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महज 5 दिन में लगी 16.97 लाख करोड़ की चपत, इन कारणों से हर दिन टूट रहा मार्केट
Share market crash: घरेलू आय में कमजोर परिणाम और अमेरिकी व्यापार नीति की चिंताएं बाजार पर निगेटिव असर डाल रही हैं.
Stock market crash: शेयर बाजार में भारी गिरावट से स्मॉलकैप और मिडकैप के शेयर तेजी से गिर रहे हैं. प्रमुख स्टॉक्स लाल निशान में हैं. यहां तक कि पिछले पांच दिन में बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी50 करीब 3 फीसदी तक टूट चुका है. ऐसे में दलाल स्ट्रीट पर एक जबरदस्त गिरावट देखी जा रही है.
बताया जा रहा है कि घरेलू आय में कमजोर परिणाम और अमेरिकी व्यापार नीति की चिंताएं बाजार पर निगेटिव असर डाल रही हैं. यही कारण है कि भारतीय इक्विटी बाजार (Stock market) मंगलवार को भी गिरा. खासकर बैंकिंग, ऑटो, मेटल और आईटी सेक्टर्स ने गिरावट दर्ज किया. ऐसे में पांच दिन में इक्विटी निवेशकों को 16.97 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. बीएसई बेंचमार्क इंडेक्स इस दौरान 2,290.21 अंक गिरकर 2.91% की गिरावट दर्ज कर चुका है. वहीं, बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का कुल बाजार मूल्य इन पांच सत्रों में 16,97,903.48 करोड़ रुपये घटकर 4,08,52,922.63 करोड़ रुपये (4.70 ट्रिलियन डॉलर) हो गया है. केवल मंगलवार को ही निवेशकों की संपत्ति में 9,29,651.16 करोड़ रुपये की भारी कमी आई है.
स्टॉक मार्केट क्रैश के कारण
यूएस स्टील और एल्युमिनियम टैरिफ में बढ़ोतरी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को स्टील और एल्युमिनियम आयात पर 25% का टैरिफ लगाने की घोषणा की. यह निर्णय घरेलू उद्योगों का समर्थन करने के लिए है. लेकिन इससे व्यापार संघर्ष का खतरा हो सकता है. व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि यह नई नीति 4 मार्च से प्रभावी होगी. यह 25% दर कनाडा, ब्राजील, मेक्सिको, दक्षिण कोरिया और अन्य पूर्व में माफ किए गए देशों से आयात पर लागू होगी. यह सभी देशों के लिए है. ट्रंप का स्टील और एल्युमिनियम पर 25% टैरिफ लगाने का निर्णय मेक्सिको, ब्राजील, दक्षिण कोरिया और वियतनाम जैसे देशों पर सबसे अधिक असर डालेगा.
फेडरल रिजर्व
व्यापारी और निवेशक सतर्क हैं. क्योंकि फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरेमी पॉवेल अमेरिकी सीनेट बैंकिंग, हाउसिंग और शहरी मामलों की समिति को संबोधित करने की तैयारी कर रहे हैं. वित्तीय समुदाय उनके टैरिफ और महंगाई पर बयान की समीक्षा करेगा. ताकि मौद्रिक नीति की दिशा में संभावित बदलाव को समझा जा सके.
विदेशी निवेश निकासी
NSDL डेटा के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने इस वर्ष भारतीय इक्विटी से 9.94 बिलियन डॉलर निकाले हैं. जो बाजार पर लगातार दबाव डाल रहे हैं. साल 2025 में अभी तक विदेशी निवेशकों ने 88139 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है.
यील्ड और मुद्रा का प्रभाव
यूएस 10 साल की ट्रेजरी यील्ड 4.495% पर है. जबकि 2 साल की यील्ड 4.281% पर है. डॉलर की मजबूत स्थिति, जिसे डॉलर इंडेक्स 108.36 से दिखाया गया है, ने उभरते बाजारों से पूंजी निकासी को प्रेरित किया है. जिसमें भारत भी शामिल है. ऊंचे अमेरिकी बॉन्ड यील्ड अमेरिकी निवेशों को आकर्षक बना रहे हैं. जबकि मजबूत डॉलर विदेशी पूंजी खर्चों को बढ़ाता है. जो बाजार की भावना पर नकारात्मक प्रभाव डालता है.
डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर
ट्रंप के सत्ता में आने के बाद कई देशों पर टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद शेयर बाजार का सेंटीमेंट बिगड़ा हुआ है. डॉलर मजूबत हो रहा है और भारतीय रुपया कमजोर हो रहा है, जिसका निगेटिव इम्पैक्ट भारतीय बाजार पर पड़ता हुआ दिखाई दिया है.