
टैक्स हैवन पर वार! ब्रिटेन का ऐतिहासिक फैसला संभव
ब्रिटेन की वित्त मंत्री रेशेल रीव्स आज ऐसा बजट ला सकती हैं, जिसमें अमीरों पर भारी वेल्थ टैक्स लगे। टैक्स हैवन नेटवर्क और वैश्विक असमानता पर भी बड़ा असर पड़ सकता है।
ब्रिटेन की वित्त मंत्री (चांसलर ऑफ द एक्सचेकर) रेशेल रीव्स बुधवार (26 नवंबर) को अपना पहला बजट पेश करेंगी। इससे पहले ही कयासों का दौर शुरू हो गया है कि वह अमीरों पर भारी टैक्स लगाकर अतिरिक्त आय जुटाने की तैयारी में हैं। इसी आशंका ने भारतीय मूल के अरबपति लक्ष्मी निवास मित्तल को यह घोषणा करने पर मजबूर कर दिया कि वह दुबई शिफ्ट हो जाएंगे।
संभावित प्रस्तावों में संपत्ति पर अधिक टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स में बढ़ोतरी और आय के अन्य स्रोतों पर अधिक कर शामिल हैं। यदि रीव्स सीधे तौर पर 'वेल्थ टैक्स' लागू करती हैं या अमीरों की गैर-आय आधारित संपत्तियों पर कर बढ़ाती हैं, तो यह ब्रिटेन के इतिहास में एक बड़ा कदम होगा। अभी ब्रिटेन में अलग से कोई वेल्थ टैक्स नहीं है—सिर्फ इनहरिटेंस टैक्स और कैपिटल गेन जैसे कर मौजूद हैं। अर्थशास्त्रियों का सुझाव है कि 10 मिलियन पाउंड से अधिक की संपत्ति पर 2% वार्षिक टैक्स लगाया जाए।
ब्रिटेन का ऑफशोर टैक्स हैवन नेटवर्क: ‘यूके स्पाइडर वेब’
दुनिया में मौजूद टैक्स हैवन—जहां लगभग शून्य कर लगता है—लंबे समय से अमीर व्यक्तियों और कंपनियों की कर चोरी के प्रमुख साधन बने हुए हैं। टैक्स जस्टिस नेटवर्क (TJN) की नवंबर 2024 की रिपोर्ट बताती है कि ब्रिटेन और उसके डिपेंडेंट टेरिटरीज़ वैश्विक कॉरपोरेट टैक्स नुकसान का 23% हिस्सा जिम्मेदार हैं।
ब्रिटेन के इस “दूसरे साम्राज्य” में केमैन आइलैंड, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, बरमूडा, जर्सी, ग्वेर्नसे, जिब्राल्टर, आइल ऑफ मैन आदि शामिल हैं। TJN इसे “UK Spider’s Web” कहता है—एक ऐसा नेटवर्क जिससे होकर पैसा घुमाया जाता है और असली मालिकों को छुपाकर टैक्स देने से बचा जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस पूरे नेटवर्क का केंद्र सिटी ऑफ लंदन है, जहां से वैश्विक कॉरपोरेशन अपने मुनाफे को इन ऑफशोर टैक्स हैवन के जरिए कम-टैक्स वाले क्षेत्रों में शिफ्ट करते हैं।
क्यों विफल रहा वैश्विक प्रयास?
OECD–G20 का BEPS (Base Erosion and Profit Shifting) अभियान 2012 से चल रहा है। इसमें दुनिया के 145 से अधिक देश शामिल हैं, जिनमें भारत भी है। लेकिन टैक्स चोरी रोकने में यह पहल बहुत सफल नहीं रही, क्योंकि अमीर देशों द्वारा नियंत्रित टैक्स हैवन अभी भी सक्रिय हैं
अधिकांश टैक्स अवॉइडेंस योजनाएँ कानूनी हैं
MNCs शेल कंपनियों और जटिल कॉर्पोरेट संरचनाओं के जरिए मुनाफा टैक्स हैवन में भेजती रहती हैं। TJN के 2024 इंडेक्स में शीर्ष तीन टैक्स हैवन—ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, केमैन आइलैंड और बरमूडा—सभी ब्रिटेन की नेटवर्क संरचना का हिस्सा हैं। दुनिया की 12% GDP ऑफशोर अकाउंट्स में छुपी हुई है। EU टैक्स ऑब्जर्वेटरी की ग्लोबल टैक्स एवेज़न रिपोर्ट 2024 बताती है कि:
12 ट्रिलियन डॉलर की निजी संपत्ति (जो वैश्विक GDP का 12% है) 2022 के अंत तक ऑफशोर अकाउंट्स में छिपाकर रखी गई थी। इसमें रियल एसेट—सोना, कला, प्रॉपर्टी या यॉट—शामिल नहीं हैं।
TJN की रिपोर्ट के अनुसार टैक्स चोरी और मुनाफा शिफ्टिंग से दुनिया को 492 बिलियन डॉलर का सालाना नुकसान। MNCs हर साल 1.42 ट्रिलियन डॉलर मुनाफा टैक्स हैवन में भेजती हैं। इससे सरकारों को 348 बिलियन डॉलर टैक्स का सीधा नुकसान होता है
अमीरों पर टैक्स न लगाने की कीमत
ब्रिटेन की लेबर सरकार को सालाना 30 बिलियन पाउंड की अतिरिक्त आय की जरूरत है। यही कारण है कि रीव्स अमीरों पर टैक्स बढ़ाने पर विचार कर रही हैं। लेकिन टैक्स चोरी का सबसे बड़ा असर आर्थिक असमानता पर पड़ रहा है।
G20 विशेषज्ञ समिति (स्टिग्लिट्ज़ कमेटी) की चेतावनियाँ:
83% देशों में अत्यधिक असमानता है। ऐसे देशों में लोकतांत्रिक गिरावट की संभावना 7 गुना अधिक। 2000 के बाद बनी नई वैश्विक संपत्ति का 41% सिर्फ शीर्ष 1% के पास गया। मानवता के निचले 50% की संपत्ति में सिर्फ 1% की वृद्धि
बिलियनेयर टैक्स की मांग: पिकेटी और ज़ुकमैन की दलील
अर्थशास्त्री गैब्रियल ज़ुकमैन और थॉमस पिकेटी लंबे समय से 2% वेल्थ टैक्स की वकालत कर रहे हैं। ज़ुकमैन के अनुसार दुनिया के अरबपतियों पर 2% टैक्स लगाने से 200–250 बिलियन डॉलर हर साल जुट सकते हैं अरबपतियों पर वास्तविक प्रभावी टैक्स रेट, आम लोगों की तुलना में, बेहद कम हैउन्होंने यह भी दिखाया है कि इटली, फ्रांस, नीदरलैंड और अमेरिका में भी अरबपति working class से कम टैक्स देते हैं।
कॉरपोरेट टैक्स पर वैश्विक सहमति क्यों टूटी?
2021 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बड़ी MNCs पर 15% वैश्विक न्यूनतम कॉरपोरेट टैक्स का प्रस्ताव दिया था, जिसे 140 देशों ने मंजूरी दी।
लेकिन 20 जनवरी 2025 को, डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही इस समझौते से अमेरिका को बाहर कर दिया। इसके बाद यह प्रस्ताव लगभग निष्क्रिय हो गया।
भारत: अमीरों को टैक्स न करने की नीति
भारत ने 2015 में वेल्थ टैक्स समाप्त कर दिया
2019 में कॉरपोरेट टैक्स घटा दिया। 2024 में CEA अनंत नागेश्वरन ने कहा कि बिलियनेयर टैक्स लगाने से “कैपिटल फ्लाइट” होगा जब पिकेटी भारत में 2% वेल्थ टैक्स और 33% इनहरिटेंस टैक्स की मांग कर रहे थे। पिकेटी के शोध बताते हैं भारत का शीर्ष 1% अब अमेरिका और ब्राज़ील से भी अधिक असमानता पैदा करता है
2022–23 तक भारत के शीर्ष 1% के पास 22.6% राष्ट्रीय आय 40.1% राष्ट्रीय संपत्ति है जो भारत के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक स्तर है
उनकी पुस्तक The Rise of Billionaire Raj (2024) कहती है कि भारत अब “ब्रिटिश राज से भी अधिक असमान” हो चुका है।
रेशेल रीव्स अमीरों पर टैक्स बढ़ाकर ब्रिटेन की दशकों पुरानी आर्थिक ढांचे को बदल सकती हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या ब्रिटेन अपनी ही बनाई हुई “ऑफशोर टैक्स साम्राज्य” को रोक पाएगा? वैश्विक स्तर पर कर चोरी, धन का केंद्रीकरण और असमानता—लोकतंत्र और विकास दोनों के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं। दुनिया भर के विशेषज्ञ समाधान सुझाते हैं, पर राजनीतिक इच्छाशक्ति अब भी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।

