
अमेरिका में एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए भारतीय कंपनियां हैं कितनी तैयार! कैसे देंगी चीन को चुनौती
अमेरिका में एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए भारतीय कंपनियां हैं कितनी तैयार! कैसे देंगी चीन को चुनौती
US Tariff On India: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत समेत दुनियाभर के देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने के फैसले के प्रभावों का भारत सरकार अध्ययन कर रही है. सरकार एक्सपोटर्स के साथ, अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स से बात कर रही है. साथ ही ये माना जा रहा है कि जल्द ही वाणिज्य मंत्रालय की एक्सपोटर्स के साथ बड़ी बैठक होगी जिसमें अगली रणनीति पर चर्चा की जाएगी. लेकिन ये स्पष्ट है कि भारत सरकार चीन के समान अमेरिका पर कोई जवाबी टैरिफ नहीं लगाएगा.
टैरिफ का भारत-अमेरिका के ट्रेड पर पड़ेगा व्यापक असर
देश की दिग्गज बिसनेस चैंबर फिक्की ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के ऐलान का भारत पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में फिक्की ने कहा कि, अमेरिका भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है जहां भारत अपने कुल एक्सपोर्ट का 17.7 फीसदी निर्यात करता है. लेकिन अब जो टैरिफ लगाया गया है इसका असर पूरे ट्रेड पर देखने को मिल सकता है. फिक्की के रिपोर्ट के मुताबिक एग्री और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में मरीन जिसमें मछली, मीट, सीफूड्स शामिल है उसके एक्सपोर्ट पर नेगेटिव प्रभाव देखने को मिल सकता है. रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के सीफूड एक्सपोर्ट्स पर अमेरिका के टैरिफ ऐलान का खासा असर देखने को मिल सकता है. भारत सालाना 2.58 बिलियन डॉलर का मछली मीट और प्रोसेस्ड सीफूड्स अमेरिका को एक्सपोर्ट करता है. अमेरिका के कुल सीफूड एक्सपोर्ट मार्केट में भारत की हिस्सेदारी 34.5 फ़ीसदी है.
मरीन आईटम्स के निर्यात पर टैरिफ का नेगेटिव असर
एग्री और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में मरीन आईटम्स के अलावा चाय, हनी, बेकरी प्रोडक्ट्स और डेयरी प्रोडक्ट्स पर अमेरिका के टैरिफ के ऐलान का नेगेटिव प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि बासमती चावल और काजू एक्सपोर्ट बढ़ाने का भारत के सामने शानदार अवसर है. फिक्की के रिपोर्ट के मुताबिक ट्रैडिशनल एक्सपोर्ट्स में मेड-अप्स, फुटवियर सेक्टर में भारत के अवसर पॉजिटिव खबर है. जबकि कार्पेट, जेम्स एंड ज्वेलरी पर नेगेटिव असर देखने को मिल सकता है. इमर्जिंग एक्सपोर्ट्स में मेडिकल डिवाइसेज पर नेगेटिव प्रभाव पड़ेगा.
बासमती चावल - फुटवियर एक्सपोर्ट्स बढ़ाने का मौका
वहीं जिन सेक्टर जिसमें भारत के लिए एक्सपोर्ट बढ़ाने की अच्छी संभावनाएं हैं उसमें बासमती राइस, के अलावा अलावा ट्रेडिशनल एक्सपोर्ट्स में अप्परैल,मेड-अप्स, फुटवियर इंडस्ट्री के लिए एक्सपोर्ट बढ़ाने का भारत के पास शानदार अवसर है. वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट्स बढ़ाने के लिए भी भारत के पास एक भरपूर मौका है. वहीं जिन सेक्टर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा उसमें फार्मास्यूटिकल्स, स्टील, एल्युमिनियम, कॉपर ऑटोमोबाइल, ऑटो कॉम्पोनेंट शामिल है.
मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी का करना होगा विस्तार
क्लोथिंग मैन्युफैक्चरर्रस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चीफ मेंटॉर राहुल मेहता ने कहा, अमेरिका में कारोबार बढ़ाने का भारत के गार्मेंट्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए बहुत बड़ा अवसर लेकर है जिसपर अब तक वियतनाम-चीन का कब्जा रहा है. लेकिन अमेरिका में डिमांड को पूरा करने के लिए उन्हें अपने मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी को बढ़ाना होगा. उन्होंने बताया कि फिलहाल भारतीय कंपनियां इस स्थिति में नहीं है कि वे अमेरिका के डिमांड को पूरा कर सके. राहुल मेहता ने कहा कि बांग्लादेश पर जिस प्रकार अमेरिका ने ज्यादा टैरिफ लगाया है वो अपने प्रोडक्ट्स भारत में खपाने की कोशिश कर सकता है.
क्या भारतीय कंपनियां उठा पाएंगी मौके का फायदा
अमेरिका के टैरिफ ऐलान का भारत के अप्पैरल सेक्टर पर बेहतर प्रभाव देखने को मिल सकता है क्योंकि वियतनाम पर 46 फ़ीसदी, बांग्लादेश पर 37 फ़ीसदी और चीन पर 54 फ़ीसदी टैरिफ लगाया गया है जो कि भारत से कहीं ज्यादा है ऐसे में भारत के टेक्सटाइल एक्सपोर्टर्स के पास एक्सपोर्ट बढ़ाने के साथ कीमत को लेकर भी अपने प्रतिद्वंदियों से कहीं ज्यादा एडवांटेज है. हालांकि उस मार्केट में आने वाले में दिनों में डिमांड कैसा रहता है यह इस बात पर भी निर्भर करेगा. पर सवाल उठता है की क्या इस इसका फायदा उठाने के लिए भारतीय अप्पैरल कंपनियां तैयार हैं?