सिसोदिया के केस में लेटलतीफी
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (9 अगस्त) को आप नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में जमानत दे दी, साथ ही कहा कि उन्हें त्वरित सुनवाई से वंचित रखा गया है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि सिसोदिया 17 महीने से हिरासत में हैं और अभी तक मुकदमा शुरू नहीं हुआ है, जिससे उन्हें त्वरित सुनवाई के अधिकार से वंचित रखा गया है। पीठ ने कहा कि इन मामलों में जमानत मांगने के लिए उन्हें ट्रायल कोर्ट में भेजना न्याय का मखौल होगा।
शीर्ष अदालत ने ट्रायल और उच्च न्यायालयों की निंदा की शीर्ष अदालत ने कहा कि अब समय आ गया है कि ट्रायल कोर्ट और उच्च न्यायालय यह स्वीकार करें कि जमानत का सिद्धांत एक नियम है और जेल एक अपवाद है। इसने निर्देश दिया कि सिसोदिया को 10 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतों पर जमानत पर रिहा किया जाए। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को 26 फरवरी, 2023 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अब रद्द हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के लिए गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें 9 मार्च, 2023 को सीबीआई की एफआईआर से उपजे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया। उन्होंने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। सिसोदिया ने यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि वह 17 महीने से हिरासत में हैं और उनके खिलाफ मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है। ईडी और सीबीआई ने उनकी जमानत याचिकाओं का विरोध किया था।