आम आदमी पार्टी ने दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के सदस्य के लिए हुए चुनाव को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।यह कदम दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी द्वारा भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाने और 27 सितंबर को हुए चुनाव को "अवैध और असंवैधानिक" बताने के बाद उठाया गया है।सत्तारूढ़ आप के पार्षदों के मतदान से दूर रहने के कारण भाजपा ने एमसीडी की 18 सदस्यीय स्थायी समिति की आखिरी खाली सीट पर निर्विरोध जीत हासिल की।

भगवा पार्टी ने हाल ही में एमसीडी की स्थायी समिति में रिक्त पद को भरने के लिए हुए चुनाव को लेकर दिल्ली की मेयर शेली ओबेरॉय के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आतिशी ने कहा कि आप चुनाव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।

उन्होंने कहा, "देश संविधान और कानून से चलता है, गुंडागर्दी से नहीं। इसलिए भाजपा को लोकतंत्र की हत्या बंद करनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि स्थायी समिति के सदस्यों का चुनाव दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) अधिनियम, 1957 का उल्लंघन करके हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि नियमों के अनुसार, केवल महापौर ही एमसीडी स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव की तारीख और स्थान तय कर सकते हैं और केवल महापौर ही चुनाव के लिए एमसीडी पार्षदों की बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं।

आतिशी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि मुख्यमंत्री की टिप्पणी "पूरी तरह से राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित" थी और इसका उद्देश्य "भ्रम" फैलाना था। सचदेवा ने कहा, "आतिशी को पता होना चाहिए कि डीएमसी अधिनियम की धारा 45 के तहत स्थायी समिति का गठन अनिवार्य है। धारा 487 के तहत एलजी और नगर आयुक्त को विशेष परिस्थितियों में निगम की बैठक बुलाने का अधिकार है और वे बैठक के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर सकते हैं।" 5 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि कानून उपराज्यपाल को एमसीडी में एल्डरमैन को नामित करने का "स्पष्ट अधिकार" देता है और वह इस मामले में मंत्रिपरिषद की सलाह से बाध्य नहीं है।

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