नियंत्रण रेखा के करीब रहने वाले हसन मोहम्मद नामक निवासी कहते हैं, "मैंने 1965 और 1971 के युद्ध देखे हैं क्योंकि मेरा जन्म 1947 में हुआ था। ऐसी स्थिति तो 1965 या 1971 में भी नहीं देखी गई थी...हम यहां नहीं रह सकते थे...इसलिए हम सुरनकोट चले गए और स्थानीय लोगों के साथ रहने लगे। वहां के लोगों ने हमारी बहुत मदद की। आज हम अपने घर लौट आए हैं..."

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