प्रियंका गांधी ने कहा कि रक्षा मंत्री और गृह मंत्री ने ढेरों बातें कहीं। उन्होंने हमें इतिहास की बातें भी सिखाईं। लेकिन उन्होंने हमें एक बात नहीं बताई - पहलगाम में हमला कैसे हुआ, क्यों हुआ? ये लोग बैसरन में क्या कर रहे थे? प्रधानमंत्री ने देश को बताया, भाजपा नेताओं ने कहा कि कश्मीर जाओ, ज़मीन खरीदो। कानपुर के शुभम द्विवेदी, जिनकी शादी छह महीने पहले हुई थी, ने कश्मीर जाने का फैसला किया। 22 अप्रैल को बैसरन घाटी में आम दिनों की तरह ही पर्यटक आए... शुभम और उनकी पत्नी एक स्टॉल पर थे, तभी चार आतंकवादी आए और उन्हें गोलियों से भून दिया। अगले एक घंटे तक आतंकवादी इधर-उधर घूमते रहे और लोगों को मार डाला, 26 लोगों को।
शुभम की पत्नी जान बचाने के लिए जंगल की ओर भागी। उसने मुझे बताया कि इस पूरे एक घंटे में उसने एक भी सुरक्षाकर्मी को नहीं देखा। उसने मुझे बताया कि उसने अपनी आँखों के सामने अपनी दुनिया बिखरती देखी। उसने मुझे बताया कि सरकार ने हमें वहाँ अनाथ छोड़ दिया, कोई सुरक्षाकर्मी नहीं था।
क्या सरकार को नहीं पता था कि हज़ारों पर्यटक बैसरन जाते हैं? क्या सरकार को पता नहीं था कि वो इलाका कितना दुर्गम है, उस इलाके में न तो कोई प्राथमिक चिकित्सा सुविधा है और न ही कोई अस्पताल। इस सरकार ने उन लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया। क्या उन लोगों की ज़िम्मेदारी इस देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नहीं है?