क्या SIP से निवेशकों का मोह हो रहा भंग, आंकड़े तो कुछ यही कह रहे
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क्या SIP से निवेशकों का मोह हो रहा भंग, आंकड़े तो कुछ यही कह रहे

SIP: निवेश के कई विकल्पों में से एक एसआईपी है। इसमें निवेशक हर महीने निश्चित रकम निवेश करता है। लेकिन नवंबर में एसआईपी बंद कराने वालों की संख्या बढ़ी है।


What Is Systematic Investment Plan: हर निवेशक का सपना होता है कि वो ना सिर्फ बेहतर पॉलिसी में निवेश करे बल्कि उसका बेहतर रिटर्न भी मिले। सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी को उनमें से एक माना जाता है। लेकिन जो आंकड़े सामने आए हैं। उसके मुताबिक एसआईपी से लोगों की दिल्लगी थोड़ी कम हुई है। अक्तूबर के महीने में 38.8 लाख निवेशकों ने अपनी एसआईपी बंद की थी जो नवंबर के महीने में बढ़कर 39.14 लाख हो गयी है। यानी कि नवंबर के महीने में एसआईपी बंद (SIP Stoppage Ratio) करने का अनुपात 79.12 फीसद जो मई 2024 के बाद सबसे अधिक है। मई 2024 में 88.38 फीसद निवेशकों ने एसआईपी को बंद किया था।

खास बात यह है कि पिछले चार महीने से एसआईपी स्टापेज (SIP Stoppage Issue) के रेशियों में इजाफा हुआ है। यह अब तक के तीसरे उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। यही नहीं नए SIP खातों के पंजीकरण में भी लगातार दूसरे महीने में कमी दर्ज की गई है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में 49 लाख नए SIP खाते पंजीकृत (SIP New Registration) किए गए जो अक्टूबर में 63.7 लाख के आंकड़े से काफी कम है। इसके अलावा नवंबर में SIP बंद करने वालों की संख्या बढ़कर 39.14 लाख हो गई। इससे नवंबर में SIP स्टॉपेज अनुपात 79.12% हो गया, जो मई के 88.38% के बाद सबसे अधिक है। मई 2020 में, SIP स्टॉपेज अनुपात 80.69 था।

बाजार के जानकारों का कहना है कि नए निवेशक जब बाजार में अस्थिरता का माहौल होता है तो निवेश करने से बचते हैं। इसके अलावा मौजूदा निवेशकों का एक बड़ा वर्ग तब तक SIP के माध्यम से अतिरिक्त पैसा नहीं लगाना चाहेगा जब तक वो बाजार को लेकर पूरी तरह निश्चित ना हो जाए। हालांकि कुछ जानकार कहते हैं कि एसआईपी स्टॉपेज रेशियो में आई कमी से परेशान होने की जरूरत नहीं है। प्रत्यक्ष और नियमित एसआईपी (Regular SIP) के बीच स्पष्ट अंतर का समझना जरूरी है। प्रत्यक्ष एसआईपी (Direct SIP) जो अक्सर प्रौद्योगिकी द्वारा सुगम बनाए जाते हैं, सीमित सलाहकार सहायता के कारण बाजार में उथल-पुथल के दौरान बंद होने की उच्च दर का अनुभव करते हैं। इसके उलट पर्सनल एडवाइजर द्वारा प्रबंधित नियमित एसआईपी निवेश की मात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और अधिक लचीलापन प्रदर्शित करते हैं।

राजनीतिक घटनाओं की वजह से जैसे मई में भारत का आम चुनाव ( General Elections 2024) और नवंबर में अमेरिकी चुनाव (US Presidential Elections 2024) का एसआईपी कारोबार पर असर पड़ा। इन चुनौतियों के बावजूद मजबूत स्मॉल-कैप निवेशों से उत्साहित शुद्ध इक्विटी प्रवाह (Small Cap Investment) मजबूत बना हुआ है, जो निरंतर खुदरा निवेशकों के विश्वास का संकेत देता है।हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि एसआईपी पंजीकरण में निरंतर गिरावट और बंद होने की बढ़ती दर बाजार स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण घरेलू प्रवाह को खतरे में डाल सकती है। यदि यह प्रवृत्ति बनी रहती है, तो यह बाजार में अस्थिरता को बढ़ा सकती है, उन्होंने आने वाले महीनों में खुदरा भागीदारी की सतर्क निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया।

कुछ विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि नए एसआईपी पंजीकरण में कमी महीने के दौरान कम एनएफओ (SIP Stoppage due to NFO) के कारण थी। नवंबर में कमजोर वैश्विक संकेतों, चीन के हालिया आर्थिक प्रोत्साहन उपायों और यूक्रेन-रूस तनाव बढ़ने के कारण भारतीय इक्विटी बाजारों को काफी दबाव का सामना करना पड़ा।

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