लेबर कोड के खिलाफ ट्रेड यूनियनों का हल्लाबोल, 26 नवंबर को बड़े विरोध का किया आह्वान
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लेबर कोड के खिलाफ ट्रेड यूनियनों का हल्लाबोल, 26 नवंबर को बड़े विरोध का किया आह्वान

सेंट्रल ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने देशभर के मजदूरों से अपील की है कि वे 26 नवंबर को बड़े पैमाने पर विरोध और प्रतिरोध में शामिल हों.


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10 ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने सरकार द्वारा एकतरफा लेबर कोड्स को लागू किए जाने के फैसले की कड़ी निंदा की है. इस यूनियनों ने लेबर कोड को मजदूर-विरोधी और कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाला करार दिया है. ट्रेड यूनियनों ने कहा यह केंद्र सरकार द्वारा देश के मजदूरों के साथ किया गया एक बड़ा धोखा है और सरकार के इस गैर-लोकतांत्रिक घोषणा से भारत के कल्याणकारी राज्य की भावना को नुकसान है. सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने इसके विरोध में 26 नवंबर 2020 को बड़ा विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है.

ट्रेड यूनियनों के इस संयुक्त मंच में 10 केंद्रीय यूनियनें और कई स्वतंत्र औद्योगिक संगठन शामिल हैं. ये ट्रेड यूनियन शुरू से इन लेबर कोड्स का विरोध कर रहा है. 2019 में वेज कोड आने के बाद भी विरोध हुआ था और जनवरी 2020 में देशव्यापी हड़ताल हुई थी. 2020 में बाकी तीन कोड आने के बाद भी विरोध जारी रहा, और 26 नवंबर 2020 की ऐतिहासिक हड़ताल में लाखों मजदूर और किसान शामिल हुए थे. जुलाई 2025 में 25 करोड़ से ज्यादा मजदूरों ने हड़ताल में हिस्सा लिया था.

कठोर विरोध के बावजूद, बिहार चुनाव जीतकर उत्साहित केंद्र सरकार ने आज से इन चारों लेबर कोड्स को लागू कर दिया. ट्रेड यूनियनों ने सरकार से कई बार इंडियन लेबर कॉन्फ़्रेंस बुलाने और कोड्स वापस लेने की मांग की, लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया. सरकार ने मजदूरों और यूनियनों की बात न सुनकर सिर्फ नियोक्ताओं (औद्योगिक घरानों) की मांगों पर ध्यान दिया है. यह कदम पूरी तरह मजदूर-विरोधी और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है.

ट्रेड यूनियनों का कहना है कि ये लेबर कोड्स मजदूरों के अधिकार खत्म कर देंगे, उन्हें गुलामी की ओर धकेल देंगे, और उनके भविष्य की आशा छीन लेंगे.

संयुक्त मंच ने देशभर के मजदूरों से अपील की है कि वे 26 नवंबर को बड़े पैमाने पर विरोध और प्रतिरोध में शामिल हों. इसके तहत कार्यस्थलों पर काला बिल्ला (ब्लैक बैज) पहनने, फैक्टरी गेट मीटिंग्स, मोहल्ला मीटिंग्स और सड़क पर जनसभाओं का आह्वान किया गया है. ट्रेड यूनियनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि मजदूर तब तक संघर्ष जारी रखेंगे, जब तक ये लेबर कोड वापस नहीं लिए जाते.

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