याचिकाकर्ता की आपत्ति इस बात पर भी रही कि 2003 से पहले जन्मे लोगों को सिर्फ फॉर्म भरना होता है, जबकि 2003 के बाद जन्मे लोगों से दस्तावेजों की मांग की जाती है। उन्होंने इसे बिना कानूनी आधार के किया गया भेदभाव बताया।जवाब में कोर्ट ने कहा कि इसमें व्यावहारिकता जुड़ी हो सकती है, क्योंकि यह प्रक्रिया पहली बार कंप्यूटरीकृत आधार पर हो रही है।
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