आप ने कानून का उल्लंघन करते हुए लिया विदेशों से फंड ईडी की रिपोर्ट में दावा
ईडी ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय को डी रिपोर्ट में दावा आप ने विदेशी दान दाताओं की पहचान छुपाने के मकसद से एक ही पासपोर्ट नम्बर और क्रेडिट कार्ड से कई लोगों की पेमेंट जमा करवाई
दिल्ली सरकार के कथित शराब घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने केंफ्रिय गृह मंत्रालय को बेहद गंभीर रिपोर्ट सौपी है. इस रिपोर्ट में ईडी ने दावा किया है कि वर्ष 2014 से 2022 के बीच आम आदमी पार्टी को विदेशी फंडिंग मिली है. इस दौरान पार्टी को 7.08 करोड़ रूपये विदेशों से भेजे गए. आम आदमी पार्टी ने इस फंडिंग के लिए एफसीआरए, आईपीसी और आरपीए का उल्लंघन किया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आप पार्टी को अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, ओमान और अन्य देशों में रहने वाले कई लोगों से पैसा मिला है.
दानदाताओं की पहचान छुपायी गयी
ईडी ने अपनी रिपोर्ट में ये भी दावा किया कि आम आदमी पार्टी के अकाउंट में पैसे देने वाले लोगों की असली पहचान छिपाई गयी. इसके पीछे का मकसद ये था कि राजनीतिकि दलों के लिए विदेशी फंडिंग पर लगे प्रतिबंध से बचा जा सके. रिपोर्ट के अनुसार विदेशी लोगों ने रकम सीधे आम आदमी पार्टी के आईडीबीआई बैंक खाते में जमा की थी. इसके अलावा आप के कुछ विधायकों व पदाधिकारियों के खातों में भी रकम जमा करवाई गयी. ऐसे ही एक विधायक का नाम भी रिपोर्ट में लिया गया है.
दुर्गेश पाठक ने इस्तेमाल किया पैसा
ईडी रिपोर्ट में जिस विधायक का नाम लिया गया है, वो है दुर्गेश पाठक. रिपोर्ट के अनुसार विदेशों से फंड भेजने वाले अलग-अलग लोगों ने एक ही पासपोर्ट नंबर, क्रेडिट कार्ड, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया था. एफसीआरए( फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट) और आरपीए( रिप्रेसेंटशन ऑफ पीपल एक्ट) के तहत राजनीतिक दलों के लिए विदेशी फंडिंग पर प्रतिबंध है. यह एक अपराध की श्रेणी में आता है. ईडी ने अपनी जांच में पाया है कि साल 2016 में आप नेता दुर्गेश पाठक ने कनाडा में हुए एक इवेंट के जरिये एकत्र की गयी रकम को पर्सनल बेनेफिट के लिए इस्तेमाल किया.
पंजाब कांग्रेस के नेता के यहाँ से ईडी को मिला सुराग
आप पार्टी द्वारा विदेशों से चंदा लेने का सुराग ईडी को पंजाब कांग्रेस के नेता व संगरूर लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी सुखपाल सिंह खैरा के घर से मिला. रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के फाजिल्का में ड्रग्स स्मगलिंग को लेकर एक मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में पाकिस्तान से भारत हेरोइन स्मगल करने वाले ड्रग कार्टेल पर एजेंसी काम कर रही थी. फाजिल्का की स्पेशल कोर्ट ने पंजाब के भोलानाथ से एमएलए सुखपाल सिंह खैरा को आरोपी बनाते हुए समन किया था. इसी मामले की जाँच के दौरान जब ईडी ने खैरा और उनके साथियों के यहां जब सर्च ऑपरेशन चलाया तो खैरा और उसके साथियो के यहां से कुछ कागजात भी बरामद किये गए थे. इन दस्तावेजों से ये जानकारी हुई कि आप को विदेशी फंडिंग कि पूरी जानकारी थी. बरामद दस्तावेजों में टाइप किये हुए 4 कागज थे जबकि 8 कागज हाथ से लिखे हुए थे, जो डायरी के पन्ने थे. इनमें यूएसए के डोनर की पूरी जानकारी थी.
खैरा ने स्वीकार की थी विदेशी फंडिंग की बात
ईडी ने बताया कि जिस समय का ये मामला है, उस समय खैर आम आदमी पार्टी के विधायक थे. उनके यहाँ से बरामद कागजों से ईडी को पता चला था कि अमेरिका से आम आदमी पार्टी को 1 लाख 19 हजार डॉलर की फंडिंग मिली थी. जब खैरा के बयान लिए गए तो उन्होंने अपने बयान में बताया था कि 2017 में पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने यूएसए में फण्ड रेजिंग कैंपेन चलाकर पैसा इकट्ठा किया था. इस मामले में ईडी ने आम आदमी पार्टी के नेशनल सेक्रेटरी पंकज गुप्ता को समन भी किया था, जिन्होंने कबूल किया था कि आम आदमी पार्टी चेक और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए विदेशी फंडिंग ले रही है.
आप के राष्टीर्य सचिव पंकज गुप्ता के डेटा से खुली पोल
आप के सचिव पंकज गुप्ता ने ईडी को जो डेटा उपलब्ध करावाया उसकी जाँच से पता चला कि ये विदेशी चंदा कानून का उल्लंघन था. ईडी को पता चला था कि विदेश में बैठे 155 लोगों ने महज 55 पासपोर्ट नंबर का इस्तेमाल कर 404 ट्रांजेक्शन में 1.02 करोड़ रुपये चंदे के रूप में दिए थे. 71 दान्दाताओं ने 21 मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर 256 बारी में कुल 99 लाख 90 हजार 870 रुपये दान दिए थे. 75 डोनर ने 15 क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 148 बारी में 19 लाख 92 हजार 123 रुपये का चंदा दिया था. इससे साफ है कि डोनर की नागरिकता और पहचान छिपाया गया, जो FCRA,2010 का उल्लंघन है.
आप ओवरसीज इंडिया ने जुटाया फंड
ईडी को जांच के दौरान पता चला कि आम आदमी पार्टी की तरफ से आप ओवरसीज इंडिया का गठन किया गया था. इसके कार्यकर्त्ता अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि देश में सक्रीय थे, जिनका काम आम आदमी पार्टी के लिए फंड एकत्र करना था. रिपोर्ट में ये खुलासा किया गया है कि साल 2016 में इन कार्यकर्ताओं को 50 करोड़ रुपए का चंदा एकत्र करने का टारगेट दिया गया था.
विदेशी नागरिकों के नाम छिपाए
ईडी की रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि दान देने वालों ने कनाडाई नागरिकता वाले 19 मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी का इस्तेमाल करते हुए 51 लाख 15 हजार 44 रुपये की राशी चंदे के तौर पर दी. जांच के दौरान पता चला कि इन कनाडाई नागरिकों की पहचान छुपाने की कोशिश की गयी. न ही इन्हें रिकॉर्ड में दर्ज किया गया. र्फ़ोर्ड में जान्भुज कर अलग अलग नाम लिख दिए गए, जो सीधा-सीधा FCRA 2010 के सेक्शन 3 और आरपीए के सेक्शन 298 का उल्लंघन है.