बजट 2024 के बाद क्या रहेगी SIP पर टैक्स लगाने की प्रक्रिया, समझिये
टैक्स में बढ़ोतरी की घोषणा के साथ ही सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान ( SIP ) पर भी टैक्स बढ़ेगा. परिणाम स्वरुप ( एक उदहारण के तौर पर ) इक्विटी फंड्स में 60 महीने के लिए 50,000 रुपये के SIP पर वर्तमान में 77,456 रुपये के मुकाबले 94,095 रुपये का कैपिटल गेन्स टैक्स देना होगा.
Budget 2024-25 SIP Tax: केंद्रीय बजट में इक्विटी-ओरिएंटेड फंड्स पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (एसटीसीजी) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) पर टैक्स में बढ़ोतरी की घोषणा के साथ ही सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान ( SIP ) पर भी टैक्स बढ़ेगा. जिसके परिणाम स्वरुप ( एक उदहारण के तौर पर ) इक्विटी फंड्स में 60 महीने के लिए 50,000 रुपये के एसआईपी पर वर्तमान में 77,456 रुपये के मुकाबले 94,095 रुपये का कैपिटल गेन्स टैक्स देना होगा.
म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए दोहरी मार
सरकार ने इक्विटी-ओरिएंटेड फंड्स पर एसटीसीजी और एलटीसीजी बढ़ा दिया है. 23 जुलाई को केंद्रीय बजट में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर एसटीसीजी टैक्स को मौजूदा 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया, जबकि एलटीसीजी टैक्स अब पहले की तुलना में 12.5 प्रतिशत होगा, जो पहले इक्विटी फंड्स पर 10 प्रतिशत था. हालांकि, राहत के तौर पर, सरकार ने वित्तीय वर्ष में एलटीसीजी टैक्स की छूट सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया है. म्यूचुअल फंड भारतीय निवेशकों के लिए इक्विटी बाजारों में निवेश करने के लिए सबसे पसंदीदा मार्गों में से एक है. अप्रैल 2024 में पहली बार इस बाधा को पार करने के बाद से ही व्यवस्थित निवेश योजनाओं (SIP) के माध्यम से मासिक निवेश 20,000 करोड़ रुपये के निशान से ऊपर बना हुआ है.
इक्विटी फंड पर किस तरह से लगता है कर
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स ( LTCG ) में टैक्स को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है. इस वृद्धि के साथ, दीर्घकालिक निवेशक को थोड़ा अधिक कर चुकाना पड़ सकता हैं. हालांकि, छूट की सीमा में मामूली वृद्धि की गयी है, जिसे 1 लाख से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये किया गया है, जिसकी वजह से छोटे निवेशकों को मामूली लाभ होगा. वहीँ शार्ट टर्म कैपिटल गेन ( STCG ) को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने से अल्पकालिक इक्विटी निवेशकों पर भी असर पड़ेगा.
डेब्ट फंड पर स्थिति जस की तस
केंद्र सरकार ने बजट में डेब्ट फण्ड की स्थिति को जस के तस रखा है. गोल्ड फंड या गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF), ओवरसीज फंड और फंड्स ऑफ फंड्स (FoF) पर पूंजीगत लाभ कर की दर कम कर दी गयी है. वहीँ पहले की तरह ही डेब्ट म्यूचुअल फंड पर सामान्य आयकर दर पर कर लगाया जाना जारी रहेगा.
गोल्ड ETF और ETF को नहीं माना जायेगा म्यूच्यूअल फण्ड
बजट में स्पष्ट किया गया है कि डेब्ट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में वो निवेशक भी कवर किये जायेंगे जो कुल आय का 65 प्रतिशत से अधिक निवेश करते हैं, ऐसे निवेशकों को म्यूचुअल फंड की धारा 50AA के तहत कवर किए जायेगा. इसलिए, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF), गोल्ड म्यूचुअल फंड और गोल्ड ETF को निर्दिष्ट म्यूचुअल फंड नहीं माना जाएगा.
निवेश विशेषज्ञों और जानकारों का कहना है कि "STCG और LTCG दरों के बीच जिस तरह से अंतर बढ़ रहा है, उससे लंबी अवधि की होल्डिंग को प्रोत्साहन मिलेगा, जो स्थायी संपत्ति बनाने के हमारे दृष्टिकोण के अनुरूप है. ये कदम विभिन्न वर्गों की सम्पतियों पर लगने वाले कर ( टैक्स ) को मानकीकृत करने की दिशा में भी एक कदम है, जिसकी वजह से बड़े स्तर पर लोगों को निवेश को लेकर निर्णय लेने में आसानी होगी.
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