार शामी(EVP & portfolio Manager Omniscience Capital) से समझने की कोशिश की। वो बताते हैं कि शेयर मार्केट में इस हफ्ते जो चढ़ाव और उतार का ट्रेंड है उससे बहुत परेशान करने वाली बात नहीं है। लेकिन हां मार्केट जिस तरह से रेस्पांस कर रहा है उसमें घरेलू निवेशकों की नजर विदेशी संस्थागत निवेशकों के व्यवहार पर टिकी है। अमेरिकी फेड में कटौती के बाज एफआईआई की खरीह यूएस के स्टॉक्स में हो रही है लिहाजा उसका असर नजर आ रहा है। लेकिन अभी आने वाले समय पर निवेशक वेट, वॉच एंड डिसाइड की भूमिका में हैं।
कोविड दौर में खराब था प्रदर्शन
अगर मार्च 2020 से लेकर अक्टूबर 2024 के आंकड़ों को देखें तो मार्च 2020 में सेसेंक्स का रिटर्न माइनस में 23 फीसद था। 2020 से लेकर 2022 तक औसत आंकड़ा तीन, चार, पांच फीसद माइनस में ही था। बाजार में नुकसान बहुत अधिक होने के साथ, बीएसई में सूचीबद्ध सभी शेयरों का कुल बाजार पूंजीकरण इस महीने में 29 लाख करोड़ रुपये कम हो गया है। एफआईआई की ओर से की गई बिकवाली किसी एक महीने में विदेशियों द्वारा की गई सबसे अधिक बिकवाली रही है, जो कोविड के दौरान देखी गई बिकवाली से कहीं अधिक है।चाहे आप भारत में बेचो, चीन खरीदो’ व्यापार को अल्पकालिक सामरिक व्यापार कहें या चीनी पलटाव की उम्मीद पर दांव लगाने वाला संरचनात्मक व्यापार, भारतीय इक्विटी से एफआईआई का बहिर्वाह इतना गंभीर नहीं होता अगर दलाल स्ट्रीट ऊंचे मूल्यांकन स्तरों पर कारोबार नहीं कर रहा होता।
Q2 सीजन में सभी क्षेत्रों में गिरावट का असर शेयर बाजार पर नजर आ रहा है। इसके अलावा, हुंडई इंडिया जैसे बड़े आईपीओ और क्यूआईपी मार्ग का उपयोग करके प्रमोटरों द्वारा फंड जुटाना भी निवेशकों की जेब खाली कर रहा है। Q2 में, स्ट्रीट को उम्मीद है कि निफ्टी-50 कंपनियों का EPS सालाना आधार पर सिर्फ 2% बढ़ेगा। चालू आय सीजन में अनुमान से चूकने वाली विभिन्न कंपनियों के लक्ष्य मूल्य में कटौती के बीच, गोल्डमैन सैक्स ने भारतीय इक्विटी को ओवरवेट से घटाकर तटस्थ कर दिया है और कहा है कि उच्च मूल्यांकन और कम सहायक पृष्ठभूमि निकट अवधि में तेजी को सीमित कर सकती है। इनक्रेड इक्विटीज के विश्लेषकों ने भी निफ्टी के अपने लक्ष्य को 3% घटाकर 25,978 कर दिया है। दिसंबर 2024 की तिमाही में सुधार का दौर जारी रहेगा क्योंकि उच्च मूल्यांकन जोखिम को कम करता है।
देखो, इंतजार और खरीद पर रहेगा जोर
आने वाले मुश्किलों पर अश्विनी कुमार शामी कहते हैं, देखिए यूएस के चुनावी नतीजों को देखना होगा, हालांकि यूएस की आर्थिक नीति सत्ता में बदलाव से अधिक प्रभावित नहीं होती है। इसके साथ यह भी देखना होगा कि मिडिल ईस्ट में तनाव का स्तर क्या रहता है। इसके अलावा रूस और यूक्रेन का युद्ध क्या मोड़ लेता है। इसके साथ ही यूएस में मुद्रास्फीति का दर किस स्तर पर रहता है। आप इसे आसान तरीके से ऐसे समझिए कि निवेशक देखो, इंतजार और खरीदो की भूमिका में होंगे।