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साल 2025 चांदी के नाम, निवेशकों का पैसा हुआ डबल, 2026 में भी चमक रहेगी बरकरार!

जूदा वर्ष की शुरुआत में 1 जनवरी 2025 को चांदी 87,500 रुपये प्रति किलो के करीब ट्रेड कर रहा था जो अब 2.24 लाख रुपये के करीब कारोबार कर रहा है. महज एक वर्ष में चांदी 1,37,500 रुपये प्रति किलो महंगा हो चुका है.


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साल 2025 सोना नहीं चांदी के नाम रहा है. साल खत्म होने को है इसके बावजूद चांदी के दाम हर दिन नए ऐतिहासिक हाई को छू रहा है. 24 दिसंबर 2025 को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी के दाम 2,24,430 रुपये प्रति किलो के ऑलटाइम हाई पर जा पहुंचा जो कि चांदी के दामों का सबसे उच्चतम स्तर है. इंटरनेशनल मार्केट में भी सिल्वर प्राइस पहली बार 70 डॉलर को पार करते हुए 72.75 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड हाई पर जा पहुंचा. 2025 में चांदी ने निवेशकों का पैसा डबल कर दिया पर सवाल उठता है कि 2026 में भी चांदी की चमक ऐसी ही बरकरार रहेगी या नहीं?

157 फीसदी बढ़ गए चांदी के दाम

साल 2025 में रिटर्न देने के मामले में चांदी ने सोने को भी मात दे दिया. मौजूदा वर्ष की शुरुआत में 1 जनवरी 2025 को चांदी 87,500 रुपये प्रति किलो के करीब ट्रेड कर रहा था जो अब 2.24 लाख रुपये के करीब कारोबार कर रहा है. महज एक वर्ष में चांदी 1,37,500 रुपये प्रति किलो महंगा हो चुका है. यानी चांदी के दामों में 2025 में 157 फीसदी का उछाल आ चुका है.

क्यों महंगी हुई चांदी

इस साल चांदी के दामों में तेजी के पीछे कई वजहें हैं. सबसे प्रमुख बाजार में चांदी की कमी बनी हुई है. सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और इलेक्ट्रॉनिक्स में चांदी की मांग बहुत ज्यादा देखी जा रही है. इसके अलावा, सोने के मुकाबले सस्ती होने के कारण भी निवेशक चांदी की ओर लौट रहे हैं. चांदी की कीमतों में तेजी के इंटरनेशनल कारण भी हैं. अमेरिका में टैरिफ को लेकर अनिश्चितता के कारण लंदन से चांदी अमेरिका भेजी गई, जिससे बाजार में ऐतिहासिक दबाव पैदा हुआ. पूरे साल COMEX पर चांदी के भाव लंदन से ऊंचे रहे. इस वजह से लंदन में चांदी का स्टॉक काफी कम हो गया तो इसके चलते दूसरे बाजारों पर दबाव पड़ा. दबाव कम करने के लिए बड़ी मात्रा में चांदी लंदन भेजी गई.

US और चीन के फैसले से बढ़ी चांदी की चमक

चांदी पर इंपोर्ट ड्यूटी लगने की भी बातें कहीं जा रही है. और इसका संकेत इस बात से मिलता है कि अमेरिका ने हाल ही में चांदी को ‘महत्वपूर्ण खनिजों’ की सूची में शामिल किया है, जिससे टैरिफ लगने की संभावना बढ़ गई है. तो चीन ने चांदी के एक्सपोर्ट पर 2026 से बैन कर दिया है. इन सब कारणों के चलते गोल्ड-सिल्वर रेशियो घटकर 70 पर आ गया है, जो इस साल का सबसे निचला स्तर है. यह दिखाता है कि बड़े निवेशकों का भरोसा चांदी में बढ़ा है.

गोल्ड–सिल्वर रेशियो

ये बताता है कि 1 औंस सोना खरीदने के लिए कितने औंस चांदी चाहिए. गोल्ड–सिल्वर रेशियो जब घटता है, तो इसका मतलब होता है कि चांदी, सोने के मुकाबले ज्यादा तेजी दिखा रही है.

2026 में भी क्या जारी रहेगी चमक

चांदी के दामों में उछाल इसकी सप्लाई पर निर्भर है. पिछले 5 सालों से चांदी की कमी रही है. दुनिया की 70-80% चांदी सीसा, जिंक, तांबा या सोने की खदानों से निकलती है. आर्थिक स्तर पर सोने के ही समान चांदी को फायदे मिल सकते हैं जो सोने को मिलते हैं मसलन कमजोर डॉलर, अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती और वैश्विक तनाव के बीच सुरक्षित निवेश की बढ़ती मांग शामिल है. पृथ्वी फिनमार्ट के डायरेक्टर और कमोडिटी हेड मनोज कुमार जैन के मुताबिक, साल 2026 में चांदी 78-80 डॉलर और भारतीय करेंसी में 2.40 लाख रुपये किलो तक जा सकता है. लेकिन उन्होंने इसके बाद निवेशकों को आगाह भी किया है. मनोज कुमार जैन ने कहा, चांदी के इस लेवल पर आने के बाद निवेशकों को सोने में शिफ्ट करना चाहिए. क्योंकि अगले 3 सालों तक सोने में चमक देखने को मिल सकती है.

पीएल वेल्थ में प्रोडक्ट एंड फैमिली ऑफिस के हेड राजकुमार सुब्रमण्यम ने कहा कि भारतीय निवेशकों के लिए सोना अब भी सबसे भरोसेमंद सुरक्षित निवेश बना हुआ है, लेकिन चांदी धीरे-धीरे वैश्विक विकास और ऊर्जा बदलाव से जुड़ा एक ज्यादा असरदार निवेश विकल्प बनती जा रही है. उन्होंने कहा कि चांदी का दोहरा रोल है यह एक तरफ कीमती धातु है और दूसरी तरफ उद्योगों में भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होती है. इसी वजह से ब्याज दरों, डॉलर की चाल और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बदलाव का असर चांदी पर ज्यादा तेजी से पड़ता है.

चांदी बना पोर्टफोलिया का हिस्सा

भारत के संदर्भ में राजकुमार सुब्रमण्यम ने कहा, भारतीय बाजार में अब चांदी सिर्फ छोटे समय के मुनाफे का जरिया नहीं रही. उद्योगों में बढ़ते इस्तेमाल और ETF और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए खुदरा निवेश बढ़ने से चांदी एक अहम पोर्टफोलियो विकल्प बनकर उभर रही है. इसमें सोने के मुकाबले उतार-चढ़ाव ज्यादा है, लेकिन कमोडिटी बाजार में तेजी के दौर में मुनाफे की संभावना भी ज्यादा रहती है. उन्होंने आगे कहा चांदी एक ऐसा एसेट बनती जा रही है, जो आर्थिक विकास और वैश्विक अनिश्चितता दोनों हालात में फायदा दे सकती है.

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