विवाद के बीच अडानी ग्रुप ने तोड़ी चुप्पी, रिश्वतखोरी-धोखाधड़ी के आरोपों को बताया ‘निराधार’
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विवाद के बीच अडानी ग्रुप ने तोड़ी चुप्पी, रिश्वतखोरी-धोखाधड़ी के आरोपों को बताया ‘निराधार’

शेयरों में भारी गिरावट के बीच अडानी ग्रुप ने कहा कि हम अपने हितधारकों, भागीदारों और कर्मचारियों को आश्वस्त करते हैं कि हम एक कानून का पालन करने वाला संगठन हैं.


Adani Group statement: अमेरिकी अभियोजकों द्वारा अडानी ग्रुप के प्रमुख गौतम अडानी और उनके सहयोगियों पर सरकारी बिजली अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रिश्वत देने का आरोप लगाया है. ऐसे में नए विवाद में फंसने के बाद अडानी समूह ने एक बयान जारी कर आरोपों को “निराधार” बताया है.

बयान में कहा गया है कि "जैसा कि अमेरिकी न्याय विभाग ने खुद कहा है कि अभियोग में लगाए गए आरोप केवल आरोप हैं और जब तक कि वे दोषी साबित न हो जाएं, तब तक प्रतिवादियों को निर्दोष माना जाएगा. सभी संभव कानूनी उपाय आजमाए जाएंगे."

हितधारकों को आश्वासन

समूह ने बयान में कहा कि उसने “हमेशा शासन, पारदर्शिता और नियामक अनुपालन के उच्चतम मानकों को कायम रखा है और इसे बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.” कंपनी ने कहा कि हम अपने हितधारकों, साझेदारों और कर्मचारियों को आश्वस्त करते हैं कि हम एक कानून का पालन करने वाला संगठन हैं, जो सभी कानूनों का पूरी तरह से अनुपालन करता है.

शेयरों में गिरावट

बता दें कि इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार सुबह से ही अडानी समूह के तीन शेयरों में 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है और सभी 11 अडानी शेयरों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण लगभग 2.25 लाख करोड़ रुपये घटकर 12 लाख करोड़ रुपये हो गया है।ॉ.

ग्रुप पर हमला

साल 2023 की शुरुआत में हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोप सामने आने के बाद से यह कथित तौर पर समूह का सबसे खराब कारोबारी दिन रहा है. तब से, कंपनी विपक्ष की आलोचना का शिकार हो रही है और बाद में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर व्यक्तिगत हितों के कारण समूह की जांच नहीं करने का आरोप लगाया गया.

कांग्रेस ने अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडेनबर्ग के आरोपों के बाद गौतम अडानी की तत्काल गिरफ्तारी और माधबी पुरी बुच को हटाने और जांच की मांग की है. बता दें कि अमेरिकी अभियोजकों ने अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और छह अन्य अधिकारियों पर राज्य बिजली वितरण कंपनियों के साथ सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को 2020 से 2024 के बीच कथित रूप से 2,029 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का आरोप लगाया है.

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