न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास से कथित रूप से धन बरामद होने के मामले में सरकार द्वारा उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की खबरों पर पूर्व एएसजी और वरिष्ठ अधिवक्ता अमन लेखी कहते हैं, "यदि इस संकट को उचित और समझदारी से नहीं संभाला गया तो यह एक आपदा बन सकता है। समस्या मूलतः विश्वास के साथ विश्वासघात और निष्पक्षता के वादे की है जिस पर न्यायिक प्रणाली स्थापित की जाती है... इससे पता चलता है कि न्यायाधीश का जनता के प्रति जो कर्तव्य है, जो निष्पक्षता का प्रतीक है, उससे समझौता किया गया है।
न्यायिक प्रक्रिया उतनी समान और प्रभावी नहीं दिखी जितनी होनी चाहिए थी। जिस उद्देश्य के लिए यह पूरी प्रणाली बनाई गई है, उससे काफी हद तक समझौता किया गया है। यदि ऐसा है, तो ऐसा लगेगा कि संस्था ही अप्रभावी है। यदि न्यायमूर्ति वर्मा जैसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है, तो रोकथाम या कार्रवाई की धमकी, जो पुनरावृत्ति को रोक सकती है, उपलब्ध नहीं होगी, जिससे दंड से मुक्ति की संस्कृति बनेगी।