अब स्टील स्लैग से तैयार होंगी सड़कें, जानें नियमित रोड से कितनी होती हैं अलग?
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अब स्टील स्लैग से तैयार होंगी सड़कें, जानें नियमित रोड से कितनी होती हैं अलग?

देश में भविष्य की सड़कों के निर्माण के लिए स्टील स्लैग का इस्तेमाल किया जा रहा है. भविष्य में सभी राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग इन्हीं से बनाई जाएंगी. इन सड़कों को स्टील स्लैग रोड नाम दिया गया है.


Steel Slag Road: किसी भी देश के विकास में बेहतरीन सड़कों का होना काफी मायने रखता है. अच्छी सड़के देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. अच्छी सड़कों के होने से फ्यूल कंजंप्शन कम होता है, साथ ही समय की बर्बादी भी रुकती है. भारत की बात करें तो यहां सड़कों के निर्माण में कंक्रीट और डामर का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, इनका जीवनकाल छोटा होता है और भारी बारिश में इनके खराब होने की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में देश में भविष्य की शानदार सड़कों के निर्माण के लिए स्टील स्क्रैप का इस्तेमाल किया जा रहा है. भविष्य में सभी राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग इन्हीं से बनाई जाएंगी. इन सड़कों को स्टील स्लैग रोड नाम दिया गया है.

सूरत है उदाहरण
भारत में गुजरात का सूरत पहला ऐसा शहर बन गया है, जहां वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI), केंद्रीय इस्पात मंत्रालय, सरकारी थिंक-टैंक नीति आयोग और आर्सेलर मेटल-निप्पॉन स्टील (AM/NS) द्वारा हजीरा में एक संयुक्त उद्यम परियोजना के तहत स्टील स्लैग (औद्योगिक अपशिष्ट) सड़क बनाई गई है. छह लेन की यह सड़क एक किलोमीटर लंबी है. स्टील स्लैग का इस्तेमाल कर करीब एक साल पहले इसका निर्माण शुरू हुआ था.

स्टील स्लैग से सड़क निर्माण
बता दें कि स्टील स्लैग सड़क की निर्माण लागत परंपरागत तरीके से निर्मित सड़कों की तुलना में 30 प्रतिशत सस्ती है और इसकी मोटाई भी सामान्य सड़कों की तुलना में 30 प्रतिशत कम है. क्योंकि स्टील स्लैग के उपयोग के कारण इसका टिकाऊपन बहुत अधिक है. हर दिन 1,000 से 1,200 ट्रकों का भार वहन करने में सक्षम इस सड़क के निर्माण के लिए नींव पर 8 प्रतिशत सीबीआर (कैलिफोर्निया बियरिंग रेशियो) के साथ लगभग 600 से 700 मिमी मोटाई की सड़क परतों की आवश्यकता होती है.

क्या है एक्सपर्ट कमेंट
टाटा स्टील झारखंड के वरिष्ठ अधिकारी दीपांकर दासगुप्ता ने कहा कि इस्पात उद्योग अपनी सभी सामग्रियों के इस्तेमाल पर ही फलता-फूलता है. हम कुछ भी नहीं छोड़ना चाहते, चाहे वह स्क्रैप हो या फिर स्लैग. जो कुछ भी इस्तेमाल किया जा सकता है, हम उसका इस्तेमाल करते हैं. स्टील स्लैग को काफी कामों में इस्तेमाल में लाया जा सकता है. दुनिया भर में इसका इस्तेमाल हॉट मेटल डीफॉस्फोराइजेशन और बंदरगाहों के विकास में किया जाता रहा है. यह CO2 को भी पकड़ सकता है और डीसल्फराइजेशन में सहायता कर सकता है.
उन्होंने कहा कि स्टील स्लैग प्राकृतिक चीजों का एक विकल्प है और यह अच्छी बात है कि इसका उपयोग सड़क निर्माण के दौरान किया जाता है. यह कई तरह के नुकसानों से बचने में मदद करता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि स्टील स्लैग सड़क भारत का भविष्य है.

किफायती और पर्यावरण अनुकूल

सड़क निर्माण में स्टील स्लैग का इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रक्रिया से सड़क निर्माण गतिविधि में जीएचजी उत्सर्जन और कार्बन फुटप्रिंट में भी कमी आने की उम्मीद है. वहीं, एक स्टील स्लैग सड़क के प्रति वर्ग मीटर निर्माण की अनुमानित लागत 1,150 रुपये है. जबकि बिटुमेन सड़क के लिए 1,300 रुपये और सीमेंट या कंक्रीट के लिए 2,700 रुपये है. सीमेंट या कंक्रीट सड़क की उम्र 30 साल से अधिक होती है. जबकि बिटुमेन और स्टील स्लैग सड़क की उम्र लगभग 15 साल होती है.

उच्च तापमान

सड़क की ऊपरी सतह नियमित सड़कों की तुलना में दोपहर में लगभग 1-2 डिग्री अधिक होगी. सड़क की बाहरी सतह के तापमान को बनाए रखने के लिए थर्मोकपल का उपयोग किया गया है. हालांकि, ऐसी सड़कों के लिए कार्बन फुटप्रिंट बहुत कम है. वहीं, परंपरागत सड़कों में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री के लिए खनन और प्रसंस्करण करने की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा खनन और क्रशिंग के बाद सामग्री को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की भी आवश्यकता होती है. वहीं, स्टील स्लैग रोड में किसी ब्लास्टिंग, ड्रिलिंग या क्रशिंग की आवश्यकता नहीं होती है. क्योंकि सामग्री स्टील उद्योग से निकलने वाला कचरा है, जिसको संसाधित किया जाता है.

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