समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को दिल्ली प्रदूषण के मुद्दे को "वार्षिक" मुद्दा बताया और कहा कि इसका असर उत्तर प्रदेश तक पहुंचने लगा है।दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को लेकर भाजपा और आप के बीच तीखी नोकझोंक हुई, क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता दो दिन के अंतराल के बाद एक बार फिर 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गई।

एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "दिल्ली में प्रदूषण का कहर 'वार्षिक' मुद्दा बन गया है। जब देश की केंद्र सरकार पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ रखने के लिए कुछ नहीं कर पा रही है, तो देश के बाकी हिस्सों का क्या होगा? इसे 'चिराग तले अंधेरा' या 'धुंधलका' कहते हैं। दुनिया में देश का नाम रोशन करने का दावा करने वाली भाजपा सरकार राजधानी में ही धुंध के कारण देश की छवि को धूमिल होने से नहीं बचा पा रही है। दुनिया भर के देशों के राजदूतों और उच्चायुक्तों के कार्यालय भी यहीं स्थित हैं, इससे उन्हें क्या संदेश जाएगा? यह भाजपा सरकार के शासन और नीतियों की विफलता है।

रविवार को शांत हवाओं ने प्रदूषकों को बिखरने से रोक दिया, जिससे दिल्ली की वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' हो गई। राष्ट्रीय राजधानी के कुछ इलाकों में प्रदूषण का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, शाम 4 बजे दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शनिवार के 255 के मुकाबले 355 दर्ज किया गया। सीपीसीबी ने शहर के 40 निगरानी स्टेशनों में से 37 से डेटा साझा किया। इसमें दिखाया गया कि तीन स्टेशनों - बवाना, बुराड़ी और जहांगीरपुरी - ने 'गंभीर' वायु गुणवत्ता दर्ज की। ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और नोएडा जैसे पड़ोसी इलाकों में भी वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' और फरीदाबाद और गुरुग्राम में 'खराब' रही। 

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