सुप्रीम कोर्ट में  चनाव आयोग ने अपनी दलील में कहा कि एक व्यक्ति एक वोट का कानून 1951-1952 में भारत के पहले चुनाव से ही अस्तित्व में है। अगर किसी के पास किसी भी चुनाव में किसी व्यक्ति द्वारा दो बार मतदान करने का कोई सबूत है, तो उसे बिना किसी सबूत के भारत के सभी मतदाताओं को चोर बताने के बजाय, एक लिखित हलफनामे के साथ चुनाव आयोग के साथ साझा किया जाना चाहिए।

चुनाव आयोग ने आगे कहा कि वोट चोर जैसे गंदे शब्दों का इस्तेमाल करके हमारे मतदाताओं के लिए एक झूठी कहानी गढ़ने की कोशिश न केवल करोड़ों भारतीय मतदाताओं पर सीधा हमला है, बल्कि लाखों चुनाव कर्मचारियों की ईमानदारी पर भी हमला है।

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