पुरुष अधिकार कार्यकर्ता बरखा त्रेहन कहती हैं, "...अतुल सुभाष पहले आदमी नहीं हैं, ऐसे लाखों आदमी मर चुके हैं। 34 वर्षीय अतुल सुभाष मजबूर थे, सिस्टम फेल हो गया है। सिस्टम में बहुत पक्षपात है, सिर्फ़ महिलाओं की बात सुनी जाती है, पुरुषों की नहीं...पुरुषों को प्रताड़ित किया जाता है, धमकाया जाता है...(आईपीसी) धारा 498 के तहत जानबूझकर पुरुषों के खिलाफ़ मामले दर्ज किए जाते हैं और सुप्रीम कोर्ट ने पाया है कि इनमें से 95% मामले फ़र्जी हैं...महिला सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है..."
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