वॉरेन बफेट को अब Apple पसंद नहीं, बाजार में बड़ी गिरावट के संकेत तो नहीं
वॉरेन बफेट की बर्कशायर हैथवे ने ऐप्पल के लगभग 50% शेयर बेच दिए हैं, जिसकी कीमत $86 बिलियन है।
Warren Buffett: मई 2024 में वॉरेन बफेट ने जब ऐप्पल के शेयरों की बिक्री की बात कही, तो यह बात चौंकाने वाली जरूर थी, लेकिन उन्होंने इसे पूंजीगत लाभ पर बढ़ने वाले कर की संभावनाओं के मद्देनजर उचित ठहराया। उस वक्त बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथवे के पोर्टफोलियो में ऐप्पल की हिस्सेदारी 52% थी, जिसकी कुल कीमत 350 बिलियन डॉलर आंकी गई थी। लेकिन आज वही हिस्सेदारी घटकर 40% रह गई है। बाजारों में बढ़ती अनिश्चितता के बीच बफेट ने सही समय पर कैश में निवेश करने का फैसला लिया। जापान में बढ़ती ब्याज दरों और अमेरिकी चुनावों से पैदा हो रही अस्थिरता ने वैश्विक शेयर बाजारों को हिला कर रख दिया है।
ऐप्पल के करीब 50 फीसद शेयर की बिक्री
हाल ही में कोबोइस्सी लेटर ने ट्वीट किया, "ताज़ा खबर: वॉरेन बफेट की बर्कशायर हैथवे ने ऐप्पल के लगभग 50% शेयर बेच दिए हैं, जिसकी कीमत $86 बिलियन है। क्या बफेट ने टेक्नोलॉजी सेक्टर के बुलबुले के चरम पर पहुंचने की भविष्यवाणी कर दी है?"बफेट का यह कदम उनकी पारंपरिक निवेश रणनीति से बिल्कुल उलट है। वह आमतौर पर अपनी होल्डिंग्स को लंबे समय तक रखने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन इस बार उन्होंने ऐप्पल के शेयरों को बेचने का फैसला लिया है। उनके अनुसार, यह फैसला कर उद्देश्यों से प्रेरित है, न कि ऐप्पल के बिजनेस मॉडल या प्रबंधन में किसी खामी के चलते।
3 ट्रिलियन डॉलर की कंपनी है ऐप्पल
ऐप्पल, जो कि $3 ट्रिलियन की बाजार पूंजीकरण वाली कंपनी है, अपनी 65% बिक्री अमेरिकी बाजार से बाहर करती है, और इसे वैश्विक स्तर पर एक मजबूत कंपनी माना जाता है।2024 की शेयरधारकों की पहली वार्षिक बैठक में बफेट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, पॉल वोल्कर और कैरोल लूमिस जैसे मुद्दों पर बात की, लेकिन असली सुर्खियों में ऐप्पल पर उनके विचार रहे। बफेट ने कहा कि वह ऐप्पल के भविष्य को लेकर सकारात्मक हैं, लेकिन वह कंपनी के शेयर बेचकर कैश इकट्ठा कर रहे हैं।
शेयर बाजार में डगमगा रहा है ऐप्पल
ऐप्पल के शेयर बाजार में हालात अच्छे नहीं हैं। पिछले साल के दौरान ऐप्पल के शेयर मात्र 6% बढ़े हैं, जबकि S&P 500 में 26% की बढ़त हुई है। खुद बर्कशायर भी 26% बढ़ा है, जबकि उसके पोर्टफोलियो का 50% हिस्सा ऐप्पल में निवेशित है।बफेट का मानना है कि अगले साल सरकार पूंजीगत लाभ पर कर बढ़ा सकती है, इसलिए वह ऐप्पल के शेयर बेच रहे हैं। लेकिन इस कदम के पीछे एक और महत्वपूर्ण कारण यह हो सकता है कि बफेट को लगता है कि शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आने वाली है। बर्कशायर की कैश पोजीशन अब अपने उच्चतम स्तर पर है, जो कि $189 बिलियन है। यह दर्शाता है कि बफेट बड़े संकट के लिए तैयारी कर रहे हैं।
ऐप्पल की गिरावट: क्या बफेट का अनुमान सही था
बफेट ने ऐप्पल के 115 मिलियन शेयर पिछले तिमाही में बेच दिए, जो उनकी सबसे बड़ी हिस्सेदारी थी। 4 मई 2024 को पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया कि ऐप्पल की हिस्सेदारी में 13% की गिरावट आई है, और पिछले दो तिमाहियों में कंपनी ने 126 मिलियन शेयर बेचे हैं। इसके बावजूद, ऐप्पल अभी भी बर्कशायर के कुल पोर्टफोलियो का 40% हिस्सा है।ऐप्पल के शेयर फिलहाल 28x के पीई अनुपात पर ट्रेड हो रहे हैं, जो इसके ऐतिहासिक औसत से 40% अधिक है। इस लिहाज से देखा जाए तो बफेट का ऐप्पल के शेयर बेचने का फैसला गलत नहीं है। बफेट ने 1988 में Coca-Cola के शेयर खरीदे थे, जिनका पीई अनुपात 70x था। इसके बाद कंपनी को 13 साल लगे एक नया उच्चतम स्तर हासिल करने में। इस अनुभव को ध्यान में रखते हुए बफेट शायद अब वैसी गलती दोहराना नहीं चाहते।
भारतीय निवेशकों को रहना होगा सतर्क
भारतीय बाजार भी अमेरिकी शेयर बाजार से जुड़े हुए हैं, जहां S&P 500 का पीई अनुपात 27.5x है और Nifty 50 का पीई अनुपात 22x। अगर अमेरिकी बाजार में गिरावट आती है, तो इसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ सकता है। फंड मैनेजरों ने पहले ही महंगे बाजार को देखते हुए कैश पोजीशन लेना शुरू कर दिया है। ऐसे में भारतीय निवेशकों को भी अमेरिकी बाजारों में हो रही गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए।
बफेट का ऐप्पल से किनारा करना सिर्फ कर उद्देश्यों के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक बाजारों में संभावित गिरावट की तैयारी का संकेत है। उनके इस कदम से साफ है कि वह बाजार में आने वाले संकट को भांप रहे हैं और कैश पोजीशन लेकर अपने निवेशकों को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय निवेशकों के लिए यह समय सतर्क रहने का है, क्योंकि अमेरिका में होने वाली किसी भी उथल-पुथल का असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ेगा।