छोटे व्यापारियों के लिए टेक्नोलॉजी बनी वरदान, बदल रहा है MSME का चेहरा
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पाइस, क्लियरटैक्स और अवलारा इंडिया जैसे स्टार्टअप इनवॉइसिंग, इनपुट टैक्स क्रेडिट और भुगतान फाइलिंग को प्रबंधित करने के लिए टैक्सटेक टूल प्रदान करते हैं। वे त्रुटियों और दोहरे ;'टैक्स की संभावना को कम करने के लिए एआई का भी उपयोग कर रहे हैं। छवि: iStock

छोटे व्यापारियों के लिए टेक्नोलॉजी बनी वरदान, बदल रहा है MSME का चेहरा

बड़े बैंक अंडरराइटिंग या क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करती हैं। जबकि टैक्सटेक फर्म राजस्व, विक्रेता की स्थिति और पेमेंट साइकिल दिखाने के लिए GST चालान का उपयोग करती हैं।


उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में रहने वाले 54 वर्षीय राम प्रसाद एक किराना दुकान के अकेले मालिक हैं। उन्हें अपने स्टॉक का हिसाब रखने के लिए किसी सॉफ्टवेयर की जरूरत नहीं पड़ती। उन्हें ज़बानी याद है कि कितने शैम्पू के पाउच बचे हैं और उनके ग्राहक किस ब्रांड का आटा पसंद करते हैं। देशभर में ऐसे लाखों छोटे दुकानदार, फार्मेसी मालिक और इलेक्ट्रिकल स्टॉल संचालक हैं जो वर्षों से बिना तकनीक के, बस अनुभव और याददाश्त के सहारे अपने व्यापार चला रहे थे। लेकिन अब वस्तु एवं सेवा कर (GST) के अनिवार्य हो जाने के बाद, ये छोटे व्यापारी भी तकनीक की ओर बढ़ने को मजबूर हो गए हैं — और कुछ मामलों में तो ये शहरी पेशेवरों से भी ज्यादा टेक-सेवी बनते जा रहे हैं।

MSMEs के लिए GST बना चुनौती

हालांकि GST ने भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सरल बनाया है, लेकिन देश के लगभग 6.4 करोड़ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए इसके नियम-कायदों को समझना अब भी रोज़मर्रा की चुनौती बना हुआ है। यहीं पर 'टैक्सटेक' प्लेटफॉर्म्स मदद के लिए सामने आए हैं — ये ऐसे फिनटेक प्लेटफॉर्म्स हैं जो न सिर्फ GST अनुपालन को सरल बनाते हैं, बल्कि इन्हीं आंकड़ों के आधार पर व्यापारियों की क्रेडिट योग्यता तय कर उन्हें लोन तक पहुंच दिलाते हैं।

टैक्सटेक स्टार्टअप्स की भूमिका

Pice, ClearTax और Avalara India जैसे टैक्सटेक स्टार्टअप्स इनवॉयसिंग, इनपुट टैक्स क्रेडिट और जीएसटी भुगतान को स्वचालित करने के लिए उपकरण मुहैया कराते हैं। इनके सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भी उपयोग हो रहा है, जिससे त्रुटियों और डबल टैक्सेशन की संभावनाएं कम की जा रही हैं। कुछ स्टार्टअप्स जैसे Pice तो MSMEs को औपचारिक ऋणदाता जैसे बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) से जोड़कर कार्यशील पूंजी ऋण भी दिलवा रहे हैं।

'GST डेटा एक खजाना है'

बेंगलुरु स्थित Pice के सह-संस्थापक और CEO संदीपन मित्रा बताते हैं, “हमने इनवॉयस मैनेजमेंट की समस्या को हल करने से शुरुआत की एक ही प्लेटफॉर्म से इनवॉयस को संभालना और भुगतान करना। लेकिन जब हमने देखा कि हमारा सिस्टम लेन-देन के इतिहास और नकदी प्रवाह को ट्रैक कर रहा है, तो हमें समझ आया कि यही डेटा MSMEs को क्रेडिट दिला सकता है।”

Pice को 2021 में शुरू किया गया था और आज इस प्लेटफॉर्म पर 80,000 से ज्यादा MSMEs सक्रिय हैं। इसके उपभोक्ताओं में किराना दुकानदार, फार्मेसी मालिक और FMCG वितरक प्रमुख हैं। संदीपन कहते हैं, “ये वे लोग हैं जिनका पारंपरिक क्रेडिट स्कोर नहीं होता, लेकिन इनका व्यापारिक वॉल्यूम बड़ा होता है। ये डिजिटल तरीके से काम करने में सक्षम हैं, लेकिन बैंकों से अब तक उपेक्षित रहे हैं। हम इस स्थिति को बदलना चाहते हैं।”

Pice ने कुछ NBFCs के साथ साझेदारी की है और बैंकों से भी बातचीत चल रही है ताकि छोटे टिकट लोन ₹50,000 से लेकर कुछ लाख रुपये तक दिलवाए जा सकें। ये ऋण मुख्यतः त्योहारी सीजन में इन्वेंट्री खरीदने या नकद प्रवाह को बनाए रखने के लिए होते हैं।

बदलता क्रेडिट मूल्यांकन

पारंपरिक बैंक क्रेडिट स्कोर और गिरवी संपत्ति के आधार पर लोन देते आए हैं। लेकिन अब फिनटेक प्लेटफॉर्म्स GST इनवॉयस के जरिए बैंकों को रीयल-टाइम में MSMEs की आय, विक्रेता संबंध और भुगतान चक्र की जानकारी दे रहे हैं। कोटक महिंद्रा बैंक के पूर्व डिजिटल अधिकारी दीपक शर्मा कहते हैं, “बैंकों और NBFCs के लिए छोटे व्यापारियों की क्रेडिट योग्यता का आकलन करना हमेशा मुश्किल रहा है। लेकिन अब टैक्सटेक प्लेटफॉर्म्स के जरिए नकदी प्रवाह आधारित ऋण देना संभव हो रहा है। यह भारत के MSMEs के लिए एक बड़ा अवसर है।”

टैक्स से क्रेडिट तक

जहां Pice MSMEs को ऋण दिलाने में मदद कर रहा है, वहीं ClearTax टैक्स फाइलिंग को आसान और स्मार्ट बना रहा है। ClearTax का दावा है कि वह 60 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं को ऑटोमैटेड टैक्स फाइलिंग में मदद कर रहा है। इसके AI टूल्स त्रुटियों की पहचान और नोटिस प्रबंधन में उपयोग हो रहे हैं। साथ ही, एक AI सहायक टैक्स गणना को आसान बनाता है और डेटा पहले से भर देता है, जिससे मैनुअल एंट्री में गलतियों की संभावना कम होती है।

अब भी मौजूद हैं कई चुनौतियां

हालांकि तकनीक के जरिए टैक्स अनुपालन आसान हुआ है, लेकिन MSMEs की बड़ी संख्या अब भी टैक्स फाइलिंग के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट्स पर निर्भर है। डिजिटल साक्षरता का स्तर भी भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग है। लेकिन स्टार्टअप संस्थापक जैसे संदीपन मित्रा आशावादी हैं। वे कहते हैं, “कोई भी खुशी-खुशी टैक्स नहीं भरता। लेकिन अगर हम उन्हें दिखा सकें कि टैक्स का सही ढंग से भुगतान करने से उन्हें तुरंत ऋण मिल सकता है खासतौर पर जब उन्हें इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत हो तो यह सोच में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।”

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