जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और 150 लद्दाखियों को मंगलवार देर रात (1 अक्टूबर) दिल्ली पुलिस द्वारा रिहा किए जाने के बाद फिर से हिरासत में लिया गया। जबकि पुलिस थानों में उनका अनिश्चितकालीन अनशन जारी है। वांगचुक और हिरासत में लिए गए अन्य लद्दाखियों को मंगलवार रात जाने की अनुमति दी गई।  लेकिन वे दिल्ली के मध्य भाग की ओर मार्च करने पर अड़े रहे। इसलिए उन्हें फिर से हिरासत में लिया गया। उन्होंने कहा कि वांगचुक को कुछ अन्य लोगों के साथ बवाना पुलिस स्टेशन में रखा गया है, जबकि अन्य को नरेला औद्योगिक क्षेत्र, अलीपुर और कंझावला पुलिस स्टेशनों में रखा गया है। वांगचुक और उनके साथ आए लोगों को दिल्ली पुलिस ने सोमवार रात (30 सितंबर) को सिंघू सीमा पर निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में हिरासत में लिया था, जब उन्होंने अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने की कोशिश की थी। वह एक महीने पहले लेह से शुरू हुई 'दिल्ली चलो पदयात्रा' का नेतृत्व कर रहे थे।

इसका आयोजन लेह एपेक्स बॉडी ने किया था, जो कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ मिलकर पिछले चार सालों से लद्दाख को राज्य का दर्जा देने, संविधान की छठी अनुसूची में इसे शामिल करने और अन्य मांगों को लेकर आंदोलन चला रही है।प्रदर्शनकारी समूह के एक प्रतिनिधि ने मंगलवार को कहा कि हिरासत में लिए गए लोग अनिश्चितकालीन उपवास पर चले गए हैं।उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली पुलिस उन्हें बुधवार को गांधी स्मृति जाने की अनुमति नहीं देती है, तो वे रिहा होने के बाद भी पुलिस थानों में बैठे रहेंगे।

लद्दाख में गतिरोध

सोनम वांगचुक और 150 अन्य लद्दाखियों को हिरासत में लिए जाने के विरोध में बुधवार (2 अक्टूबर) को लद्दाख में पूर्ण बंद रहा। ये लोग दिल्ली की ओर शांतिपूर्ण मार्च कर रहे थे। द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। बंद का आह्वान लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने किया था।दिल्ली पुलिस द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिए जाने से पूरे क्षेत्र में व्यापक गुस्सा है। कई स्थानीय नेताओं ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की है। लेह और कारगिल दोनों जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए।

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