
रूस के साथ ट्रेड करने वालों पर अमेरिका लगाएगा 500% टैरिफ! भारत की बढ़ेगी मुश्किल
रूस के साथ ट्रेड करने वाले देशों पर 500 फीसदी टैरिफ लगाने वाला प्रस्तावित बिल अमेरिकी संसद में पास कराने की तैयारी चल रही है. इसका भारत को नुकसान हो सकता है जो रूस से क्रूड ऑयल के अलावा सैन्य उपकरण खरीदता है.
एक तरफ भारत और अमेरिका द्विपक्षीय ट्रेड समझौता को लेकर आपस में लगातार बातचीत कर रहे हैं. दोनों देशों के बीच 9 जुलाई से पहले समझौते होने की उम्मीद भी जताई जा रही है. इसके बावजूद अमेरिका जो नया फैसला लेने की तैयारी कर रहा है उससे भविष्य में भारत की मुश्किलें बढ़ सकती है. अमेरिका उन देशों पर 500 फीसदी टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहा जो रूस के साथ ट्रेड कर रहे हैं या फिर उससे कच्चा तेल आयात कर रहे हैं.
रूस से ट्रेड करने वालों पर सख्त अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल के महीने में जो रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान कर उसके लागू होने के डेडलाइन को 90 दिनों के लिए बढ़ा दिया उसकी समय सीमा 9 जुलाई को खत्म हो रही है. इसस पहले भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय ट्रेड समझौता होने की उम्मीद जताई जा रही है. इसके बावजूद अमेरिका उन देशों पर 500 फीसदी टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहा जो रूस के साथ ट्रेड कर रहे हैं. रूस के यूक्रेन के साथ युद्ध के शुरू हुए तीन साल पूरे हो चुके हैं और ये अभी भी जारी है. इसी के चलते रूस के साथ ट्रेड कर रहे देशों पर अमेरिका 500 फीसदी का टैरिफ लगाना चाहता है.
रूस से ट्रेड करने वालों पर 500रूस के साथ ट्रेड करने वालों पर अमेरिका लगाएगा 500 फीसदी टैरिफ! मुश्किल में भारत% टैरिफ लगाएगा US
अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम जिन्होंने इस बिल को लाने का प्रस्ताव रखा है उनके मुताबिक राष्ट्रपति ट्रंप ने भी इस प्रस्तावित बिल का समर्थन किया है. उन्होंने कहा, ट्रंप भी उन देशों से आयात होने वाले गुड्स पर 500 फीसदी टैरिफ लगाने के पक्ष में हैं जो रूस के साथ कारोबार कर रहे हैं और उसमें भारत और चीन सबसे प्रमुख देश है. यूक्रेन पर हमले के बाद जब अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया तब भारत और चीन ने रूस से सस्ते दामों पर कच्चे तेल का आयात करना शुरू किया जो अभी भी जारी है. इस युद्ध से पहले भारत के कुल कच्चे तेल के इंपोर्ट बिल में रूस की हिस्सेदारी महज एक फीसदी थी वो अब बढ़कर 40 फीसदी के करीब हो गई है.
रूस की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना है मकसद
सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने कहा कि जुलाई ब्रेक के बाद बिल को संसद में वोटिंग के लिए लाया जाएगा. ग्राहम के मुताबिक, इस बिल को 84 सांसदों का समर्थन प्राप्त है और इसका मकसद उन देशों पर दबाव बनाना है जो रूस से तेल और दूसरी चीजें खरीद रहे हैं जिससे रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर किया जा सके और उसे यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म करने के लिए बाध्य किया जा सके. ग्राहम ने कहा, भारत और चीन पुतिन का 70 फीसदी क्रूड ऑयल खरीदकर युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा, बिल को 84 सांसदों का समर्थन प्राप्त है. यह राष्ट्रपति को अधिकार देगा कि वह भारत, चीन और अन्य देशों पर टैरिफ लगा सकें जिससे वे पुतिन की युद्ध मशीन को सपोर्ट करना बंद करें. ग्राहम ने कहा, अगर यह बिल कांग्रेस में पास हो जाता है, तो ट्रंप के पास उसे लागू करने का विकल्प रहेगा. यानी ये अधिकार ट्रंप के पास होगा कि इस बिल को हस्ताक्षर कर उसे लागू करते हैं या नहीं.
भारत अमेरिका के संपर्क में
अमेरिकी संसद से अगर ये बिल पारित हो गया भारत की मुश्किलें बढ़ सकती है. हालांकि भारत अभी से इस कोशिश में जुट गया है कि उसे इस बिल की परिधि से बाहर रखा जाए. विदेश मंत्री एस जयंशकर ने कहा, इस बिल के संभावित प्रभावों को लेकर भारत पूरी तरह से सतर्क है और इस पर अमेरिकी सांसदों के साथ बातचीत कर रहा है. जब उनसे अमेरिका के 500 फीसदी टैरिफ लगाने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, जब वो समय आएगा, तो हम उससे निपट लेंगे. उन्होंने कहा, हम सीनेटर लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं. हमारी एम्बेसी और राजदूत भी उनके संपर्क में हैं. उन्होंने कहा, हमारी चिंताओं और हितों, खासकर ऊर्जा और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को उन्हें स्पष्ट रूप से बताया गया है.
अमेरिका ऐसा ही देता रहेगा Surprise
जाहिर है, 500 टैरिफ वाला प्रस्तावित बिल अमेरिका के दोहरा चरित्र को उजागर करता है. सवाल उठता है क्या अमेरिका इसके जरिए भारत और चीन पर अपने शर्तों पर ट्रेड समझौते करने का दबाव तो नहीं बना रहा है. GTRI के फाउंडर और इंटरनेशनल ट्रेड के जानकार अजय श्रीवास्तव ने कहा, भारत और अमेरिका भले ही टैरिफ को लेकर वार्ता कर रहे हो लेकिन अमेरिका से हमें ऐसे Surprises लगातार देखने को मिलेंगे. उन्होंने कहा, साल 2000 में अमेरिका ने वियतनाम के साथ ऐतिहासिक Free Trade Agreement किया था जिसमें 2-10 फीसदी टैरिफ लगाने की बात थी लेकिन अब अमेरिका ने 20 फीसदी टैरिफ लगा दिया है.
अजय श्रीवास्तव ने कहा ने कहा, इससे सबक लेते हुए हमें भी अमेरिका के ऐसे कदम के लिए हमेशा तैयार रहना होगा. उन्होंने कहा, अगर हम ये सोचते हैं कि अमेरिका के साथ द्विपक्षीय ट्रेड समझौते के होने के बाद वो हमें छोड़ देगा तो हमें किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए. अमेरिका के साथ डील करने के लिए हमेशा हमें Transaction Mode में रहना होगा.
रूस से भारत को मिल रहा सस्ता कच्चा तेल
दरअसल भारत अपने पेट्रोलियम पदार्थों के खपत को पूरा करने के लिए 80 फीसदी कच्चे तेल के आयात पर निर्भर है. भारत आयात और खपत के मामले में अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा बड़ा देश है. भारत विदेशों से जो कच्चा तेल आयात करता है उसकी रिफाइनिंग कर पेट्रोल डीजल से लेकर हवाई ईंधन तैयार करता है. क्रूड आयल का इस्तेमाल पेंट्स समेत कई दूसरे इंडस्ट्री में भी की जाती है. रूस यूक्रेन युद्ध से पहले भारत क्रूड ऑयल के खपत के लिए खाड़ी और अफ्रीकी देशों पर निर्भर था लेकिन रूस यूक्रेन के युद्ध के बाद जब रुस ने सस्ते दामों पर कच्चे तेल बेचने का ऑफर दिया तो भारत ने ऑफर को हाथों हाथ लपक लिया.
खटकता है रूस से भारत की नजदीकी
भारत रूस से केवल कच्चा तेल ही खरीदता है बल्कि रक्षा क्षेत्र में भी रूस भारत का सबसे बड़ा साझीदार देश है. भारत अपने डिफंस जरूरतों का बड़ा हिस्सा रूस से खरीदा है और अमेरिका को यही खटकता है. तभी जून महीने में अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा था कि, भारत सरकार ने ऐसे कदम उठाए हैं जो अमेरिका को पसंद नहीं है जैसे भारत अधिकतर सैन्य उपकरण रूस से खरीदता है. अगर आप रूस से हथियार खरीदते हैं, तो यह एक तरह से अमेरिका को चिढ़ाने जैसा है. साथ ही BRICS का हिस्सा बनकर यह संकेत देना कि हम डॉलर और उसके वर्चस्व का समर्थन नहीं करेंगे ये ऐसा तरीका नहीं है जिससे अमेरिका में दोस्त नहीं बना सकते.
टैरिफ के बहाने दबाव की कोशिश
इसस बातों से साफ है कि रूस के बहाने 500 फीसदी टैरिफ लगाने के प्रस्तावित बिल के बहाने अमेरिका भारत पर दबाव बनाने की कोशिश में जुटा है.