Amul Fake Ghee : अमूल एक ऐसा नाम है जिससे देश में लगभग हर कोई वाकिफ है. इसके डेरी प्रोडक्ट्स भी देश में बहुत बिकते हैं, लेकिन अब सवाल ये है कि इस ब्रांड का देसी घी क्यों खरीदा जाए, जब कंपनी ही ग्राहकों के प्रति ज़िम्मेदार नहीं है. ये सवाल इसलिए क्योंकि बाजार में बड़ी मात्र में इस ब्रांड का नकली घी बिक रहा है. इससे भी ज्यादा हैरानी इस बात की है कि कंपनी इस बात से बहुत अच्छी तरह से वाकिफ है लेकिन इसके बावजूद वो तब तक चुप रही जब तक की एक न्यूज़ चैनल में बाज़ार में अमूल ब्रांड के नकली घी की बिक्री धड़ल्ले से होती हुई नहीं दिखा दी. जब न्यूज़ चैनल पर ये खबर आई तो कंपनी ने सोशल मीडिया पर एक चेतावनी जारी कि कंपनी के नाम पर नकली घी बिक रहा है और असली नकली का फर्क भी बताया. जब कंपनी को इस बात की जानकारी पहले से ही है तो फिर अपने ग्राहकों को सचेत क्यों नहीं किया? अगर कंपनी का रवैया ऐसा है तो फिर ग्राहक भी अमूल का घी क्यों खरीदें?
क्या है मामला
एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल ने स्टिंग दिखाया कि कैसे बाज़ार में अमूल का नकली देसी घी खुले आम बिक रहा है. नकली घी बाज़ार में बड़ी मात्र में बिक रहा है. सवाल कंपनी पर भी उठा कि आखिर वो क्या कर रही है. इसके बाद अमूल की तरफ से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट जारी करते हुए घी के दो पैकेट दिखाए गए, जिसमें से एक असली और एक नकली. कंपनी ने बताया कि देसी घी की पैकिंग तीन साल पहले ही बदल दी गयी थी. नई पैकेजिंग अमूल के ISO-प्रमाणित डेयरियों में एसेप्टिक फिलिंग तकनीक से बनाई जाती है. यह तकनीक बेहतरीन क्वालिटी स्टैंडर्ड सुनिश्चित करती है. कंपनी की तरफ से येभी कहा गया कि 1 लीटर की पैकिंग वाले में नकली घी ज्यादा बिक रहा है.
कंपनी ने ग्राहकों से की अपील
अमूल की तरफ से ग्राहकों से ये अपील भी की गयी है कि वे पैकिंग देख कर ही घी खरीदें. कंपनी की असली पैकिंग की नक़ल नहीं की जा सकती. अमूल ने ग्राहकों से किसी भी सवाल या शिकायत के लिए 1800 258 3333 पर कॉल करने को भी कहा है.
कंपनी की अपनी टीम क्या कर रहीं हैं
कंस्युमर राइट्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि हर बड़ी कंपनी के मार्किट में नकली प्रोडक्ट पर निगरानी रखने के लिए भी टीम होती है, जो नकली प्रोडक्ट का पता लगाने का काम करती हैं. स्थानीय पुलिस की मदद से उसका भंडाफोड़ करती हैं. इसके अलावा समय समय पर ग्राहकों सचेत करने के लिए विज्ञापन आदि भी देती हैं. लेकिन यहाँ अमूल की तरफ से ऐसा कोई कदम उठाया गया नहीं दिखता. अधिवक्ता रवि दराल का कहना है कि कंपनी को समय समय पर ग्राहकों को इस बात के लिए सचेत करना चाहिए, क्योंकि असली नकली के बारे में कंपनी से बेहतर कौन जानता है? वहीँ पुलिस भी सिर्फ त्यौहारी सीजन में अलर्ट क्यों होती है, 12 महीने लोगों को नकली घी खाने के लिए क्यों छोड़ देती है, जो हृदय रोग, कैंसर आदि जैसी गंभीर और जानलेवा बीमारियाँ कर सकता है. नकली प्रोडक्ट को पकड़ने के लिए कंपनियां खुद सचेत रहती हैं और नकली प्रोडक्ट बनाने वालों के खिलाफ कॉपी राईट, एडल्ट्रेशन आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाती हैं