क्यों मरने के बाद भी चर्चा में है ठग
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क्यों मरने के बाद भी चर्चा में है ठग

धनीराम मित्तल ऐसा ठग जो वकालत करने के बाद चोरी और ठगी का मास्टर बन बैठा वाहन चोरी से लेकर ठगी तक के 1000 मामलों को दिया अंजाम



- हरियाणा की अदालत में फर्जी तरह से 40 दिनों तक बना जज

- इन 40 दिनों में प्रतिदिन 50 लोगो को दी जमानत

कहा जाता है कि धोखाधड़ी करने वाला इंसान बेहद शातिर और दिमागदार होता है, क्योंकि बगैर दिमाग के किसी को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता. यही वजह भी है कि इन दिनों एक ऐसा व्यक्ति चर्चा में है, जिसकी हाल ही में मौत हुई है. चर्चा का कारण है अपराध जगत में उसके कारनामे. जिसने पढ़ा लिखा होने के बावजूद चोरी और ठगी का धंधा अपनाया और इस दौरान उसने ऐसे ऐसे कारनामे किये, जिसे सुनकर अच्छे-अच्छों की हवाइयां उड़ जाए. इस शातिर ठग का नाम धनीराम मित्तल था, जो हरियाणा के भिवानी जिले का रहने वाला था. धनीराम मित्तल पर वाहन चोरी और धोखाधड़ी के लगभग 1000 से ज्यादा मामलों में शामिल होने का आरोप है.

बीएससी और एलएलबी के बाद चुना अपराध का रास्ता

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि धनीराम मित्तल की मृत्यु 85 वर्ष की आयु में हुई है. वो हरियाणा के भिवानी जिला का रहने वाला था. उसका जन्म 1939 में हुआ था. उसने रोहतक यूनिवर्सिटी से बीएससी की, इसके बाद राजस्थान से उसने एलएलबी की पढ़ाई की. डिग्री लेने के बाद उसने कुछ समय तक अलग-अलग वकीलों के यहां पर काम किया लेकिन उसे वकालत का पेशा रास नहीं आया. उसने हरियाणा के झज्जर की अदालत की पार्किंग से कार चोरी करने का धंधा शुरू कर दिया. वो दिन के उजाले में ही कारों को चुराया करता था.

फर्जी दस्तावेजों की मदद से 6 साल तक रेलवे में स्टेशन मास्टर बन करता रहा रेलवे के माल पर हाथ साफ

पुलिस का दावा है कि धनीराम मित्तल ने 1968 से लेकर 1974 तक रेलवे में स्टेशन मास्टर की नौकरी की. नौकरी उसने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हासिल की थी. इस दौरान उसने रेलवे की संपत्ति चोरी की, जिससे रेलवे को काफी नुकसान भी पहुंचा.

40 दिनों तक बना जज

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि धनीराम मित्तल की ठगी के किस्से बेहद रोचक और दिलचस्प हैं. उसकी ठगी और जलसाजी का जो सबसे बड़ा कारनामा है, वो सभी को हैरत में डालने वाला है. बात 70 के दशक की है. धनीराम मित्तल ने अखबार में पड़ा कि झज्जर के एक अतिरिक्त जज के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश हुए हैं. ये खबर पढ़ कर धनीराम मित्तल को ठगी का एक नया रास्ता सुझा. उसने एक लेटर टाइप किया और उसे लिफाफे में बंद कर झज्जर कोर्ट के उसी अतिरिक्त जज को भेजा, जिनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश हुए थे. उसे लेटर पर धमिराम मित्तल ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार के फर्जी हस्ताक्षर और मोहर भी लगाई थी. जब वो लेटर अतिरिक्त जज के पास पहुंचा जिनके खिलाफ विभागीय जांच की बात अखबार में लिखी गई थी, तो उन्होंने उस लेटर को पढ़कर छुट्टी पर जाना बेहतर समझा. दरअसल उस लेटर में अतिरिक्त जज को 2 महीने की छुट्टी पर जाने के लिए कहा गया था. जज ने उस लेटर को सच समझा और वो बगैर किसी सवाल जवाब के लेटर को सच मानते हुए छुट्टी पर चले गए. इसके बाद धनीराम मित्तल झज्जर की अदालत में पहुंचता है और अपने साथ एक लेटर लेकर जाता है, जिसमें लिखा होता है कि वो अतिरिक्त जज है और काम देखेंगे. दावा किया जाता है कि धनीराम मित्तल ने महज 40 दिन के अंदर लगभग 2000 लोगों को जमानत पर छोड़ दिया. इन 2000 लोगों में अधिकतर लोग धनीराम मित्तल के जान पहचान वाले थे. बताया जाता है कि जब एक ही कोर्ट से 40 दिन में 2000 लोगों को जमानत दिए जाने के तथ्य कानून विभाग के सामने आए तो बेहद हैरान हो गए और इसके बाद जब उन्होंने जांच पड़ताल की तो पता चला कि जो जमानत दे रहा है, वह असल में जज है ही नहीं. वो फर्जी तरीके से जज की कुर्सी पर बैठ गया है. तब जाकर धनीराम मित्तल की असलियत सामने आई.

2016 में दिल्ली में चोरी की कार के साथ गिरफ्तार हुआ था धनीराम मित्तल

दिल्ली पुलिस की एसीपी राजपाल डबास वो अधिकारी हैं, जिन्होंने 2016 में मित्तल को चोरी की कार के साथ गिरफ्तार किया था. वो कार एस्टीम कार थी, जिसे शालीमार बाग के इलाके से चुराया गया था. उस दौरान पूछताछ में धनीराम मित्तल ने अपने आपराधिक इतिहास के बारे में कई राज उगले थे.

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