राज्यसभा में संदेशखाली का जिक्र


जो घटना संदेशखाली में हुई, जिसकी तस्वीरें रोंगटे खड़े कर देने वाली हैं, लेकिन बड़े बड़े दिग्गज जिनको मैं कल से सुन रहा हूं, पीड़ा उनके शब्दों में भी नहीं झलक रही है। इससे बड़ा शर्मिंदगी का चित्र क्या हो सकता है?जो लोग खुद को प्रगतिशील नारी नेता मानते हैं, वो भी मुंह पर ताले लगाकर बैठ गए हैं। क्योंकि घटना का संबंध उनके राजनीतिक जीवन से जुड़े दल से या राज्य से है।मैं किसी राज्य के खिलाफ नहीं बोल रहा हूं और न ही कोई राजनीतिक स्कोर करने के लिए बोल रहा हूं।कुछ समय पहले, मैंने बंगाल से आई कुछ तस्वीरों को सोशल मीडिया पर देखा। एक महिला को वहां सरेआम सड़क पर पीटा जा रहा है, वो बहन चीख रही है। वहां खड़े हुए लोग उसकी मदद के लिए नहीं आ रहे है, वीडियो बना रहे हैं।

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