
करियर हो या बिजनेस यह मैराथन दौड़, Thyrocare संस्थापक बोले- जल्दी जश्न ना बनाएं
थायरोकेयर के संस्थापक ए वेलुमणि ने कहा कि आप नौकरी में हों या बिजनेस इसे मैराथन दौड़ की लेना चाहिए। छोटी सी कामयाबी पर जश्न मनाने से बचना चाहिए।
Thyrocare के संस्थापक ए वेलुमणि ने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक महत्वपूर्ण संदेश साझा किया, जिसमें उन्होंने नौकरी की अस्थिरता को लेकर सचेत किया। उन्होंने लिखा, "जल्दी जश्न न मनाएं। करियर हो या बिज़नेस – यह एक मैराथन दौड़ है।"
उन्होंने खासतौर पर उन युवा पेशेवरों की मानसिक स्थिति पर ध्यान दिलाया, जो बड़े ब्रांड्स में नौकरी मिलने पर जश्न मनाते हैं, लेकिन बाद में अप्रत्याशित छंटनी का सामना करते हैं।"कल्पना करें कि कितने युवाओं ने इन बड़ी कंपनियों में कैंपस प्लेसमेंट मिलने पर जश्न मनाया होगा। अब सोचिए, कितने लोग उदास महसूस कर रहे होंगे! यह संख्या 10 या 20 नहीं, 100 या 200 नहीं, बल्कि 1000 या 2000… 14,000 तक भी हो सकती है।
नौकरी की अस्थिरता, सोशल मीडिया पर बहस
उनका यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और इसने नौकरी की सुरक्षा, कॉर्पोरेट लॉयल्टी और मौजूदा नौकरी बाजार में अनुकूलनशीलता की अहमियत पर बहस छेड़ दी।एक यूजर ने लिखा, "नौकरी की सुरक्षा एक भ्रम है। असली ताकत स्किल्स, अनुकूलन क्षमता और फाइनेंशियल प्लानिंग में होती है, न कि किसी पदवी में।"दूसरे यूजर ने कहा, "नौकरी एक छोटी दौड़ हो सकती है, लेकिन संपत्ति बनाना एक लंबी दौड़ है। इस दौड़ में तेज़ी नहीं, बल्कि सहनशक्ति मायने रखती है।"कुछ लोगों ने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की सलाह को दोहराते हुए लिखा, "कंपनी से नहीं, बल्कि अपने काम से वफादार रहो।"
टेक सेक्टर में बढ़ती छंटनी की चिंता
इस चर्चा ने कॉर्पोरेट वातावरण में बढ़ती अस्थिरता को उजागर किया, खासकर टेक इंडस्ट्री में, जहां बड़े पैमाने पर छंटनी आम हो गई है। हाल ही में Meta और Google जैसी कंपनियों ने खर्चों में कटौती के लिए अपनी वर्कफोर्स को कम किया है।
अनुकूलनशीलता की जरूरत
कुछ यूजर्स ने करियर और बिजनेस के चक्रात्मक स्वभाव पर जोर देते हुए पेशेवरों को लचीला बने रहने की सलाह दी।एक यूजर ने लिखा, "जल्दी आराम से मत बैठो। चाहे करियर हो या बिजनेस, यह एक लंबी दौड़ है, छोटी दौड़ नहीं। खुद को समय के साथ ढालते रहो और लगातार सीखते रहो।"
एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, "हर चीज़ की एक समय-सीमा होती है, जैसे किसी प्रोडक्ट की। इंसानों को भी एक साधारण वस्तु से 'वैल्यू-ऐडेड' प्रोडक्ट बनना सीखना होगा। कठिन समय में कंपनियां हमेशा अपने अस्तित्व को प्राथमिकता देंगी – युवा पेशेवरों को यह बात जल्दी समझ लेनी चाहिए।"
यह पूरी बहस एक गंभीर संदेश देती है कि नौकरी की सुरक्षा स्थायी नहीं होती, बल्कि स्किल्स, लचीलापन और दीर्घकालिक योजना ही असली ताकत होती है।