रतन टाटा के ना होने के बाद टाटा समूह में आंतरिक कलह गहराया, विवाद पहुंचा सरकार की चौखट पर
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रतन टाटा के ना होने के बाद टाटा समूह में आंतरिक कलह गहराया, विवाद पहुंचा सरकार की चौखट पर

टाटा ट्रस्ट्स का बोर्ड 10 अक्टूबर को बैठक करेगा. विवाद अब इस बात पर केंद्रित है कि टाटा ट्रस्ट्स टाटा संस पर कैसे नियंत्रण रखते है. इसमें नोएल टाटा की भूमिका भी जुड़ी है.


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देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने में टाटा समूह में विवाद इस कदर बढ़ चुका है कि अब केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करने की नौबत आ चुकी है. टाटा संस के सबसे बड़े शेयरहोल्डर टाटा ट्रस्ट्स के भीतर आपसी मतभेद के चलते टाटा संस के ऑपरेशन में दिक्कतें आ सकती है जिसने सरकार को परेशान कर दिया है. इस संकट को दूर करने के लिए केंद्र सरकार के दो वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री टाटा समूह के चार प्रमुख अधिकारियों से मुलाकात करेंगे ताकि हालिया घटनाओं पर चर्चा की जा सके और उसका निवारण किया जा सके.

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस-चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन, टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन और टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी डेरियस खंबाटा से दोनों ही कैबिनेट मंत्री दिल्ली में मुलाकात करने वाले हैं. टाटा ट्रस्ट्स के तहत सार्वजनिक चैरिटेबल ट्रस्ट्स टाटा संस को नियंत्रित करते हैं, जो 157 साल पुराने, $180 बिलियन मूल्य के टाटा समूह की कंपनियों की होल्डिंग कंपनी है.

इस बैठक के दो मुख्य एजेंडे हैं जिसमें प्रमुख ये सुनिश्चित करना है कि टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टीज़ के बीच मतभेद सीमित रहें और इसका टाटा संस और इसके अधीन कंपनियों के संचालन पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े. साथ दूसरे एजेंडे में

टाटा संस की पब्लिक लिस्टिंग के सवाल पर आगे की राह पर चर्चा करना है, जो तीन साल पहले रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा लागू नियम के तहत अनिवार्य है.

हाल ही में से खबर सामने आई थी कि 11 सितंबर को टाटा ट्रस्ट्स की बैठक हुई जिसमें मतभेद खुलकर सामने आया था.

टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टीज़ में टाटा संस पर ट्रस्ट्स के नियंत्रण के सवाल को मतभेद है. जिसमें बड़ा मुद्दा है टाटा संस बोर्ड में नामित निदेशकों की नियुक्ति और बोर्ड की चर्चाओं की जानकारी बाकी ट्रस्टीज़ के साथ कितनी साझा की जाती है. विवाद तब और बढ़ गया जब विजय सिंह, पूर्व रक्षा सचिव, को टाटा संस के नामित निदेशक के रूप में हटाया दिया गया. विशेष रूप से एक ट्रस्टी के व्यवधानकारी व्यवहार को अब व्यापक स्तर पर जांच के दायरे में लिया गया है. वेणु श्रीनिवासन और नोएल टाटा ने विजय सिंह को हटाने और मेहली मिस्त्री को बोर्ड में नियुक्त करने के प्रस्ताव का विरोध किया है. मिस्त्री की नियुक्ति को ट्रस्टीज़ प्रमित झावेरी, डेरियस खंबाटा और जहांगिर जहांगिर का समर्थन हासिल है.

टाटा संस के लगभग 66% हिस्से टाटा ट्रस्ट का मालिकाना है. ट्रस्टीज़ के दो समूहों के बीच कंपनी के गवर्नेंस को लेकर मतभेद बढ़ गया है. टाटा ट्रस्ट्स का बोर्ड 10 अक्टूबर को बैठक करेगा. विवाद अब इस बात पर केंद्रित है कि टाटा ट्रस्ट्स टाटा संस पर कैसे नियंत्रण रखते है. इसमें नोएल टाटा की भूमिका भी जुड़ी है, जिन्हें 11 अक्टूबर 2024 को रतन टाटा के निधन के बाद ट्रस्ट्स का अध्यक्ष बनाया गया था. चार ट्रस्टी इस बात से नाराज हैं कि टाटा ट्रस्ट्स द्वारा बोर्ड में नामित निदेशकों से पर्याप्त जानकारी साझा नहीं की जा रही है. बीते साल अक्तूबर महीने में ही टाटा ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का निधन हो गया था. उसके बाद नोएल टाटा के चेयरमैन बनाये जाने के बाद से ही ट्रस्ट्रीज के बीच विवाद गहराता चला गया है.

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